स्पीकर रवीन्द्र नाथ महतो के बार-बार अनुरोध का माननीयों व मंत्रियों पर कोई असर नहीं, मंत्री हफीजुल अंसारी सदन में ही मोबाइल से बात करते हुए पाये गये, स्पीकर ने मंत्री का मोबाइल किया जब्त
झारखण्ड विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो द्वारा बार-बार इस अनुरोध, कि सदन में मोबाइल लाना वर्जित है। उसके बावजूद माननीय सदस्यों और मंत्रियों का समूह सदन में मोबाइल ला ही नहीं रहा, बल्कि उसका जमकर उपयोग भी कर रहा है। हद तो तब हो जा रही है, जब चलते सदन में यहां तक कि सदस्यों और मंत्रियो के सवाल-जवाब के बीच कुछ सदस्यों और मंत्रियों को मोबाइल पर बात करते हुए देखा जा सकता हैं।
ज्ञातव्य है कि पिछले दिनों जब झरिया की भाजपा विधायक रागिनी सिंह ने जब मोबाइल के माध्यम से ही सदन में सूचना पढ़ना शुरु किया था। तभी विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो ने रागिनी सिंह के इस व्यवहार पर दुख व्यक्त करते हुए सारे माननीयों से सदन की गरिमा के अनुकूल व्यवहार करने की अपील की थी और आज जैसी घटना घटी, लगता है कि माननीयों के उपर उक्त दिन के घटना का कोई प्रभाव ही नहीं पड़ा।
आज जब अल्पसूचित प्रश्नकाल के दौरान प्रदीप यादव अपना सवाल सदन में रख रहे थे। तभी झामुमो कोटे से बने मंत्री हफीजुल अंसारी को मोबाइल से बात करते हुए देखा गया। आप इस समाचार में उपर दिये गये चित्र में लाल घेरे में हफीजुल अंसारी को सदन में मोबाइल पर बातचीत करते हुए आराम से देख भी सकते हैं। जिस पर प्रदीप यादव ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मंत्री के बात करने से उन्हें अपने सवालों को रखने और जवाब प्राप्त करने में दिक्कत आ रही हैं।
प्रदीप यादव के इस वक्तव्य को सुनकर स्पीकर रवीन्द्रनाथ महतो ने मंत्री हफीजुल अंसारी के मोबाइल को जब्त करने का आदेश दिया, जिसका अनुपालन सदन में कार्यरत विधानसभा के कर्मचारी ने किया। अब सवाल उठता है कि जब सदन में मुख्यमंत्री बैठे हो। आसन पर खुद विधानसभाध्यक्ष बैठे हो। दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष भी बैठे हो। ऐसे में सदन की गरिमा को सत्तापक्ष में शामिल ही मंत्री तार-तार करने का प्रयास करें, तो फिर किससे सदन की गरिमा बेहतर होगी, इसकी उम्मीद पाली जाये।
दरअसल देखा जा रहा है कि सदन में बैठे कई माननीय सदन की गरिमा को प्रभावित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। विद्रोही24 तो प्रेस दीर्घा में बैठकर साफ देखता है कि सत्तापक्ष और विपक्ष के कई माननीय उस वक्त मोबाइल में व्यस्त रहते हैं, जब सदन में किसी गंभीर प्रश्न पर सवाल-जवाब होता रहता है। रही बात ऐसे विधायकों के नाम की तो आप सदन में कांग्रेस की श्वेता सिंह, अनूप सिंह, झारखण्ड क्रांतिकारी लोकतांत्रिक मोर्चा के जयराम महतो को बार-बार ऐसा करते हुए देख सकते हैं।
यही दृश्य झारखण्ड विधानसभा की प्रेस दीर्घा में भी देखा जा सकता है। यहां भी मोबाइल ले जाना वर्जित है। इसके लिए तो प्रेस दीर्घा के अंदर व बाहर बाजाप्ता बोर्ड भी लगा है। लेकिन इस दीर्घा में झारखण्ड विधानसभा प्रेस सलाहकार समिति के कई सदस्यों की मोबाइल की घंटिया बजती हुई सुनाई देती हैं। यहीं नहीं ये प्रेस दीर्घा में ही बैठकर मोबाइल से बातें भी करते हैं। पर इन्हें कोई भी बोलनेवाला नहीं।