मंत्रियों/विधायकों के लिए विशेष व्यवस्था तो जनता के लिए क्यों नहीं CM साहेब, बच्चों के साथ न्याय करिये, इनकी मां की जान बचाइये
ब्लैक फंगस की शिकार, उषा देवी फिलहाल रिम्स में इलाजरत है, उषा देवी का इलाज कर रहे डाक्टर उषा देवी के बच्चों से कह दिये हैं कि मां को अच्छे इलाज के लिए केरला या अहमदाबाद ले जाओ। बच्चों का कहना है कि उनके पास इतने पैसे नहीं कि वे अपनी मां का इलाज इतने बड़े राज्यों या महानगरों में जाकर करा सकें, क्योंकि उनके सारे पैसे खत्म हो चुके है, जैसे-तैसे अपनी मां का इलाज मजदूरी कर अब तक कराये हैं।
बीमार उषा देवी के बच्चे आज मुख्यमंत्री आवास पहुंचे, पर उन्हें मुख्यमंत्री से नहीं मिलने दिया गया, उनका कागज मुहर व हस्ताक्षर कर लौटा दिया गया, बच्चों ने साफ कह दिया है कि उनकी मां को बेहतर इलाज के लिए झारखण्ड सरकार ईमानदारी पूर्वक प्रयास करें। अच्छे अस्पताल, दवा आदि उपलब्ध कराएं, एयर एंबुलेंस से उनकी मां को बेहतर इलाज के लिए एयरलिफ्ट कराए।
पर, बच्चों को मुख्यमंत्री आवास से कहा गया कि इतनी बड़ी राशि और एयर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराया जा सकता, बच्चे साफ कह चुके हैं कि अगर उनकी मां को कुछ हुआ तो वे रिम्स में ही सभी आत्महत्या कर लेंगे। अब सवाल उठता है कि क्या एयर एंबुलेंस या एयर लिफ्ट करने का सौभाग्य राज्य के मंत्रियों और विधायकों को ही हैं, जनता को नहीं? इसका जवाब कौन देगा? जनता के करों के पैसों से मंहगे इलाज नेता, मंत्री, विधायक करें और सरकार उन्हें व्यवस्था भी कराएं, पर जनता को ये सब क्यों नहीं, जनता ने कौन सा पाप किया है भाई?
अरे यही बात तो जमशेदपुर के डा. ओपी आनन्द ने उठाया था, कि विधायकों के लिए स्पेशल इलाज और आम जनता के लिए मात्र छह हजार रुपये की राशि की व्यवस्था ये सरकार कैसे कर लेती हैं, ये तो जनता के साथ अत्याचार है, और लीजिये उसका फायदा क्या हुआ, डा. ओ पी आनन्द को ये सच बोलना ही महंगा पड़ गया, मंत्री और सरकार ने उनके उग्र शब्दों व आपत्तिजनक शब्दों को पकड़ा, जेल में डाल दिया।
लेकिन उक्त डाक्टर की बातें तो कही से भी गलत नहीं थी। पर सच बोलना और गाली के साथ बोलना महापाप है, इसलिए ये महापाप के शिकार डा. ओ पी आनन्द हो गये, लेकिन इन बच्चों ने तो कोई पाप नहीं किया, मां के इलाज के लिए ये संघर्षरत है। ऐसे में इन्हें मुख्यमंत्री से नहीं मिलने देना, उनकी बातों पर नहीं ध्यान देना, उनके दर्दनाक वक्तव्य पर भी दिल का नहीं पसीजना किस बात का घोतक है?
सरकार ये भी बताएं कि आखिर अच्छे अस्पताल झारखण्ड के बाहर ही क्यों हैं, आखिर कितने साल चाहिए इस राज्य को बेहतर अस्पताल के लिए ताकि कोई डाक्टर इन मरीजों को बाहर जाने की सलाह ही नहीं दे और न ही मंत्री/नेता एयरलिफ्ट का मजा ले सकें। प्यारे बच्चों, तुमने बहुत बड़ी बात कह दी, मां के लिए आंदोलन खड़ा कर दिया, पर यहां की सरकार मां की भी नहीं सुनती, तो तुम्हारा क्या सुनेगी? तुम्हारी सजा यही है कि तुम गरीब हो, और उसमें भी जनता हो, और जनता मरने के लिए ही होती है।
मुझे अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि शायद ही इस सरकार या सरकार में शामिल सभी लोगों के दिल पसीजेंगे, और तुम्हारा काम पूरा हो पायेगा, क्योंकि यहां जो हो रहा है, वो तो विद्रोही24 भी देख रहा है। यहां तो रिम्स में कौन दवा बेचेगा, इस पर सरकार का ध्यान ज्यादा है, स्वास्थ्य विभाग का ज्यादा हैं, तभी तो उसके लिए पैरवी पत्र भी भेज दिये जाते हैं, पर तुम्हारा तो कोई परिचय ही नहीं है, इसलिए तुम्हारा यह मुख्यमंत्री को लिखा पत्र मुख्यमंत्री तक पहुंचेगा, इस पर भी हमें शक है।
फिलहाल आम जनता देखे इस पत्र को और अपना चेहरा भी बढ़िया से इस पत्र में देख लें कि आपकी या आनेवाली पीढ़ी की क्या हाल होने जा रही है, हालांकि बच्चों द्वारा लिखे गये पत्र में काफी अशुद्धियां हैं, पर ये समय उनकी अशुद्धियों को देखने का नहीं, उनके मर्म को समझने की जरुरत हैं, जो न तो सरकार समझ रही हैं, और ही वे परिक्रमाधारी, जो इसका गलत फायदा उठा रहे हैं…
माननीय मुख्यमंत्री जी, झारखण्ड सरकार,
मेरी मां उषा देवी जो ब्लैक फंगस से ग्रसित हैं, 17 मई से रांची के रिम्स में भर्ती है। इनका इलाज अच्छे से रिम्स में नहीं कर रहे रिम्स के डा. सी के बिरुआ के लापरवाही के कारण सही से इलाज नहीं हुआ और अब दो महीने बीत जाने के बाद डा. सी के बिरुआ और डा. विनोद सिंह ने अब जवाब दे दिया और केरला अमदाबाद के लिए रेफर कर दिया है। हमारी मां उषा देवी का हालत और गंभीर हो गया है। हमलोग के पास इतना पैसा नहीं है, जो हम लोग केरला अमदाबाद ले जा सकने में असमर्थ है।
अतः झारखण्ड सरकार से विनती करते हैं कि केरला ले जाने के लिए झारखण्ड सरकार हमारी मांग पूरी करें। हमारी मांग पूरी नहीं हुई तो मेरी मां उषा देवी का जान जा सकती है। हम बहुत गरीब परिवार से हैं। हम बच्चे मजदूरी करके घर का खर्च चला रहे थे। इलाज में जितना पैसा था, हम सब गवां चुके हैं। फिर भी इलाज पुरी नहीं हो पा रही। इसलिए झारखण्ड सरकार से विनती है, कैसे भी हमारी मां की जान बचाई जाय, अन्यथा हम बच्चे अनाथ हो जायेंगें।
हमारे पास टाइम बहुत कम है, मां की जान बचाने के लिए तत्काल ऑपरेशन दवा इलाज की जरुरत है और केरला ले जाने के लिए एयर-एंबुलेन्स की जरुरत हैं। इलाज के लिए जितना खर्च लगेगा, उतना राशि एचओ साहब से पता चला कि नहीं मिल सकता और एयर एंबुंलेन्स भी नहीं दिया जाता है। अगर ये मांग पुरी नहीं होंगी और सीएम साहेब से मांग रखने का मौका भी नहीं मिला तो मेरी मां की जान नहीं बच पायेगी। जिसका जिम्मेदार झारखण्ड सरकार होगी, अगर मेरी मां की जान गई तो हम बच्चे रिम्स हॉस्पिटल में फांसी लगाकर मर जायेंगे।