राजनीति

नेतरहाट में भाजपा की चिन्तन बैठक में आधे से ज्यादा विधायकों की अनुपस्थिति खतरे की घंटी

अगर नेतरहाट  की घटना से भी भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने सबक नहीं लिया तो वे समझ ले कि आनेवाले समय में झारखण्ड में भाजपा का नाम लेनेवाला भी कोई नहीं होगा?  कल की ही बात है, भाजपा ने नेतरहाट में चिन्तन बैठक आयोजित किया था, और उस बैठक मे सत्तारुढ़ दल के आधे से ज्यादा विधायकों ने रुचि नहीं ली, कारण पूर्व से ही स्पष्ट है, जिसे भाजपा विधायकों ने बजट सत्र के अंतिम दिन, सदन में स्पष्ट कर दिया था, पर केन्द्रीय नेतृत्व को लगता है, कि ये सामान्य सी बात है, उन्हें नहीं पता कि स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है, और इसका फायदा विपक्ष उठाने की स्थिति में हैं, शायद यहीं कारण हैं कि विपक्ष भी चाहता है कि भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व विधानसभा चुनाव तक रघुवर दास को हटाये ही नहीं।

इधर सत्तारुढ़ दल के विधायकों का मानना है कि राज्य सरकार की स्थानीय नीति और नियोजन नीति ने उन्हें कहीं का नहीं छोड़ा है, स्थिति ऐसी है कि अपने ही क्षेत्र में जाने से अब डर लगता है।

अब चूंकि पौने दो साल के बाद फिर विधानसभा चुनाव में जाना है तो वे किंकर्तव्यविमूढ़ की स्थिति में है, साथ ही उन्हे जहां भी मौका मिल रहा है, वे अपनी उपस्थिति दर्ज करा दे रहे हैं। नेतरहाट के चिन्तन बैठक में ज्यादातर विधायकों का अनुपस्थित रहना भाजपा सरकार के लिए शुभ संकेत नहीं हैं, हालांकि इस नेतरहाट में होनेवाली कैबिनेट बैठक व चिन्तन बैठक के लिए राज्य सरकार द्वारा विशेष प्रबंध किया गया था। नीतीश स्टाइल में कैबिनेट बैठी थी, पर रघुवर दास को पता नहीं कि नीतीश कुमार, नीतीश कुमार है।

राज्य सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, जिसके विभागीय मंत्री स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास है, राजधानी से पत्रकारों की टीम को भी उठाकर नेतरहाट ले गये थे, ताकि इस बैठक की जय-जयकार हो, खूब अखबारों में छपे, चैनलों पर चले, पर उन्हें नहीं पता कि सच को कितना भी कोई छुपाने की कोशिश करे, सच नहीं छुपता, वह सर चढ़ कर बोलता है। नेतरहाट की चिन्तन बैठक लब्बोलुआब यह है कि अभी भी आधे से ज्यादा विधायक मुख्यमंत्री रघुवर दास की कार्यशैली से नाराज है और बस वे अपने आकाओं की हरी झंडी की तलाश में है, जैसे ही उन्हें हरी झंडी मिली, आक्रोश सड़कों पर दिखेगा।

विक्षुब्ध विधायकों ने चिन्तन बैठक में अपनी अनुपस्थिति दर्ज कराकर बता दिया कि यहीं हाल रहा तो अभी तो वे वैठक से स्वयं को अनुपस्थित कर रहे हैं, कल विद्रोह भी करेंगे। दरअसल बात यह है कि सीएम रघुवर दास के बात करने के तरीके भी सहीं नहीं है, वे कब किसके साथ किस तरह से पेश आयेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता, मुख्यमंत्री रघुवर दास के बात करने के तरीके से तो मंत्री ही नहीं, विधायक, कार्यकर्ता तथा आम जनता तक नाराज है, अगर भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने अपनी गलती नहीं सुधारी तो आनेवाले समय में भाजपा विधानसभा चुनाव में डबल डिजिट में भी नहीं पहुंच पायेगी।