राज्यपाल रमेश बैस का बयान – EC के लिफाफे का क्या करना है, यह उनकी मर्जी पर निर्भर, किसी को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा चुनाव आयोग के लिफाफे का क्या करना है, यह उनकी मर्जी पर निर्भर करता है, इसमें किसी को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता नहीं, राज्यपाल का ये बयान स्पष्ट संकेत दे रहा है कि झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने जो चुनाव आयोग के मंतव्य को जानने के लिए सूचना के अधिकार को हथियार बनाया हैं, उस हथियार का भी राज्यपाल पर कोई प्रभाव पड़नेवाला नहीं हैं। राज्यपाल आज सरायकेला के गम्हरिया में स्थित अर्का जैन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में भाग लेने के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बातें तब कहीं। जब संवाददाताओं ने झामुमो के द्वारा उनसे सूचना के अधिकार के तहत चुनाव आयोग के मंतव्य की प्रति मांगने से संबंधित सवाल पूछे थे।
इसी बीच दीक्षांत समारोह में उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों एवं पदक विजेताओं और शोधकर्ताओं को बधाई देते हुए उन्होंने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि आपकी इस उपलब्धि में योगदान देने वाले सभी शिक्षक, अभिभावक एवं आपके परिवार के सदस्यगण भी बधाई के पात्र हैं। आपके माता-पिता के लिए आज का दिन विशेष है क्योंकि उन्होंने आपकी शिक्षा-दीक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनी व्यक्तिगत ख़ुशी का भी त्याग किया होगा।
उन्होंने कहा कि उपाधि ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के लिए आज का दिन विशेष तो है ही, अन्य विद्यार्थियों के लिए भी प्रेरणादायी है क्योंकि उनको यह दिन अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए और भी प्रेरित करेगा और उनमे नयी उर्जा भरेगा। दीक्षांत समारोह एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक पड़ाव होता है। उन्होंने कहा कि केवल उपाधि लेना ही आपके जीवन का मकसद नहीं होना चाहिये। आपको अपने जीवन में सही दृष्टिकोण के साथ सही राह का भी चयन करना है। आपको जीवन के कर्म-क्षेत्र में प्रवेश कर अपनी दक्षता एवं परिश्रम से अपनी पहचान और उत्कृष्टता स्थापित करनी है।
उन्होंने कहा कि आपके अंदर हमेशा सीखने की इच्छा व लालसा होनी चाहिए। आप अपने ज्ञान का उपयोग करते हुए सदा अपने कर्मों से स्वयं के साथ अपने समाज का भी नाम रौशन करें क्योंकि यह आपका एक सामाजिक दायित्व भी है। आपको सामाजिक मुद्दों को विवेकपूर्ण तरीके से देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि “मै अरका जैन युनिवर्सिटी को झारखण्ड की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं समाज के विभिन्न वर्गों को शिक्षा की सुविधा मुहैय्या कराने के लिए बधाई देता हूँ। मुझे बताया गया है कि इस विश्वविद्यालय में नामांकित विद्यार्थियों में से लगभग 35 से 40 प्रतिशत लड़कियाँ हैं जो नारी शिक्षा के सन्दर्भ में शुभ संकेत है।”
उन्होंने कहा कि देश की सामाजिक-आर्थिक प्रगति अनेक महत्वपूर्ण कारकों पर निर्भर होती है जिसमें शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण है। उच्च और उत्तम शिक्षा न केवल एक विद्यार्थी की जीविकोपार्जन अथवा आजीविका की संभावनाओं को तय करती है बल्कि उसके व्यक्तित्व को भी दिशा देती है। जब व्यक्ति कुशल, कर्मठ एवं दक्ष हो जाए तब जाकर वह संसाधन के रूप में माना जाता है और तब उसके कार्यों से परिवार, समाज और देश लाभान्वित होता है।
उन्होंने कहा कि देश में उच्च शिक्षा के दायरे का काफी विस्तार हुआ है और आज हमारे शिक्षण संस्थानों में पहले से कहीं अधिक विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। लेकिन, हमें जिस बात पर अब भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है, वह है शिक्षा की गुणवत्ता और यह आप जैसे शिक्षण संस्थानों को सुनिश्चित करना होगा की हम अपने युवाओं के लिए गुणात्मक शिक्षा उप्लब्ध करायें।
उन्होंने कहा कि हमें विश्वविद्यालयीय उपाधियों के साथ कौशल विकास के हर एक पहलू में युवा शक्ति अपनी सहभागिता निभा सके और भारत के विकसित होने की दिशा में नए आयाम जुड़ सकें। ज्ञान को प्रायोगिक रूप में उपयोग करने में हमें सक्षम होना होगा ताकि यह शताब्दी हमारी हो और विश्वकल्याण में हम भारतीय भी अपनी महती भूमिका निभा कर गर्व महसूस करें।
उन्होंने कहा कि झारखण्ड एक प्राकृतिक सम्पदा संपन्न राज्य है और अच्छे उद्यमियों के जरिये इस राज्य को देश के विकसित राज्यों की सूची में लाने की दिशा में सोचना होगा। जिसके लिए आप जैसे युवाओं को आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन का उदहारण प्रस्तुत कर रोजगार लेने के बजाय रोजगार देने की सोच पैदा करनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थान का दायित्व सिर्फ विद्यार्थियों को किताबों तक सीमित रखना, उन्हें डिग्रियाँ बाँटना तक ही सीमित नहीं होना चाहिये, बल्कि उनमें जीवन में बेहतर करने की ललक जगाना, उनकी प्रतिभा को निखारना और उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास पर ज़ोर देना होना चाहिए।