राजनीति

झारखण्ड विधानसभा के बजट सत्र में भी विपक्ष पर भारी पड़ेंगे राज्य के CM हेमन्त सोरेन

विपक्ष में अभी भी वो कलेवर नहीं कि हेमन्त सरकार को झारखण्ड विधानसभा में घेर ले या उसे चुनौती दे दें, ऐसा होने का मूल कारण है विपक्ष का शक्तिविहीन होना। हालांकि मुद्दे इतने है कि सरकार को घेरा जा सकता है, पर ले-देकर नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे पर ही सरकार को घेरने की आदत विपक्ष को एक बार फिर महंगा पड़ सकता है, अगर विपक्ष, नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालकर, सही मायनों में जन मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने का काम शुरु किया, तो कुछ पल के लिए सदन में सरकार को जवाब देने में दिक्कतें आ सकती है, लेकिन वैसा दिख नहीं रहा।

हालांकि 2020-21 के पूरे बजट सत्र को देखा जाय, तो हेमन्त सरकार के कार्यकाल पर आप अंगूलियां नहीं उठा सकते, क्योंकि इस कोरोना काल में हेमन्त सोरेन की सरकार ने ऐसे-ऐसे कार्य किये, जिसको लेकर सरकार की लोकप्रियता उन दिनों शिखर पर रही। कोरोनाकाल में जिस प्रकार राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के नेतृत्व में सरकार ने महत्वपूर्ण फैसले लिए और उसे जमीन पर उतारा, उसे सभी ने सराहा, स्थिति यह रही कि हेमन्त सोरेन देखते ही देखते पूरे भारत में लोकप्रिय हो गये, यहां तक कि विदेशों में भी इनकी चर्चा हो गई।

ऐसा होना भी चाहिए, भारत-चीन सीमा पर संथाल के युवा-आदिवासियों द्वारा बनाये जा रहे सड़क तथा वहां हो रहे उनके शोषण के खिलाफ सीमा सड़क संगठन के अधिकारियों से बात करना हो या राज्य में कोरोना काल में चलाये जा रहे विभिन्न थानों में गरीब लोगों को भोजन उपलब्ध कराने की प्लानिंग सभी में हेमन्त सरकार सफल रही। हाल ही में ओरमांझी प्रकरण को लेकर, सरकार पर उठाए जा रहे सवाल को बहुत अच्छे ढंग से राज्य की पुलिस द्वारा इसका हल निकालना भी चर्चा का विषय रहा, ऐसे में आप कह भी नहीं सकते कि विधि-व्यवस्था को लेकर सरकार सजग नहीं है।

हां कुछ मुद्दों पर सरकार को लचीला रुख अपनाना चाहिए, ताकि किसी भी व्यक्ति को यह महसूस नहीं हो कि सरकार का रवैया क्रूरता से भरा है, क्योंकि कभी भी अगर ये बातें किसी के दिल में भर गई कि सरकार क्रूरता से पेश आ रही हैं तो उसका प्रभाव सरकार के सेहत पर पड़ सकता है। इधर महागठबंधन के विधायक दल की बैठक आज मुख्यमंत्री आवास पर बुलाई गई है, पर अच्छा रहता कि इसके पूर्व झामुमो विधायक दल की भी बैठक बुलाई जाती और झामुमो के विधायक, अपने नेता यानी राज्य के मुख्यमंत्री से अपने इलाकों की समस्याओं से दो-चार होते, लेकिन कई बार से झामुमो विधायक दल की बैठक का नहीं होना झामुमो के विधायकों के बीच आक्रोश का कारण न बन जाये, इस पर राज्य के मुख्यमंत्री को सोचना होगा।

अंत में कुल मिलाकर इस बार का बजट सत्र भी हेमन्त सोरेन के फेवर में हैं, नाम के लिए ये बजट सत्र एक महीने का हैं, पर कार्य दिवस मात्र 16 दिनों का है, ऐसे में समझ लीजिये कि राज्य के माननीय इतने दिनों में क्या कर पायेंगे, पहला दिन तो शोक आदि में ही चला जायेगा, बचा पन्द्रह दिन अगर इस पन्द्रह दिनों का भी सभी पक्ष-विपक्ष सदुपयोग कर लें तो समझ लीजिये राज्य की जनता को बहुत फायदा हो जायेगा। एक बात और, जो नये-नये पत्रकार है, उनके लिए सीखने का एक बहुत बड़ा अवसर है, झारखण्ड विधानसभा का बजट सत्र। जहां सरयू राय, विनोद कुमार सिंह, बाबू लाल मरांडी जैसे वक्ता है, जिनसे आप कुछ सीख सकते हैं, पर ये तभी होगा जब आप मनोयोग से उनकी बातों को सुनेंगे।