बंद करो घर-घर रघुवर का नारा, BJP कार्यकर्ताओं ने किया विरोध, केवल घर-घर कमल या घर-घर मोदी चलेगा
हर–हर मोदी, घर–घर मोदी चलेगा, पर घर–घर रघुवर नहीं चलेगा, क्योंकि झारखण्ड की जनता फिलहाल भाजपा और वर्तमान में उसके शीर्षस्थ नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जानती है, न कि झारखण्ड के मुख्यमंत्री रघुवर दास को। खुद रघुवर दास जो राज्य के मुख्यमंत्री हैं और पर्दे के पीछे से घर–घर रघुवर का सलोगन देकर, जो नरेन्द्र मोदी को नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं, उससे झारखण्ड में भाजपा का ही नुकसान होगा, ये बातें सभी को समझ लेना चाहिए।
ये संवाद किसी दूसरे दल के नेताओं का नहीं, बल्कि उन हजारों कार्यकर्ताओं का है, जो रघुवर दास को फूटी आंखों भी देखना पसन्द नहीं करते। इनका कहना है कि राज्य में भाजपा को जो भी विधानसभा में सीटे मिलेंगी, वो नरेन्द्र मोदी और भाजपा के कारण मिलेगी, न कि रघुवर दास के कारण।
यह पूछे जाने पर कि फिलहाल सोशल साइट के माध्यम से और भाजपा के कुछ छिटपुट नेताओं द्वारा जो घर–घर रघुवर का नारा दिया जा रहा हैं, उस पर क्या कहना है, एक भाजपा के समर्पित नेता विक्की सिंह का कहना है कि घर घर रघुवर का नारा वे ही भाजपा के लोग दे रहे हैं, जिनका स्वार्थ रघुवर दास से सिद्ध हो रहा हैं, और जो लोग घर–घर रघुवर बोल रहे हैं, वे कान खोलकर सुन लें कि भाजपा का कार्यकर्ता रघुवर दास का बंधुआ मजदूर नहीं, बल्कि वह भाजपा का एक समर्पित सिपाही और कार्यकर्ता है। भाजपा के कार्यकर्ता भाजपा के लिए काम करेंगे, न कि किसी रघुवर दास का।
विक्की सिंह कहते है कि इधर जो पार्टी में व्यक्तिवादी सिद्धांत जो चल रहा हैं, वो पार्टी के लिए ही नुकसानदायक होगा, इससे अच्छा रहता कि भाजपा के शीर्षस्थ नेता भाजपा कार्यकर्ताओं का राय–मशविरा लेते और तब स्लोगन तैयार करते, इससे अच्छा रहता कि घर–घर कमल का ये नारा देते, इससे व्यक्तिपूजा की जगह पार्टी के प्रति समर्पण का भाव भी परिलक्षित होता। इधर भाजपा के वरिष्ठ नेता सरयू राय ने भी एक तरह से घर–घर रघुवर पर आपत्ति जता दी है, और उनका कहना है कि इसके जगह पर घर–घर कमल ही उचित और प्रासंगिक होगा।
दूसरी ओर भाजपा में ही बड़े पैमाने पर रघुवर दास के विरोध से यह स्पष्ट है कि भाजपा के अंदर ही ऐसे कार्यकर्ताओं की बड़ी संख्या है, जो नहीं चाहते कि रघुवर दास फिर से सत्तारुढ़ या मुख्यमंत्री हो, उनकी पसन्द भाजपा में दूसरे नेता है। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि झारखण्ड में रघुवर दास को छोड़कर कोई भी चलेगा, पर रघुवर दास नहीं चलेंगे। इसलिए जितना जल्द हो, घर–घर रघुवर का स्लोगन बंद हो जाये, सोशल साइट पर जो घर–घर रघुवर के नाम से विपक्षी दलों के नेताओं को जो गलत बताने का काम बड़े पैमाने पर शुरु किया गया हैं, वो बंद किया जाये।
नहीं तो ये लोग सोच रहे है कि इसका फायदा भाजपा को मिलेगा, उससे ज्यादा नुकसान हो जायेगा, क्योंकि जनता इस नारे से कुछ ज्यादा ही इरिटेट हो रही हैं, जिसका प्रतिफल भाजपा कार्यकर्ता भुगत रहे हैं, सत्ता में बैठे और सत्ता का रसास्वादन करनेवाले छिटपुट भाजपा नेता क्या जाने, वे तो आजकल एसी रुम में बैठकर, पता नहीं क्या निर्णय कर रहे हैं, यानी कांग्रेसी संस्कृति का जन्म भाजपा में भी हो गया। जैसे कांग्रेस में व्यक्ति पूजा प्रधान होने से कांग्रेस मिट गई, कहीं भाजपा का हाल भी न ऐसा ही हो जाय, क्योंकि भय इसी बात का हैं, जिसकी शुरुआत झारखण्ड में सत्ता का स्वाद चख रहे लोगों ने कर दी।