बंद करिये संवैधानिक संस्था का अपमान, चलाना है तो सदन को ठीक से चलाएं, नहीं तो बंद कर दें – सरयू
“अब तो सदन में सदन की सार्थकता पर प्रश्नचिह्न खड़ा हो रहा है, चलाना है तो सदन को ठीक से चलाएं, नहीं चलाना है तो किसी एक दिन आकर बजट पास करा लें और सदन बंद कर दें।” ये संवाद नहीं है, बल्कि वेदना है, एक जनप्रतिनिधि का। जिनका नाम है सरयू राय। जिन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को जमशेदपुर पूर्व से हराकर जीत हासिल की है। इन्होंने अपनी वेदना एक पोर्टल से सुनाई, जिसे किसी ने लगता है सुनने की कोशिश नहीं की और अगर सुना भी तो नजरदांज करने की कोशिश कर दी।
जबकि होना तो यह चाहिए कि उनकी इस वेदना पर माननीय गौर फरमाते, पूरा सदन गौर फरमाता और सदन की गरिमा को बरकरार रखने में अहम रोल अदा करता, पर यहां हो क्या रहा है? हंगामा और सिर्फ हंगामा। इसके लिए आप किसी एक को दोषी नहीं ठहरा सकतें, जितना दोष विपक्ष का हैं, उतना ही दोष सत्ता पक्ष का भी है, क्योंकि जिम्मेवारी तो सब की है।
सरयू राय कहते हैं कि इन्हीं हंगामों को लेकर, जो हंगामा आजकल दस्तुर बन चुका है, जो भी विपक्ष में रहता है, ऐसा ही करता है। इसे देखते हुए उन्होंने विधानसभाध्यक्ष से अनुरोध किया था कि वे मुख्यमंत्री तथा विभिन्न दलों की बैठक बुलाएं और विचार करें कि सदन कैसे चलेगा? सदन विधानसभा संचालन नियमावली से चलेगा या ऐसे ही चलेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि हल्ला-हो हंगामा होगा तो ऐसे में वे सदन में बैठकर क्या करेंगे? सदन में तो वे चाहते है कि बैठकर सभी की बात सुनें, क्योंकि सभी की बातों को सुनने पर जानकारी बढ़ती है, प्रश्नों और उनके उत्तरों को बारीकियों से समझने का अवसर मिलता है, पर यहां तो कुछ है ही नहीं। कुल मिलाकर कहें तो सदन की सार्थकता पर ही प्रश्न चिह्न लग रहा है।
रही बात नक्सलियों के द्वारा की जा रही ब्लास्ट और उससे हताहत हो रहे पुलिसकर्मियों और जवानों की, तो होना तो यह चाहिए कि केन्द्र और राज्य की खुफिया विभाग मिलकर इन नक्सली घटनाओं पर अंकुश लगाने में मुख्य भूमिका निभाती, क्योंकि जानकारियों के अभाव में इस प्रकार की घटनाएं घट रही है, अगर इस पर रोक नहीं लगा तो अंतिम ठीकरा इसका सरकार के ही मत्थे पर फूटेगा, इसे सभी को स्वीकार कर लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सदन की गरिमा को बरकरार रखना जरुरी है, क्योंकि फिलहाल इस संवैधानिक संस्था का अपमान हो रहा है और अपमानजनक परिस्थितयों में व्यक्ति चुनकर सेलेक्टिव रुप में यहां आता और चला जाता है। ज्ञातव्य है कि आज का दिन भी सदन में हो हंगामा होता रहा।