सुबोधकांत का दावा जल-जंगल-जमीन का मुद्दा किसी राजनीतिक दल ने नहीं जनसंगठनों ने ही जिंदा रखा
रांची के एचआरडीसी में जन घोषणा पत्र पर विमर्श के लिए आयोजित एकदिवसीय सेमिनार को संबोधित करते हुए कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने कहा कि जल–जंगल–ज़मीन का मुद्दा सामाजिक संगठनों ने ही जिंदा रखा है। सीएनटी–एसपीटी एक्ट में संशोधन के प्रस्ताव को जन–संगठनों के लड़ाई के कारण ही सरकार को वापस लेना पड़ा।
सुबोधकांत सहाय ने 31 सूत्री घोषणा पत्र का समर्थन करते हुए कहा कि अगर राजनीतिक पार्टी के अध्यक्षों को इन मुद्दों पर सहमति है, तो चुनाव पूर्व जनता को लिखित वादा करें, क्योंकि सत्ता का चरित्र ही ऐसा है की सरकारें, अंत में पूजीपतियों के साथ खड़ी हो जाती है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. हसन रजा ने कहा कि आज सबसे बड़ा मसला लोकतंत्र और हिंदुस्तानियत का है। दोनों को एक दुसरे से ताकत मिलती है। उन्होंने इस बात से असहमति जताई कि जिस क्षेत्र में जिसकी संख्या ज्यादा है, उसे ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। मसलन यह बात गलत है कि अगर यहाँ मुसलमान की आबादी ज्यादा है तो किसी मुसलमान को ही उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। ऐसी मांगो से हिंदुस्तानियत कमजोर होती है। महत्वपूर्ण यह होना चाहिए की उम्मीदवार योग्य हो, जिसके अन्दर समाज के सभी वर्गों को साथ ले कर चलने और उनकी समस्याओं को हल करने की काबिलियत हो।
दयामनी बरला ने कहा कि झारखंड को बचा के रखने में यहाँ के जन–आन्दोलनों एवं जनता का संघर्ष का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है। जन–आन्दोलनों के नेतृत्व ने हमेशा जन–जन की आवाज़ को बुलंद कर सरकार की जन–विरोधी नीतियों को हरा कर झारखंड को अब तक बचा कर रखा है। ऐसे में आज की तारीख में जनता की आवाज़ को मज़बूत कर उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए जन–आन्दोलन के सदस्यों को आने वाले चुनाव में महागठबंधन में उचित प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी सदस्यों ने घोषणा–पत्र में सम्मिलित सभी 31 मांगो का अनुमोदन किया।
अन्य वक्ताओं में अलोका कुजुर (एनएपीएम), लोथर तोपनो (पहड़ा राजा), सुशीला टोपनो (ग्राम सभा आन्दोलन), प्रेमचंद मुर्मु (आदिवासी बुद्धिजीवी मंच), एस अली (आमया), नदीम खान (एआईपीएफ), रतन तिर्की (टीएसी के सदस्य), थियोडोर किरो (आदिवासी सेंगेल आन्दोलन के अध्यक्ष), शैलेन्द्र जी, फैसल अनुराग, बलराम, जेम्स हेरेंज, एवं ज्यां द्रेज़ प्रमुख रुप से शामिल थे।