CM के करीबी सुनील ने प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाई, इधर चैनलवालों ने विपक्षी नेताओं का कद किया बौना
दिन शनिवार। स्थान राजधानी का आलीशान होटल। कार्यक्रम एक खबरिया चैनल का। रघुवर सरकार के सहयोग से सायंकाल शुरु हुए इस कार्यक्रम में होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास के होनहार प्रधान सचिव सुनील कुमार वर्णवाल की इन्ट्री के साथ ही आयोजक बाग-बाग हो गये।
अगली पंक्ति में सोफे पर पहले से आसीन नगर विकास मंत्री सी पी सिंह के संग संयोजकों ने बर्णवाल को आसन ग्रहण करा दिया। उनके ठीक पीछे की पंक्ति में इसके पहले आयोजक मंडली मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी अरुण कुमार सिंह को बैठा चुकी थी, उनके बगल में पद्मश्री धारक अशोक भगत, विधायक कुणाल षाड़ंगी और विधायक सुखदेव भगत को बैठाया गया था।
इसी बीच पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी और पूर्व शिक्षा मंत्री बंधु तिर्की आये तो मंत्री सी पी सिंह ने खड़े होकर बाबू लाल मरांडी का अभिवादन किया, जबकि होनहार मुख्यमंत्री रघुवर दास के होनहार सचिव सुनील कुमार बर्णवाल ने बहुत संकोच करते हुए अभिवादन करने को उठे। बाबू लाल मरांडी और बंधु तिर्की को भी पिछली पंक्ति में जगह दी गई।
ज्ञातव्य है कि होनहार सुनील बर्णवाल, जो महज सचिव स्तर के जूनियर अधिकारी है, अकड़ के साथ सबसे आगे बाले सोफे पर जमे रहे। इधर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी अरुण कुमार सिंह को यह बात नागवार गुजरी और वे इस कार्यक्रम से धीरे से दूरियां बनाई और चलते बने, क्योंकि सवाल प्रोटोकॉल का था।
इधर अरुण कुमार सिंह को पीछे बैठा देख, उस आलीशान होटल में हो रहे कार्यक्रम के दौरान भुनभुनाहट शुरु हो गई थी, विधायकगण भी भौचक थे, लेकिन मुख्यमंत्री के करीबी होने के नशे में चूर सुनील बर्णवाल को इससे क्या मतलब?
इधर कल के इस कार्यक्रम से एक बात यह भी साफ हो गया कि आसन्न चुनाव को देखते हुए राज्य सरकार ने विभिन्न राष्ट्रीय व क्षेत्रीय चैनलों के लिए मुंहमांगी रकम, वह भी विज्ञापन के माध्यम से देने का मन बना लिया है, जिसका प्रथम चरण कल संपन्न हुआ, जिसे पाने के लिए कल एक चैनल ने खुब दिमाग लगाई और सुनील के साथ मिलकर “राइजिंग झारखण्ड” नाम से एक कार्यक्रम करा डाला, जबकि झारखण्ड की जनता खूब जानती है कि झारखण्ड कितना आगे बढ़ा है, अगर ये आगे बढ़ा होता, तो यहां के किसान आत्महत्या नहीं कर रहे होते और न ही कोई बालिका भूख से मर रही होती, और न ही साढ़े छः हजार रुपये के नियुक्ति के नाम पर ऑफर लेटर वह भी मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर बंट रहे होते।
दरअसल इन चैनलवालो और राज्य में सत्ता संभाल रही होनहार रघुवर सरकार को राज्य की जनता के दुख-सुख से क्या मतलब? इन दोनों को राज्य की जनता को उल्लू बनाकर झारखण्ड के धन से ऐश करने की है, जो ये कर भी रहे हैं, आश्चर्य तो यह भी इन सभी कार्यक्रमों को देखने पर होता है कि राज्य के सम्मानित राजनीतिज्ञ भी ऐसे कार्यक्रमों में जाकर अपना सम्मान लूटवा लेते हैं, पर इन्हें शर्म भी नहीं होता, कि उनकी इज्जत को इन चैनल के लोगों ने फलूदा बना दिया हैं, पर शायद ये इस डर से इन कार्यक्रमों में शामिल होते हैं कि अगर इनके कार्यक्रम में नहीं गये तो ये उनका समाचार नहीं दिखायेंगे। अब जिस राज्य का नेता इतना कायर हो, उससे राज्य के भले की उम्मीद क्या की जा सकती है?
यहां के राजनीतिज्ञों को, खासकर विपक्षी दलों के नेताओं को कां. ए के राय से सीखना चाहिए, एक दिन धनबाद के जिला परिषद कार्यालय में मार्क्सवादी समन्वय समिति की सभा चल रही थी, तभी कुछ फोटोग्राफरों ने मंच पर उपस्थित ए के राय से कहा कि वे थोड़ा हाथ उठाकर हिलाए, उन्हें एक फोटो लेनी है, तुरंत ए के राय ने कहा कि तुम्हे फोटो लेना हैं लो, नहीं लेना है मत लो, पर जो तुम कहोगे, वो हम नहीं करेंगे। काश यहां के राजनीतिज्ञ का. ए के राय से ये बात सीखे होते, तो उनकी दुर्दशा नहीं ही होती, पर होता क्या है? विभिन्न चैनलों के चिरकुट जैसे लोग इनकी इज्जत भी लूटते हैं, पर इन्हें पता तक नहीं चलता, इससे बड़ी शर्मनाक बात और क्या हो सकती है?
Bjp ko ghamand hai ki ab koi kucch nahi kar sakta.kyun ki pawor me itna ghamand ho gaya hai ki ye bhool gaye hai ki Ravan ka ghamand nahi chala to kisi our k kya chalega
शर्मनाक,दुःखद,झारखण्ड कु दुर्गति..।