सुप्रियो ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को खूब खरी-खोटी सुनाई, मीडिया को लताड़ा, भाजपा तथा केन्द्र को खुली चुनौती दी, कहा कि वे इनकी करतूतों के खिलाफ जल्द ही श्वेत पत्र जारी करेंगे
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन में राज्यपाल को खूब खरी-खोटी सुनाई। यहीं नहीं भाजपा और मीडिया को भी खूब लताड़ा। सुप्रियो ने कहा कि भाजपावाले कहते है कि न खाउंगा, न खिलाउंगा, केवल अडानी का पेट भरुंगा, जो भारत ही खा गया वो आदमी, तब कौन खायेगा, नहीं खायेगा। उन्होंने मीडिया को भी लताड़ा।
सुप्रियो ने कहा कि जो सत्य है, उसे विचलित होने मत दीजिये, बहुत सहा है। आपका प्रसारण भी हमें व्यथित किया है। आपलोगों में भी भाजपा के पाप है। वो आपके यहां घुलकर आपके प्योर वाटर को दूषित कर रहा है। विवेक से काम लीजिये। भाजपा की चम्पी मत करिये, यहां चम्पई सोरेन आ गये हैं।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हेमन्त सोरेन के साथ जो भी 31 जनवरी को घटना घटी उसके मुख्य किरदार कई लोग बने। उस घटना को रुपांतरित करने में प्रवर्तन निदेशालय का सभी ने सहारा लिया। जिसे सभी ने देखा, संवैधानिक प्रमुख ने भी देखा। राज्य 40 घंटे तक अनिर्णय की स्थिति में था। अभिभावकहीन था। कार्यकारी प्रमुख कोई नहीं था। केवल और केवल असंवैधानिक साजिश रची गई। ऐसा माहौल भी देखा गया कि कही राज्यपाल की नौकरी न चली जाये, राज्यपाल की स्थिति और जो उनके द्वारा घटनाक्रम हुआ। उसके बाद उनका दिल्ली जाना, बता दे रहा है कि भाजपा और केन्द्र की सत्ता कितनी डरी हुई है।
सुप्रियो ने कहा कि सच्चाई यह है कि भाजपा के राष्ट्रीय और प्रदेशस्तर के कई नेता उन्हें व्यक्तिगत तौर पर अब शोक संवेदना प्रकट कर रहे हैं कि जो भी हेमन्त सोरेन के साथ हुआ है, वो सही नहीं हुआ, ऐसा नहीं होना चाहिए था। उन्होंने कहा कि चार करोड़ राज्य की जनता केन्द्र व भाजपा के इस व्यवहार से दुखी है। आज हर चौक-चौराहे, सरकारी कार्यालय, हाट-बाजार, गांव-शहर सभी जगह एक ही चर्चा है। सभी का एक ही वक्तव्य है कि हेमन्त सोरेन के साथ गलत हुआ। ऐसा नहीं होना चाहिए था, लेकिन ऐसा हुआ।
सुप्रियो ने कहा कि हम तो 29 दिसम्बर 2019 से ही देख रहे हैं, जब हेमन्त सोरेन ने सीएम की शपथ ली थी। ये हेमन्त सोरेन को स्वीकार करने को तैयार ही नहीं थे। 2014-19 के बीच जब इनकी सरकार थी, तभी से ये राज्य के अस्तित्व को मिटाने और विघटित करने की परिकल्पना कर रहे थे। ये राजनीतिक ढीठ लोग का एक ही सूत्री कार्यक्रम है कि जनता ने आशीर्वाद दिया तो ठीक है और अगर आशीर्वाद नहीं दिया तो भी सरकार हर हाल में बनाओ। उदाहरण के लिए पहले कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र में सभी ने देखा और ताजा उदाहरण बिहार है।
सुप्रियो ने कहा कि इनका चोर दरवाजे से सत्ता प्राप्त करना, साजिश बुनना, यही काम रह गया है। उन्होंने कहा कि आज 72 घंटे हो गये। रिमांड भी आ गया। क्या लोगों को पता चला कि गिरफ्तारी की धारा क्या लगी है? क्या लोगों को पता चला कि डाक्यूमेंट्री एविडेंस क्या है? उनको तो केवल हेमन्त सोरेन को गिरफ्तार करना था। कर लिये। वे कर ही क्या सकते हैं, गिरफ्तारी करेंगे, केस बनायेंगे, ताकि हेमन्त जेल में ही रहे।
सुप्रियो ने कहा कि वे हेमन्त सोरेन को सशरीर जेल में रख सकते हैं। लेकिन लोगों के दिलों से कैसे निकालेंगे। लोग आज भी नहीं भूले है कि कैसे कोरोना के समय हेमन्त सोरेन ने लोगों को हिम्मत दी। उनके लिए जीविका बनकर आये। उन्होंने कहा कि आम तौर पर जब कोई मुख्यमंत्री इस्तीफा देता है तो राज्यपाल कहता है कि जब तक नई सरकार का गठन नहीं हो जाता, आप कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रुप में काम करते रहे। अब राज्यपाल बताए कि जब हेमन्त सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया तो क्या उन्होंने उनसे ऐसी बात कही थी या अधिसूचना जारी की थी?
सुप्रियो ने कहा कि हमारे पार्टी के नेता ने उसी वक्त अपना नया नेता भी चुन लिया था और नई सरकार की गठन के लिए उन्हें समर्थन दे रहे 47 विधायकों की सूची भी थमा दी थी। उसके दूसरे दिन भी हमारी पार्टी के नेता ने सूची थमाई। फिर उस वक्त कौन ऐसी शक्ति थी, जो राज्यपाल को सरकार बनाने का निमंत्रण देने से रोक लगा रही थी। उन्होंने कहा कि वे जानते हैं कि भाजपा के लोग कायर और बुजदिल हैं। वे राष्ट्रपति शासन लगा ही नहीं सकते थे। क्योंकि यह झारखण्ड वीर शहीदों की भूमि है।
सुप्रियो ने कहा कि राज्यपाल ने उस दौरान बहुत बड़ी गलती की। कार्यपालिका का उस वक्त कोई अभिभावक नहीं था। अगर कोई बड़ी आपदा आती तो कौन उस वक्त निर्णय लेता। क्या शासन व्यवस्था कायम थी। राज्यपाल मौन रहे। जब आक्रोश देखा तो भाजपा को सांप सूंघा। राज्यपाल ने चम्पई सोरेन को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया और कहा कि जो हेमन्त सोरेन ने लकीर खींची है, उस लकीर पर सरकार को चलाइये।
सुप्रियो ने कहा कि दरअसल जिसका दिल काला है, वो कितना भी अपने दिल को साफ करने की कोशिश करें, कुछ न कुछ काला रह ही जाता है। उन्होंने राज्यपाल से सवालिया निशान में पूछा कि राज्यपाल महोदय आपने कैबिनेट के निर्णय के बाद अपनी सहमति दी थी कि नौ तारीख से बजट सत्र आहूत करें। क्या आप भूल गये थे कि उस समय कैबिनेट नहीं हैं, क्या आपको कोई छड़ी दिखा रहा था। आपने किस आधार पर कहा कि बहुमत सिद्ध करना है। आज तो कोर्ट ने भी कह दिया कि पांच को हेमन्त सोरेन एसेम्बली में रहेंगे। तो फिर विश्वास मत किस बात का। अरे जो 31 तारीख को जो लोग साथ में थे, वे आज भी साथ में हैं। अरे भाजपा को हिम्मत हैं तो वो अविश्वास प्रस्ताव सदन में क्यों नहीं लाती?
सुप्रियो ने कहा कि हमें मालूम हैं कि भाजपावाले एक शब्द भी अब बाहर निकालेंगे तो जनता इनका मुंहतोड़ जवाब देगी। उन्होंने कहा कि लगता है कि राज्यपाल नीतीश कुमार से ज्यादा ही कुछ प्रभावित है। सुप्रियो ने कहा कि हमलोग जल्द ही एक श्वेत पत्र जारी करेंगे। कि कब-कब, क्या-क्या हुआ? क्या-क्या अनलॉफुल पॉलिटिकल एक्ट किया गया। ये लोग बहुत यूएपीए करता है न। हम इसके साथ डाक्यूमेंट्री एविंडेंस तक लायेंगे।