राजनीति

इलेक्टोरल बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गरजे सुप्रियो, कहा अब ED का कलेजा देखना है कि वो कब PM मोदी, अमित शाह, जेपी नड्डा और अडानी को रिमांड पर लेने जा रहा है

और अब सीना तानकर घुमनेवाला ईडी, अब तुम्हारा पीएमएलए एक्ट 50 कहां जायेगा? अब बताओ ईडी एक बार तो …. को छोड़ा था, पीएमएलए में, जब गुजरात के उर्जा विभाग का पैसा लौटाया था। अब आयेगा न अडानी, रहेगा न रिमांड पर। है हिम्मत ईडी में। 13 मार्च के बाद चुनाव आयोग के वेबसाइट पर ईसीआर लें और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, वर्तमान जेपी नड्डा और गौतम अडानी को डाले रिमांड पर। देखेंगे ईडी का कलेजा। ये वक्तव्य है, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य का, जब वे रांची में संवाददाताओं को संबोधित कर रहे थे।

सुप्रियो का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये इलेक्टोरल बॉन्ड पर ऐतिहासिक फैसले ने भाजपा की नींद उड़ा दी होगी। जब चुनाव की अधिसूचना जारी होगी, तब चुनाव आयोग बतायेगा कि देश बेचने का काम किसने किया? देश बेचनेवालों और देश खरीदनेवालों को लोग अब जान सकेंगे। लेकिन सुप्रियो ने यह भी कहा कि उन्हें इस बात का डर है कि ऐसा हो पायेगा, क्योंकि भाजपावाले अपनी बदनामी को देखते हुए, खुद को बचाने के लिए एक अध्यादेश लायेंगे, क्योंकि अब तो संसद का सेशन भी खत्म हो चुका है और वे अध्यादेश लाकर कहेंगे कि वे सुप्रीम कोर्ट के आदेश को बदल रहे हैं।

सुप्रियो ने भाजपा को चोरों की जमात की संज्ञा देते हुए कहा कि यह चोरों की जमात अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसलें को बदलने की कोशिश करेंगे। सुप्रियो ने कहा कि अब तक जितने भी इलेक्शन बॉन्ड हुए हैं। जाहिर है कि उसमें झामुमो, कांग्रेस, वामदल, सपा, राजद, जदयू आदि देश व राज्य के सभी छोटे-बड़े दल शामिल होंगे। सबकी राशि जनता को पता होना चाहिए।

सुप्रियो ने कहा कि चुनाव के पूर्व सुप्रीम कोर्ट द्वारा इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर दिया गया आज का फैसला ने बता दिया कि यह योजना भाजपा की ओर से काले धन को सफेद करने की योजना थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक बताकर निरस्त कर दिया। सुप्रियो ने कहा कि जब 2014 में इनकी सरकार बनी थी। उसके बाद इनका सिर्फ एक ही दायित्व रहा कि कैसे पूंजीपति वर्ग की रक्षा हो।

2012 के बाद विशेषकर 2013 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने पूरे देश में भ्रमण किया। उस भ्रमण के दौरान एक समूह का वाहन वे इस्तेमाल करते थे। उस उद्योग समूह का नाम था अडानी और 2014 में सरकार बनाने के बाद इन्होंने उसके बदल में अडानी जो उस वक्त देश के सबसे बड़े उद्योग समूह में सबसे नीचले पायदान पर थे, उसे देश के तीन बड़े पूंजीपतियों के बीच में ला खड़ा करने का काम इन्होंने किया। इसके लिए इन्होंने तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को टास्क दिया और कहा कि भाजपा का पेट भरे या नहीं भरे लेकिन अडानी का ख्याल रखना है।

सुप्रियो ने कहा कि 2017 में पार्लियामेंट में इलेक्टोरल बॉन्ड का एक बिल पेश होता है। भाजपाइयों द्वारा इसे क्रांतिकारी कदम बताया जाता है। चूंकि 2016 में नोटबंदी पूरी तरह विफल हो चुकी थी। उन्हें इसे ढकना भी था। इसलिए भारतीय स्टेट बैंक को कहा गया कि वो इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करेगी। जिसे कोई भी खरीद सकता है, उस क्रेता का नाम एसबीआई किसी को नहीं बतायेगा। ठीक उसी प्रकार इस बॉन्ड को कोई भी किसी को बेच सकता है, वह भी किसी का नाम उजागर नहीं करेगा।

सुप्रियो ने कहा कि जिस वक्त ये बॉन्ड जारी हुआ। उसी वक्त उनकी पार्टी ने इसे मनी लॉन्ड्रिंग की संज्ञा दी थी। धन शोधन का मामला बताया था। पॉलिटिकल पार्टी के कहने के बाद आरबीआई के तत्कालीन गवर्नर ने भी कहा था कि इसे रेगूलेशन में दिक्कते होंगी। इसी पर चुनाव आयोग ने भी कहा था ये अव्यवहारिक है। जब इसको सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिली तो उस वक्त भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इससे पारदर्शिता समाप्त हो जायेगी।

सुप्रियो ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस बयान के बावजूद भी भाजपा कहा माननेवाली थी। ये तो मस्तान है। उनके बाहू में दम हैं। लोकसभा में बहुमत उनकी। 2018 से इसे एक अप्रैल से लागू करना था। लेकिन ये क्या, इधर कर्नाटक में विधानसभा के चुनाव होनेवाले थे। भाजपाइयों ने इसे मार्च में ही लागू कर दिया। सुप्रियो ने कहा कि इस इलेक्टोरल बॉन्ड पर आरटीआई द्वारा सूचना मांगी गई तो बताया गया कि यह आरटीआई के दायरे से बाहर हैं, मतलब चोरी और सीनाजोरी दोनों यहां देखने को मिला।

लेकिन आज पांच न्यायाधीशों की खंडपीठ ने इसे अंसवैधानिक बताते हुए सरकार के तमाम कुतर्कों, कंपनी एक्ट में किये गये बदलावों, आईटी एक्ट में किये गये बदलावों, पीपुल प्रजेन्टेंशन एक्ट में किये गये बदलावों तक को खारिज करते हुए एसबीआई को कहा कि आप तीन महीने के हफ्ते के अंदर सभी का नाम जारी करके सूचना, चुनाव आयोग को भेजिये और चुनाव आयोग के वेबसाइट पर 13 मार्च तक नाम आ जाने चाहिए कि अब तक कितने बॉन्ड हुए, कितने दलों को बॉन्ड हुए, जाहिर है कि इसमें कई दल होंगे। इन सभी दलों के राशि उसे बताने होंगे।