सुप्रियो ने कहा, भाजपा का ‘एक देश एक चुनाव’ का प्रस्ताव, संविधान की हत्या ही नहीं, बल्कि यह बाबा साहेब की भारत गणराज्य की परिकल्पना की भी हत्या, संविधान के पहरेदारों को आज एक साथ आने की जरुरत
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज प्रेस काफ्रेंस में कहा कि कल मोदी सरकार द्वारा कैबिनेट में एक देश एक चुनाव पर लिया गया निर्णय, लोकतंत्र के विरुद्ध काला निर्णय है। शायद इन्हीं सभी बातों को लेकर बाबा साहेब अम्बेडकर ने आशंका व्यक्त करते हुए कभी कहा था कि यह देश कहीं ऐसा नहीं कि सामाजिक लोकतंत्र को खोकर अधिनायकवादी न बन जाये, तानाशाही न बन जाये। संविधान की 75 वीं वर्षगांठ पर यह गूंज निकल कर आया है।
सुप्रियो ने कहा कि संविधान की पाठ बीस, आर्टिकल संख्या 368 में कहा गया है कि संविधान के ढांचे में, संशोधन में एक तो कोई मूलभूत परिवर्तन नहीं होगा, लेकिन यदि होता है तो वो भी दो-तिहाई सदस्यों, जो संविधान के तहत लोकसभा व राज्यसभा है, उस सदन से उनके द्वारा पारित होना चाहिए और उसका रेफ्रेंडम राज्य के तीन-चौथाई राज्यों के द्वारा होना चाहिए। लेकिन कैबिनेट के प्रस्ताव को देखने से पता चलता है कि तीन-चौथाई क्या और 75 प्रतिशत क्या, यहां तो पचास प्रतिशत की भी आवश्यकता नहीं समझी जा रही।
सुप्रियो ने कहा कि यही सबसे पहला खतरा है और दूसरा खतरा यह है कि संविधान के पार्ट छः, जिसमें आर्टिकल 168 से 212 तक राज्यों की अवधारणा की बात कही गई हैं। जिसमें राज्यों को केन्द्र की तरह कुछ विशेषाधिकार दिये गये हैं। कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। ऐसे में एक देश एक चुनाव संविधान की हत्या है। बाबा साहेब की भारत गणराज्य की परिकल्पना की हत्या है।
सुप्रियो ने कहा कि आर्टिकल 333 कहता है कि सदन, एक सदन से दूसरा सदन अधिकतम छः माह के अंदर ही बुलाना पड़ेगा। मतलब आप आर्टिकल भी समाप्त करने जा रहे हैं, क्योंकि जिन जगहों पर 2025, 2027, 2028 में चुनाव होगा, क्या उन राज्यों का कार्यकाल एक साल या दो साल का होगा? और बाकी समय राष्ट्रपति शासन लगा रहेगा। ये कौन सा ख्वाब है? क्या ये संघीय ढांचे पर आघात नहीं होगा?
सुप्रियो ने कहा कि हम जानते हैं कि कुछ कानून बनाने का अधिकार केन्द्र को हैं तो कुछ राज्य सरकारों को भी हैं। ऐसा करने से क्या ये राज्यों की शक्तियां समाप्त नहीं हो जायेंगी? क्या ये क्षेत्रीय पार्टियों को समाप्त करने की एक बड़ी साजिश नहीं हैं? जैसे आपने शिवसेना को तोड़ा और खा गये, एनसीपी को तोड़ा और खा गये। क्या यही खेल सभी जगह चलेगा? अगर ये सही है तो इसका मतलब है कि हमलोग एक भयानक अंधेरे की ओर जा रहे हैं और ये पूरी कार्रवाई भारत के बुनियादी सवालों से मुंह मोड़ने के लिये हैं।
सुप्रियो ने कहा कि वे जानते हैं कि आनेवाला वर्ष 2025 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष है। इसी के साथ इनका प्रवाह भी बढ़ रहा है। हमने अपने राज्य में इस प्रवाह को रोका है और वे चाहेंगे उन छोटी पार्टियों को जो भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। वे इस खतरे को महसूस करें। लोकतंत्र के पहरेदारों को अब इस मुद्दे पर एक साथ आने की भी जरुरत हैं, ताकि इस फैसले पर रोक लगाई जा सकें।