सुप्रियो का बयान अगर भाजपा के शासन में नोटबंदी इसी तरह चलती रही तो जनता 75, 150, 350, 675 रुपये के नये नोट भी झेलने को तैयार रहे
आज आतंकवाद विरोधी दिवस है। आज पूरा देश सांप्रदायिकता, धार्मिकता, प्रांतीयता, शत्रुदेश द्वारा आयोजित आतंक से निपटने को पूरी तरह तैयार है, पर जब देश की केन्द्र सरकार ही संपोषित आतंकवाद को जन्म देने में लगा हो, तो देश को कौन बचा सकता है? ये बातें आज झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्या ने संवाददाता सम्मेलन में कहीं।
सुप्रियो देश में शुरु हुई दो हजार रुपये की नोटबंदी को लेकर आक्रोशित थे और इसके लिए केन्द्र सरकारी की कड़ी आलोचना कर रहे थे। उनका कहना था कि एक बार फिर केन्द्र की सरकार ने उन महिलाओं के सपनों पर कुठाराघात किया है, जो अपने घर में आनेवाली विपत्तियों को देखते हुए, उससे छुटकारा पाने के लिए, एक बेहतर कल के लिए कुछ रुपये सभी से बचाकर छुपाकर रखती है। पहले हजार का नोट रखती थी, अब दो हजार का रखने लगी, क्योंकि ज्यादा बड़े रुपये ही वो छुपाकर रखती है, ताकि समय पर काम आ सकें, एक बार फिर उन महिलाओं पर केन्द्र ने जूल्म कर डाला, इससे साफ पता चलता है कि केन्द्र सरकार महिला विरोधी भी है।
उन्होंने कहा कि पहली बार 8 नवम्बर 2016 को रात्रि 8 बजे देश में केन्द्र सरकार द्वारा देश पर आर्थिक आतंकवाद का बड़ा हमला हुआ। आर्थिक आतंकवाद के उस हमले में लगभग दो लाख से भी ज्यादा मंझौले, छोटे और अनआर्गेनाइज्ड सेक्टर के जो एम्पलायमेंट के यूनिट थे, जैसे एसएसआई, एमएसएमई, कॉटेज इंडस्ट्रीज, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्रीज, फिल्म इंडस्ट्रीज, जिसमें करोड़ों लोगों का रोजगार था, उस रोजगार पर बड़ा हमला हुआ था, वो हमला नोटबंदी के कारण ही था।
केन्द्र सरकार द्वारा अचानक से काला धन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद को हवाला देते हुए पांच सौ और हजार रुपये के नोट की वैधता समाप्त कर दी गई थी, उसके बाद 50 दिनों का एक वक्त दिया गया था, आपके पास ऐसे नोट हैं तो आप इसका विनिमय करवा लें, उसमें भी एक सर्टेन सलेब्स दिया गया था, जैसे एक बार में दो हजार रुपये ही ले सकते हैं, एटीएम से पांच सौ रुपये ही निकाल सकते हैं, ऐसी कई चीजें की गई, पूरे देश में ऐसा लगा कि गदर मच गया, भ्रष्टाचार रुक गया, आतंकवाद समाप्त हो गया, पर उस दौरान हमलोगों ने कहा था कि भ्रष्टाचार की उत्पति-गंगोत्री जो भाजपा है, अगर वो भ्रष्टाचार पर बात करें, तो वो हास्यास्पद लगता है।
यदि हजार रुपये से भ्रष्टाचार होता है, काले धन का संचय होता है, तो क्या उसके लिए दो हजार वैध होगा। सुप्रियो ने व्यंग्य करते हुए कहा कि मालूम नहीं कि हार्डवर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक थे पीएम मोदी या क्या थे, उन्होंने उस वक्त क्रांति ला दिया था। उस वक्त देश का रिजर्व बैंक चुप था, वित्त मंत्री चुप थे और एक इकोनॉमी डिजास्टर को एक पॉलिटिकल व्यक्ति संबोधित कर रहा था।
आज जब पिछले 19 तारीख को आरबीआई ने कहा कि काला धन को समाप्त करने के लिए जरुरी है दो हजार के नोट को बैन करने की, वो धीरे-धीरे बैन हो जायेगा अर्थात् लगभग एक सौ तीस-पैतीस दिनों में काला धन समाप्त हो जायेगा। मतलब, नौटंकी की भी हद होती है, भाजपा के नेता कहते हैं, क्योंकि अमरीका में सौ डालर मिलते हैं, तो यहां दो हजार रुपये का नोट हो सकता है, हमलोगों को यह डेटा मालूम है, केवल 20 हजार करोड़ रुपये लगे थे दो हजार नोट को छापने। और ये छह साल में वे 20 हजार करोड़ रुपये जनता के डूब गये।
सुप्रियो ने कहा कि उन्हें तो लगता है कि ये फैसला, जब पीएम विदेश में हैं, जो आरबीआई ने लिया है, जिसके बारे में वित्त मंत्री का एक भी बयान नहीं आया। ये फैसला आनेवाले चार राज्यों में जहां चुनाव होने हैं, जैसे- तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश व राजस्थान, इसी को लेकर किया गया है. क्योंकि कर्नाटक में तो सब कुछ करे के, वे जीत नहीं पाये। अब ये इन्होंने नया पैतरा दिया है।
सुप्रियो ने कहा जो नोट वापस होंगे, ये किनके द्वारा किये जायेंगे, ये सार्वजनिक होने चाहिए, क्योंकि इसके बाद कम से कम वो हजार वाला से कम ही के पास दो हजार के नोट होंगे, उनकी सूची उपलब्ध कराई जा सकती है। उन्होंने कहा कि अद्भुत स्थिति हैं, इस देश में, लगता है कि कुछ दिनों में ये पांच सौ रुपये के नोट भी बंद होनेवाले हैं।
उन्होंने कहा कि जो आदमी दो हजार की नोटबंदी कर सकता है, वो पांच सौ का भी कर सकता है, फिर ये धंधा बना लेंगे फिर दो सौ का बंद होगा, सौ का बंद हो जायेगा, नया कुछ नोट आयेगा और इनकी जगह आयेंगे 75, 150, 350, 675 रुपये के नोट। यानी इस सरकार ने जब सब कुछ बेच दिया तो अब टकसाल बेचने की तैयारी है। यही पर रिलायंस समूह का बीआरबी है, बंगाल में, जो सौ, दो सौ का नोट छापती है, अब अम्बानी जी का भी टकसाल शुरु होने जा रहा है, ये सारा खेल उन सब का है।