रघुवर सरकार का देखो खेल, पूरा सिस्टम हो गया फेल
रघुवर सरकार 1000 दिन पूरे करने जा रही है। मुख्यमंत्री राज्य के आलाधिकारियों के साथ बैठकें कर रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि अधिकारियों को वह बता रहे है कि जो काम 14 साल में नहीं हो सके, वो 1000 दिन में पूरे हो गये। इस अवसर पर बड़ा-बड़ा किताब छपवाया जा रहा है, बड़े-बड़े होर्डिंग टांगने की व्यवस्था की जा रही है, बड़े-बड़े विज्ञापनों से चैनलों और अखबारों को मुंह बंद करने की योजना पर भी काम हो रहा है। जो बड़े-बड़े पत्रकार रघुवर दास की बिरदावली गाने के लिए प्रसिद्ध है, उन्हें इस बार विशेष उपहार देने की भी योजना बन रही हैं।
पहले की तरह एक बड़ा कार्यक्रम इस अवसर पर आयोजित करने की योजना है। 11 सितम्बर को केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को बुलाने की योजना है, जो रांची में एक आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे, जबकि 22 सितम्बर को दुमका में केन्द्रीय मंत्री राजनाथ सिंह आयेंगे और रघुवर सरकार की आरती उतारेंगे, पीठ थपथायेंगे, बतायेंगे कि देश में अगर कोई मुख्यमंत्री हुआ तो सिर्फ और सिर्फ रघुवर दास हुआ, दूसरा कोई हुआ ही नहीं। इसके पूर्व 9 सितम्बर को भारत के उपराष्ट्रपति यानी पूर्व में भाजपाध्यक्ष रह चुके, कई केन्द्रीय मंत्रालय संभाल चुके वेंकैया नायडू पहुंचेगे, जो रांची स्मार्ट सिटी का शिलान्यास करेंगे। जिसमें राज्य के स्मार्ट नागरिक रहेंगे, जिसे झारखण्ड की अन्य जनता आकर, इन सबका दिव्य दर्शन करेगी और अपने को धन्य-धन्य कर लेगी।
रघुवर सरकार के 1000 दिन पूरे होने के उपलक्ष्य में, इनके अधिकारियों का दल अपनी उपलब्धियों को इस प्रकार बतायेगा कि उनके कुकर्मों के कारण…
- राज्य के कई किसानों ने आत्महत्या कर ली।
- कई लड़कियां, महिलाएं बलात्कार का शिकार हुई, पर उन बलात्कारियों को आज तक पुलिस ढूंढ तक नहीं पायी।
- भीड़तंत्र स्वयं कानून हाथ में लेकर दर्जनों मासूमों को अपनी हैवानियत का शिकार बना डाला।
- ऑन लाइन कृषि बाजार की योजना फेल हो गई।
- कैशलेस झारखण्ड बनाने की योजना की हवा निकल गई।
- कृषि सिंगल विंडो और उद्योग जगत के लिए बना सिंगल विंडो सिस्टम दांत निपोड़ रहा है।
- बाहर की अयोग्य कंपनियों को बुलाकर हाथी उड़वा दिया, मोमेंटम झारखण्ड के दौरान ऐसा विज्ञापन निकाला कि इन्हीं का एक मंत्री अमर बाउरी को पुलिंग से स्त्रीलिंग और झारखण्ड के मानचित्र को बंगाल की खाड़ी तक पहुंचा दिया, यहीं नहीं राष्ट्रपति और राज्यपाल का नाम गलत लिखा वो अलग।
- जातिवाद का बीज बोने और स्वजाति सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बिहार, महाराष्ट्र और छतीसगढ़ का दौड़ लगाया। वह भी पं. दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशताब्दी वर्ष में और बात करेंगे सामाजिक समरसता का, सामाजिक सद्भाव का।
- पूरा सिस्टम फेल हो गया, न जाति प्रमाण पत्र बन रहे हैं, न स्थानीय प्रमाण पत्र, अब जनाब को स्वयं इन प्रमाण पत्रों को बनवाने के लिए सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चलाना पड़ रहा है। जिस दिन जनाब, जिस इलाके में दिखाई पड़ते है, उस इलाके में एक – दो का प्रमाण पत्र बन जाता है और फिर इनके जाते ही, उस इलाके की हालत पुर्नमुषिको भव वाली हो जा रही हैं।
- कभी मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था “रघुकुल रीति सदा चलि आई”, आज सीएनटी-एसपीटी मुद्दे पर इस श्रीरामचरितमानस चौपाई की गरिमा को भी राज्य के मुख्यमंत्री ने प्रभावित कर दिया। पूरे प्रदेश में सीएनटी-एसपीटी मुददे पर मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की छवि पर बदनुमा दाग लगा, और कहते है कि जो उन्होंने किया, वो किसी ने नहीं किया।
- पूरा देश देख रहा है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवा का क्या हाल है? एक पिता को अपने मासूम की लाश ढोने के लिए उसे एंबुलेंस नहीं मिलता, पिता अपने बेटे की लाश अपने कंधे पर ढोता है, एक रुपये की दवा भी उसे नसीब नहीं होती, मात्र एक रुपये की दवा नहीं मिलने से एक पिता अपना बच्चा खो देता है।
- एमजीएम में चार माह में 164, रिम्स रांची में 29 दिन में 140 बच्चे मर गये, पर सरकार को कोई मतलब नहीं, क्योंकि इन मरे हुए बच्चों में कोई नेता या कोई आईएएस या आईपीएस का बच्चा नहीं था, क्योंकि गरीबों के बच्चे तो मरने के लिए ही पैदा होते हैं।
और सबसे बड़ी बात यह है कि अपने मुख्यमंत्री रघुवर दास को बात करने की तमीज ही नहीं, कब किसका इज्जत उतार लेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता और इधर अपने लिए नई दिल्ली में फाइव स्टार होटलवाली सुविधा युक्त झारखण्ड भवन के निर्माण की घोषणा, ये सिर्फ 1000 दिन में ही तो हुए है।
आइये आरती उतारे अपने मुख्यमंत्री रघुवर दास का, जो कभी एक जनसभा में स्वयं को रघुवर का दास यानी हनुमान बता रहे थे। आज पूरा झारखण्ड बर्बादी के कगार पर हैं, पर नेताओं, मंत्रियों, आइएएस और आइपीएस अधिकारियों की बल्ले-बल्ले हैं, क्योंकि जनाब 1000 दिन पूरे करने जा रहे हैं।
ये पोस्टर और प्लास्टिक का कचरा से शहर भर गया
,ईतना फोटों का शौक और प्रचार पर खर्चा कोउ काम का नहीं,रोड का गड्ढा भर नहीं पाते,,अधिकारी बात नहीं सुनते,,मुर्ख कनफुंकवे डूबा कर ही दम लेंगे।