चेहरा देखकर आता है CM का बयान, पूरे राज्य में सिस्टम फेल, जनता सरकार से नाराज
याद करिये 31 अक्टूबर। एक फरियादी ने गुमला की छात्रा के अपहरण का मामला मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में सीएम के समक्ष सीधी बात कार्यक्रम में उठाया था। मुख्यमंत्री इस मामले में इतने आग बबूला हो गये, कि उन्होंने सीधे गुमला के एसपी से पूछ दिया कि आपको किसने आइपीएस बना दिया? यहीं नहीं सुबह उसे खरी-खोटी सुनाई और शाम होते-होते सजा भी सुना दिया और उसे गुमला एसपी से हटाकर सीआइडी का एसपी बना दिया।
चारों तरफ सीएम की जय-जयकार होने लगी, पत्रकार सीएम पर फूल बरसाने लगे, भाजपा कार्यकर्ता सीएम की बिरदावली गाने में लग गये, पर कल यानी 28 नवम्बर को एक भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी, जिसने हेलिकॉप्टर नहीं मिलने का बहाना बनाकर, तीन महीने तक खुद सीएम से किये गये वायदे को पूरा नहीं की, उस भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी से झारखण्ड के सीएम ने क्यों नहीं पूछा कि आपको आईएएस किसने बना दिया?
अगर ये पूछते तो सीएम सचमुच में न्याय करते पर ये तो चेहरे देखकर आग-बबूला होते है, और चेहरे देखकर डायलॉगबाजी करते हैं, अगर ऐसा नहीं होता तो फिर अब तक उक्त भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी पर भी गाज गिरता, पर उस पर गाज गिराने की हिम्मत, शायद सीएम रघुवर दास में नहीं है।
हेलिकॉप्टर के आगे सीएम की बात उड़ गई हवा में
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तीन महीने पहले शिक्षा सचिव आराधना पटनायक को गढ़वा के गोपीनाथ सिंह इंटर और डिग्री कॉलेज की जांच का आदेश दिया था। कहा था कि अफसरों को लेकर तत्काल हेलिकॉप्टर से गढ़वा जाये और जांच करें, लेकिन अब तक टीम गढ़वा नहीं पहुंच पाई। बताया जाता है कि यह मुद्दा चार महीने पहले मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के तहत सीधी बात में गढ़वा के सोनू सिंह ने एक अगस्त को उठाया था।
उसने कहा था कि गढ़वा में गोपीनाथ सिंह इंटर एवं डिग्री कॉलेज एक ही भवन में चलता है, जिसे अलग-अलग दिखाकर सरकार से गलत ढंग से करोड़ों रुपये का अनुदान ले लिया गया है। यह मुद्दा एक बार फिर कल यानी 28 अक्टूबर को सीधी बात में उठा। जिस पर शिक्षा सचिव आराधना पटनायक का कहना था कि उन्हें हेलिकॉप्टर नहीं मिला, इसलिए वहां नही जा सकी।
मुख्यमंत्री रघुवर दास का इस पर बयान था कि जांच जल्दी हो, इसलिए उन्होंने हेलिकॉप्टर से गढ़वा जाने के लिए कहा था, तीन महीने हो गये, टीम पहुंची नहीं, इतने दिनों में तो कार से जाकर लौटा जा सकता था। इसके बाद फिर अाराधना पटनायक का कहना था कि हेलिकॉप्टर के लिए आवेदन दिया है, जबकि फरियादी सोनू का कहना था कि रांची से गढ़वा की दूरी मात्र 210 किलोमीटर की है।
अब जिस राज्य में जांच इसलिए प्रभावित हो जाता है कि अधिकारियों को हेलिकॉप्टर नहीं मिला, जिस राज्य में अफसरों का ये हाल है कि वे 210 किलोमीटर की दूरी तय करने के लिए हेलिकॉप्टर का इंतजार करते हो, तो उस राज्य की क्या स्थिति होगी? अंदाजा लगाइये। जहां का सीएम एक आईएएस अधिकारी के सामने लाचार होकर मिमियाता हो, वहां की स्थिति क्या होगी? जनता को क्या न्याय मिलेगा?
एक अखबार की पत्रकारिता संदिग्ध, अतिक्रमण पर CM का हास्यास्पद बयान
इस खबर को दैनिक भास्कर ने प्रथम पृष्ठ पर प्रमुखता से दी और अखबार नहीं आंदोलन वाला प्रभात खबर ने बड़ी खुबसूरती से पूरे खबर को ही पचाने की कोशिश की और भीतर के पृष्ठों पर इस खबर को आठ लाइन में देकर इतिश्री कर दी, पर उसे नहीं पता कि अब जमाना अखबार से भी आगे निकल चुका है।
कल ही मुख्यमंत्री ने अपने अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिया कि अतिक्रमणकारियों को हटाने के साथ-साथ बसाने की भी सोंचे। जब मुख्यमंत्री ही यह कहें कि अतिक्रमणकारियों को हटाने के साथ-साथ बसाने की भी सोचे तो इससे क्या अतिक्रमणकारियों के हौसले बुलंद नहीं होंगे। क्या हर शहर में ये अतिक्रमणकारी, ये सोच कर नहीं बसेंगे कि आखिर सरकार उन्हें एक न एक दिन मकान बनाकर मुफ्त में अवश्य दे देंगी।
रघुवर सरकार ने तो इस्लामनगर बसाकर एक तरह से सिद्ध कर दिया कि वह अतिक्रमणकारियों के अतिक्रमण के इस अभियान में साथ है। इसलिए जहां मन करें अतिक्रमणकारियों, अतिक्रमण करों और अधिकारियों पर दबाव डालों की, उन्हें बसाने का प्रबंध किया जाये।
सच से कोसो दूर से हैं मुख्यमंत्री का दावा, जनता की बात हवा में उड़ाई जाती हैं यहां
जरा देखिये मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र का हाल, एक तरफ कहता है कि कि 86 प्रतिशत मामलों का जनशिकायत में निपटारा हुआ, ये सबसे बड़ा सफेद झूठ है। भाई, शिकायत तुम्हें ही नोट करना है, और तुम्हें ही डिस्पोजल कर देना है, तो 86 प्रतिशत क्यों बोल रहे हो, 100 प्रतिशत बोल दो, ताकि तुम्हारी जय-जय होती रहे, अगर 86 प्रतिशत शिकायत का निपटारा हुआ तो लोगों को बताओं – कैसे और कब हुआ?
सच्चाई तो ये है कि सीएम की बात भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हवा में उड़ा देते हैं, और भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की बात नीचे के अधिकारी और कर्मचारी हवा में उड़ा देते हैं, पूरा सिस्टम फेल है, लेकिन झूठ बोलने की आदत गई नहीं है। उदाहरण आपके सामने है।
जरा देखिये कचहरी की सरकारी जमीन से कब्जा हटाने में सीएम के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल के पसीने छूट रहे है, ये रही अखबार की कटिंग, इसका जवाब क्या सीएम के पास हैं, इसलिए मैं निवेदन करुंगा की मुख्यमंत्री रघुवर दास से कि वे झूठ बोलना बंद करें, क्योंकि जनता उनसे आजिज हो चुकी है, जनता और अखबार के सामने अपनी कॉलर ठीक करने के लिए पुलिस और मेयर-डिप्टी मेयर पर खूब डपटते हैं, पर भाप्रसे और कनफूंकवों के आगे, इनकी एक भी नहीं चलती, क्या जनता इतनी मूर्ख है? वो आपको नहीं जान रहीं, खूब समझ रही है, जाइये रांची में ही किशोरगंज और रातूरोड की जनता से पूछिये, कि वो आनेवाले इलेक्शन में कैसे आपको और आपकी पार्टी को सबक सिखाने के लिए तैयार बैठी हैं।