अपनी बात

महिलाओं से संबंधित अपराध की रोकथाम हेतु धनबाद के सुप्रसिद्ध समाजसेवी विजय झा द्वारा संप्रेषित 11 सूत्री सुझाव पर संज्ञान लेते हुए राष्ट्रपति भवन ने उक्त सुझाव को गृह मंत्रालय को भेजा

धनबाद के कतरासगढ़ निवासी सुप्रसिद्ध समाजसेवी विजय झा ने महिलाओं से संबंधित अपराध को रोकने को लेकर कानून को और कठोर बनाने के लिए जो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को लिखित 11 सूत्री सुझाव संप्रेषित किये थे। उसको राष्ट्रपति भवन ने भारत सरकार के गृह मंत्रालय को अग्रसारित कर दिया है। राष्ट्रपति द्वारा उनकी बातों को संज्ञान लेने पर विजय झा ने राष्ट्रपति को इसके लिए साधुवाद दिया है।

विजय झा ने आज विद्रोही24 को बताया कि आर.जी.कर. मेडिकल कॉलेज कलकत्ता में घटित घटना के उपरांत उन्होंने एक पत्र राष्ट्रपति को पिछले दिनों प्रेषित किया था। जिसमे कानून को और कठोर बनाये जाने के लिए ग्यारह सूत्री सुझाव उन्होंने दिये थे जो उनके आवेदन में स्वतः स्पष्ट है। राष्ट्रपति ने उनकी याचिका पर संज्ञान लेकर स्वीकृति देते हुए  सचिव, भारत सरकार (गृह मंत्रालय) को 13 सितम्बर 2024 को उसे अग्रसारित करते हुए संप्रेषित किया है।

जिसका पत्र संख्या P1/B/202409125043 है। राष्ट्रपति सचिवालय के अवर सचिव, पी. सी. मीणा द्वारा उन्हें इसकी जानकारी 19 सितम्बर 2024 को पत्र द्वारा दी गई है, जो पत्र विजय झा को कल यानी 26 सितम्बर 2024 को प्राप्त हुआ है। सुप्रसिद्ध समाजसेवी विजय झा ने जो सुझाव दिये थे। वो सुझाव इस प्रकार है।

1. ऐसे सभी मुकदमों की जांच सीबीआई को दी जानी चाहिए। 2. ऐसे मुकदमे को इन्वेस्टिगेशन के बाद न्यायालय में आरोप पत्र समर्पित करने का समय 30 दिन सीमित किया जाना चाहिए। 3. ऐसे सभी मुकदमे का निचली अदालत द्वारा 100 दिनों के अंदर फैसला अनिवार्य किया जाना चाहिए। 4. निचली अदालत के द्वारा फैसला देने के बाद एक अपील का प्रावधान किया जाना चाहिए। 5. ऐसे सभी मुकदमे के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन किया जाना चाहिए। 6. ऐसे गठित स्पेशल कोर्ट में दिन-रात, रविवार के साथ-साथ सभी छुट्टियों के दिन भी सुनवाई की जानी चाहिए।

7. ऐसे यौन-उत्पीड़न के मामले में मुख्य आरोपी को फांसी से कम कोई भी सजा नहीं होनी चाहिए। 8. ऐसे कांड में संलिप्त व्यक्ति को अव्यस्कता के आधार पर कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए। 9. अभियुक्त जब तक जेल में रहे तब तक एक दिन भी उसे किसी आधार पर पेरोल नहीं मिलनी चाहिए। 10. सजा प्राप्त व्यक्ति को जेल के अंदर अलग सेल से बिल्कुल अकेला रखा जाना चाहिए। 11. ऐसे मुकदमें में सजा प्राप्त व्यक्ति के सभी मौलिक अधिकार, कानूनी अधिकार और संवैधानिक अधिकार को समाप्त किया जाना चाहिए।