CM रघुवर बताएं, गांधी के नाम पर ये नौटंकी कब तक चलेगा, गांधी की आत्मा को ठेस पहुंचाना कब बंद करेंगे?
सबसे पहले ‘गांधी’ के नाम पर ये नौटंकी बंद करिये, क्योंकि इस नौटंकी से ‘गांधी की आत्मा’ को चोट पहुंचती हैं, आज चूंकि हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं, इस दिन भी इस प्रकार की नौटंकी करेंगे, तो आनेवाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी, इसलिए कम से कम आज के दिन तो ‘गांधी की आत्मा’ को बख्श दिजिये।
ऐसे तो जब भी महात्मा गांधी का जन्मदिवस आता हैं, बस सरकार में शामिल लोग गांधी के नाम पर नौटंकी शुरु कर देते हैं, कोई झाड़ू पकड़ने का नौटंकी करता है, तो कोई हाथों से प्लास्टिक चूनने की नौटंकी करता हैं, तो कोई गांधी के सत्य व अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प करवाने की नौटंकी करता हैं, और जैसे ही 2 अक्टूबर बीतता है, इन लोगों की नौटंकी का असली स्वरुप सामने आ जाता है।
मैं इसे नौटंकी इसलिए कह रहा हूं कि पिछले 11 सितम्बर से लेकर 2 अक्टूबर 2019 तक इसी रघुवर सरकार ने स्वच्छता ही सेवा अभियान चला रखा था, जरा पूछिये रघुवर सरकार और उनके चेल–चपाटियों से कि 11 सितम्बर से लेकर 2 अक्टूबर तक इन्होंने स्वच्छता ही सेवा अभियान के अंतर्गत क्या–क्या किया?
हमारे पास तो प्रमाण है कि खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास ही स्वच्छता ही सेवा अभियान की हवा निकालने में तेजी दिखाई, जिसे आप विद्रोही 24.कॉम पर जब चाहे तब देख सकते हैं, अगर आप ज्यादा जानना चाहते हैं तो विद्रोही24.कॉम खोलिये और 12 सितम्बर को पोस्ट किया गया आर्टिकल “सुनो झारखण्डियों तुम थर्मोकोल मत यूज करो, पर मैं सीएम हूं, मैं थर्मोकोल यूज करुंगा” पढ़ लीजिये। रघुवर सरकार की सारी असलियत सामने आ जायेगी।
कमाल हैं, खुद रघुवर सरकार विज्ञापन निकालती हैं, लोगों से सिंगल यूज प्लास्टिक को कहे – ना, कहने को कहती हैं, और खुद अपने सोशल साइट फेसबुक पर थर्मोकोल में ही भोजन करने का फोटो देकर आनन्द भी महसूस करती हैं, इससे बड़ी विडम्बना और क्या हो सकती है? इसलिए विद्रोही24.कॉम का कहना है कि ये नौटंकी वह भी गांधी के नाम पर बंद हो जानी चाहिए, पर इस नौटंकी को बंद करेगा कौन? क्योंकि नौटंकी तो वहीं कर रहा हैं, जिस पर नौटंकी बंद करने की जिम्मेदारी है।
जो लोग गांधी के दर्शन को जानते हैं, वे मानते है कि गांधी की स्वच्छता में कहीं भी दिखावा नहीं हैं, और न ही गांधी दिखावा पसन्द करते थे, उन्होंने जो भी किया, वह सबके सामने था और लोगों ने उनके विचारों को हाथों–हाथ लिया, ये नहीं कि आज के नेताओं की तरह स्वच्छता अपनाएं अथवा न अपनाएं, बस हाथों में झाड़ू लिया, स्वच्छता अभियान का टी–शर्ट पहन लिया, माथे पर कैप लगा लिया और विभिन्न अखबारों–चैनलों के कैमरामैनों को बुलाकर फोटो खिंचवा ली और लीजिये, गांधी की 150वीं जयंती और स्वच्छता कार्य दोनों संपन्न। विद्रोही24.कॉम का मानना है कि ये तो गांधी की आत्मा और उनके विचारों के साथ सरकार का सुनियोजित छल है।
अरे आप सिंगल यूज प्लास्टिक की बात करते हैं, तो आप अपने घर से इसे शुरु करिये न, कौन मना कर रहा हैं, लेकिन आप अपने घर में इसे प्राथमिकता नहीं देंगे और दूसरों से कहेंगे, कि तुम इस पर काम करो, तो ये कैसे संभव हैं? क्या गांधी सिर्फ दूसरों से स्वच्छ रहने और स्वच्छता अपनाने को कहा करते थे, कि खुद ही उसमें दिन–रात लगे रहते थे।
सच पूछिये, तो गांधी की स्वच्छता को सर्वाधिक किसी ने सत्यानाश किया तो वह भाजपा ही हैं, जिसके नेताओं ने किया–धरा कुछ नहीं, लेकिन गांधी के नाम पर खुद को प्रतिष्ठित जरुर करवा लिया। याद करिये, 2014 का समय, जब आप फिल्म हॉलों में हुआ करते थे, जब आप टीवी स्क्रीन देखा करते थे, तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का चेहरा दिखता था, जिसमें वे कहा करते थे कि क्या हम ऐसा नहीं कर सकते कि आनेवाले 2019 में जब हम गांधी जी की 150वीं जयन्ती मना रहे हो, तो उस वक्त हम स्वच्छ भारत गांधी जी को भेंटकर, उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करें।
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने छाती पर हाथ रख कर कहे कि क्या पूरा देश सचमुच स्वच्छ हो गया? अरे छोड़िये, आप तो केन्द्र में भी हैं और यहां झारखण्ड में भी हैं, यहां के सीएम रघुवर तो डबल इंजन की सरकार कहते–कहते थकते नहीं, तो क्या पूरा झारखण्ड स्वच्छ बन गया?
क्या आपके सीएम रघुवर दास छाती पर हाथ रख कर कह सकते है कि उन्होंने गांधी की स्वच्छता को ईमानदारी से अपनाया और उसे जन–जन तक पहुंचाने की कोशिश की? अरे गांधी की स्वच्छता अभियान को आप कभी नहीं समझ पाओगे? अरे जो रांची की महत्वपूर्ण नदी, हरमू को नाले में परिवर्तित कर दिया, जिसने इसकी स्वच्छता पर 80 करोड़ रुपये बहाने के बावजूद भी स्वच्छ नहीं कर पाया, वो गांधी की स्वच्छता अभियान को जमीन पर उतारने की बात करता हैं, तो यह नौटंकी नहीं तो और क्या है?
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