मंत्री और स्पीकर बताएं जो ट्रेफिक नियमों की अर्हताएं पूरी नहीं करता हो, उन बच्चों को ऑल्टो थमा देना क्या अनैतिक नहीं?
शिक्षक बच्चों को नैतिकता का पाठ पढ़ायें और आप महाशय क्या करेंगे, तो बच्चों को अनैतिकता का पाठ पढ़ाने का उदाहरण पेश करेंगे, क्यों? ये विद्रोही24 का सवाल राज्य के विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो से और यही सवाल राज्य के मानव संसाधन मंत्री जगरनाथ महतो से कि आपने इस प्रकार का संकल्प क्यों लिया कि बच्चे मैट्रिक या इंटर में टॉप करेंगे तो उन्हें ऑल्टो कार देंगे, क्या यातायात के नियम आपको इस बात की इजाजत देते हैं कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को आप जिसे यातायात विभाग ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं देता, जो यातायात के नियमों की अर्हताएं तक पूरी नहीं करता, उसे आप ऑल्टो कार की चाबी सौंप दें?
क्या सरकार में शामिल एक मंत्री इस प्रकार के कार्यक्रम वह भी झारखण्ड विधानसभा परिसर में आयोजित करें और विद्यार्थियों को जो ट्रैफिक अर्हताएं पूरी नहीं करता हो, उसे ऑल्टो कार दे दें, क्या सही मायनों में उचित है? हमें तो नहीं लगता और न ही यातायात विभाग इस बात की इजाजत दे सकता है। कहने को तो मंत्री और स्पीकर जिन्होंने बच्चों को ऑल्टो कार की चाबी सौंपी। बड़े ही गर्व से कह दिये कि हमने जो कहा था वो करके दिखा दिया, पर आपने नियमों की कितनी अवहेलना कर दी, उसकी भी जानकारी है या इसी प्रकार का संकल्प आगे भी लेते रहेंगे और दूसरों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने को कहेंगे और खुद अनैतिकता वाली कार्य करेंगे।
जो लोग यातायात नियमों की बारीकियों को जानते हैं, वे यह भी जानते है कि जिन्हें गाड़ी देना है, या जो गाड़ी प्राप्त करते हैं, उन्हें ट्रैफिक नियमों की जो अर्हताएं हैं, वो पूरी करनी होती है, बिना अर्हताएं पूरी कर किसी भी वाहन को प्राप्त करना भी नियमों का उल्लंघन है, या क्राइम को जन्म देना है। ऐसे भी जो चीजें जिस उम्र में प्राप्त हो, वही ठीक है, न कि अपने मन से आप बच्चों को कुछ भी देते रहे, इससे बच्चों का चारित्रिक विकास नहीं होता, बल्कि बच्चों के बहकने का डर होता है, इसे सभी को गिरह पार लेना चाहिए, इसके कई उदाहरण हमारे समाज में भरे-पड़े हैं।
कहा भी जाता है, कौन सी वस्तूएं कब किस को देनी है या नहीं देनी हैं, इसका भी निर्णय बड़ों को अच्छी तरह कर लेना चाहिए, लेकिन हमारे राज्य में “पर उपदेश कुशल बहुतेरे वाली” कहावत चरितार्थ होती है। हमारे नेता शिक्षकों को नैतिकता की पाठ पढ़ाने को कहते हैं और खुद बच्चों के बीच अनैतिक कार्य करने में लग जाते हैं, जैसा कि विधानसभा परिसर में कल देखने को मिला, जब 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को विधानसभाध्यक्ष और मानव संसाधन मंत्री ने ऑल्टो की चाबी थमा दी। कमाल की बात है कि इस कार्यक्रम में जैक अध्यक्ष अरविन्द प्रसाद सिंह भी मौजूद थे, जिनका बयान था कि इस तरह के सम्मान से विद्यार्थियों को हौसला बढ़ता है, पता नहीं नियमों की अवहेलना कर, ऐसा करने से कैसे विद्यार्थियों का हौसला बढ़ जाता है? जैक अध्यक्ष ही बेहतर बता सकते है।
स्पीकर रवीन्द्र नाथ महतो और मंत्री जगरनाथ महतो को थोड़ा बिहार के सुशील कुमार का भी कहानी थोड़ा पढ़ लेना चाहिए, जिसे अमिताभ बच्चन ने कौन बनेगा करोड़पति में पांच करोड़ की राशि प्रदान की थी, आज सुधीर कुमार की क्या स्थिति है? इसलिए हमारे विचार से किसी भी उच्च पद पर वैठे सम्मानित व्यक्ति को इस प्रकार का निर्णय लेने से पहले दस बार सोचना चाहिए, लेकिन हमारे यहां तो देनेवाला और लेनेवाला दोनों आजकल पैसों को ही प्रधान मानकर चल रहा हैं, जिसका खामियाजा अंततः व्यक्ति, परिवार व समाज को भुगतना पड़ता है। रोड सेफ्टी को लेकर जागरुकता फैलानेवाले एवं राइज अप रोड सेफ्टी के संस्थापक एवं राहगिरी के प्रमोटर ऋषभ आनन्द बताते है कि बच्चों को ऑल्टो की चाबी थमाना ही गलत है, क्योंकि ट्रैफिक नियम इसकी इजाजत नहीं देता।