मंत्री सीपी सिंह सिर्फ इतना बता दें कि वे किस अधिकार के तहत थाना प्रभारी की कुर्सी पर बैठ गये?
अपना झारखण्ड भी गजब है, यहां कोई नियम-कानून नहीं, यहां प्रोटोकॉल का भी खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन होता है, और ये उल्लंघन कोई दूसरा नहीं करता, बल्कि जिन पर ये जिम्मेदारी है, वे ही इसका खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन करते हैं। जरा उपर दिये गये तस्वीर को देखिये। ये तस्वीर आज की है। रांची कोतवाली थाने की है।
जनाब नगर विकास मंत्री अपने समर्थकों के साथ कोतवाली थाने के समक्ष आज धरने पर बैठे थे, धरना समाप्त हुआ, जनाब कोतवाली थाने में चले गये और थाना प्रभारी की कुर्सी पर विराजमान हो गये और ठीक इनके अगल-बगल ट्रैफिक एसपी संजय रंजन, एसएसपी अनीश गुप्ता, सिटी एसपी अमन कुमार विराजमान हो गये और नगर विकास मंत्री सीपी सिंह के ठीक सामने की कुर्सी पर भाजपा के महानगर अध्यक्ष मनोज कुमार मिश्र बैठ गये।
पुलिस एक्ट 1861 के तहत नगर विकास मंत्री इनरोल्ड नहीं है। ऐसे में नगर विकास मंत्री थाना प्रभारी की कुर्सी पर कैसे बैठ गये? किसने उन्हें थाना प्रभारी की कुर्सी पर बैठने को कहा, या बैठने दिया? क्या इसका जवाब राज्य के वरीय पुलिस अधिकारी आम जनता को देंगे, या इसी प्रकार इस राज्य में कानून चलेगा?
जो जितना बड़ा ताकतवर, खुद को शो करेगा, उसकी ताकत के आगे प्रोटोकॉल व पुलिस एक्ट की धज्जियां उड़ा दी जायेगी। थाना प्रभारी की कुर्सी का सम्मान है या नहीं। याद रखिये, जब आप किसी के पद का सम्मान करते हैं, किसी की कुर्सी का सम्मान करते हैं, तो इससे आपका बड़प्पन झलकता है, न कि आप इससे छोटे हो जाते हैं।
नगर विकास मंत्री को चाहिए कि आइन्दा दुबारा ऐसा गलती न हो, इसका ध्यान रखे तथा राज्य के वरीय पुलिस अधिकारियों को भी यह ध्यान रखना चाहिए कि पुलिस एक्ट का किसी भी हाल में उल्लंघन न हो, क्योंकि कोई भी एक्ट बनता है, तो उसमें हमारा ही हित छुपा होता है, ऐसे भी सम्मान तो उस एक्ट का करना ही होगा, चाहे वह मंत्री हो या राज्य का पुलिस अधिकारी।