गुस्साई जनता ने CM रघुवर को कहा, 2019 में करंट का ऐसा झटका लगेगा, कि दिन में तारे दिखेंगे
लगता है, जैसे-जैसे लोकसभा व झारखण्ड विधानसभा के चुनाव नजदीक आयेंगे, लोकतांत्रिक मर्यादाएं ध्वस्त होती जायेंगी और सत्तारुढ़ दल के लोग एवं राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास लोकतांत्रिक मर्यादाओं की सारी दीवारें ध्वस्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेंगे, जिसकी शुरुआत मुख्यमंत्री रघुवर दास ने जमशेदपुर से कर दी। कल की ही बात है, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि आनेवाले चुनाव में गठबंधन और ठगबंधन के बीच मुकाबला होगा। उनके द्वारा बोला गया यह डॉयलॉग बताता है कि इन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं के लिए ठग एवं उनके दलों के बीच होनेवाले तालमेल को ठगबंधन बता दिया।
हालांकि बोलने के क्रम में, मुख्यमंत्री ने यह भी कह दिया कि 2019 में महाठगबंधन से कोई फर्क पड़नेवाला नहीं, जनता अब जागरुक हो चुकी है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व पर जनता को भरोसा है। सीएम रघुवर दास के इस संवाद का जवाब विपक्षी दलों के नेताओं ने भले ही नहीं दिया हो, पर विपक्षी दलों के नेताओं का काम राज्य की जनता ने कर दिया, जब राज्य की आम जनता ने सीएम रघुवर दास के सोशल साइट फेसबुक पर वो क्लास ली है, कि सीएम रघुवर दास के हालत ही पस्त हो गये हैं। सीएम रघुवर दास के फेसबुक पर आज जनता द्वारा दी जा रही प्रतिक्रिया बता रहा है कि राज्य की जनता, इनसे कितनी खफा हैं। जरा देखिये, आम जनता ने सीएम रघुवर दास की क्या हाल बना रखी है?
चंदन पासवान ने लिखा है कि रघुवर दास फर्क तो जरुर पड़ेगा, अगर आप इतना सुस्त रफ्तार से काम करते रहेंगे तो। ना अच्छे स्वास्थ्य की व्यवस्था। ना अच्छी पढ़ाई, ना साफ पानी, स्कूल में शिक्षक की कमी, मात्र सात-आठ हजार रुपये कमाने के लिए दूसरे राज्यों में पलायन। शर्म आनी चाहिए राज्य के सीएम को, जहां की व्यवस्था ऐसी हो।
अमित गुप्ता, सीएम रघुवर दास, नरेन्द्र मोदी में तो भरोसा भी है, पर आप में तनिक भी नहीं, हम 300 ई-मैनेजर पिछले चार माह से बिना एक्सटेंशन के काम कर रहे हैं, और विभाग के द्वारा काम भी लिया जा रहा है, और न मानदेय दिया जा रहा है, पर आपने कभी इस पर ध्यान दिया।
Alex eli ने कहा, सही बात है, जनता जागरुक हो चुकी है, और आप जैसे ( सीएम रघुवर दास के लिए आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए) कभी नहीं दिखेंगे, झारखण्ड में।
विनय कुमार, एक पुलिसकर्मी कहता है कि मुख्यमंत्री जी 2019 में प्रधानमंत्री मोदी को भले ही फर्क न पड़े, लेकिन आपको फर्क पड़ना सुनिश्चित है, क्योंकि पुलिसकर्मियों को 13 महीने का वेतन, एवं अन्य भत्तें जैसे वर्दी भत्ता, राशन मनी एवं अन्य भत्ते आपके द्वारा पुलिसकर्मियों को नहीं दिया जा रहा और बार-बार संता बना दिया जा रहा है कि दिया जायेगा, लेकिन मिल नहीं रहा, इससे लगता है कि आपके सेहत पर फर्क पड़ेगा।
आर के पासवान इस भ्रम में मत रहिये, सीएम साहेब। 2019 में ऐसा करंट का झटका लगेगा, कि दिन में तारे दिखने लगेंगे।
डा. रामानुज कुमार लिखते है, वर्तमान में मै किसी पार्टी का हिस्सा नहीं परन्तु राजनीति करता हूं, वर्तमान सरकार में कुछ खास नहीं है, राज्यस्तरीय चुनावी एंजेडा मोदी और देश नहीं हो सकता, आपकी पार्टी ने एक भी मध्यावधि चुनाव नहीं जीता, मैं गठबंधन का पक्षधर नहीं हूं, पर आप बताएं कि कितने बेरोजगार युवा, बीजेपी या आपके साथ है। आप बताएं कि डोभा से क्या फायदा हुआ? मोमेंटम झारखण्ड से राज्य को क्या लाभ हुआ? कागजी शौचालय से बड़ा मजाक दूसरा कोई नहीं हो सकता, डीसी ने आपको टोपी पहनाया, 181 भी पूरा कारगर नहीं, आपकी अगुवाई सरकार को कितना मार्क्स जनता ने दिया, ये तब आपको समझ आयेगा, जब अगली बार आप राज्य के मुख्यमंत्री नहीं होंगे।
आशुतोष मधुकर ने कहा बाहरी वोट नहीं देंगे, इसलिए झारखण्ड के स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़े, दूसरे राज्यों में जैसे आरक्षण है, ऐसे झारखण्ड में इस बार जीत के बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता।
देवानन्द गोप कहते है कि आप तो बस अपना फिक्र करें। महागठबंधन को भी ये अच्छी तरह मालूम है कि लोकसभा तो महज नेट प्रैक्टिस है, असल मैंच तो उसे राज्यों के विधानसभा में आप जैसे दंभी, अहंकारी, जनविरोधी और आदिवासी/मूलनिवासी के घुर विरोधी नेताओं को धूल चटाने के लिए खेलनी है, आपकी विदाई का वक्त आ गया महाशय।
सत्यनारायण सिंह कहते है कि आप ऐसे मुख्यमंत्री है, जो केवल अपनी तारीफ सुनना पसंद करता है, सपनों की दुनियां के उड़ान से बाहर निकलकर खुली आंखों से जमीन पर चलिये, और उपर लिखे, मुद्दों की हकीकत की जायजा लीजिये, वरना जनता जागरुक हो गई है, आपकी सपनों में पानी डालने के लिए तैयार है।
हिमांशु अग्रहरि ने लिखा है कि फर्क तो पड़ेगा, इतना गुरुर सहीं नहीं, कितने बीजेपी नेताओं का पत्ता भी साफ होगा, आगे-आगे देखिये क्या होता है?
अजीत कुमार ने कहा, स्वयंसेवक तो बनाएं, अपना काम आसान करने के लिए, परंतु पढ़े लिखे लोगों को पूरा बेरोजगार बना दिया गया, सिर्फ प्रोत्साहन राशि के नाम पर, सभी लोगों को बाहरी लोग ठगते हैं, परंतु हमें तो अपनों ने ठग लिया, कौशल विकास के नाम पर भी लोग ठगे जा रहे हैं, उनको अच्छा रोजगार नहीं मिलने पर सभी वापस लौट कर आ गये।
अनिल सिंह राठौर कहते है, बिल्कुल ठीक कहा आपने, जनता जागरुक है, इसलिए तो 2014 नहीं है, 2019 को जनता वोट करेंगी, जो झूठ बोल बोल सत्ता पाया करते हैं, वो घर बैठने को मजबूर होंगे।
सकेन्द्र राम, गवईं यानी ठेठ झारखण्डी भाषा में लिखते है कि कते फरक पड़तौ, चचा इतो भोटवा के समैया में पता चलतौ, खली फूको हीं हो…