राजनीति

भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मिलकर झारखण्ड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक की खामियों को गिनाया, तथा यह विधेयक काला कानून न बने, इसके लिए सी पी राधाकृष्णन से गुहार लगाई

झारखण्ड विधानसभा से पारित झारखण्ड प्रतियोगी परीक्षा विधेयक 2023 के खिलाफ विधानसभा में हंगामा करने के बाद, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में भाजपा विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल राजभवन जाकर राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन से मिला। राज्यपाल से मिलने पर उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा गया। जिसमें उक्त विधेयक में भाजपा के अनुसार व्याप्त गड़बड़ियों का जिक्र किया गया।

भाजपा विधायक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार अपनी गलतियों पर पर्दा डालने तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में व्याप्त धांधलियों पर कोई बोल न सकें, उस पर रोक लगाने के लिए ये विधेयक लाई है, जिसे राज्यपाल का अनुमोदन नहीं मिलना चाहिए। बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से अनुरोध किया, कि जब उनके पास उक्त विधेयक हस्ताक्षर के लिए आये, तो राज्यपाल उस विधेयक की गंभीरता और उससे होनेवाली चुनौतियों पर विशेष ध्यान दें।

बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से गुहार लगाया कि ये विधेयक काला कानून न बनें। इससे युवाओं का भविष्य बर्बाद न हो। इस पर राज्यपाल विशेष ध्यान देकर राज्य सरकार को दिशा-निर्देश देने का भी काम करें। भाजपा प्रतिनिधिमंडल में शामिल अन्य विधायकों के नाम इस प्रकार है – सीपी सिंह, बिरंची नारायण, अनंत ओझा,नवीन जायसवाल, रामचंद्र चंद्रवंशी, रणधीर सिंह, नीरा यादव, जेपी पटेल, शशि भूषण मेहता, ढुल्लू महतो, नारायण दास, कोचे मुंडा, अपर्णा सेन गुप्ता, अमर कुमार बाउरी, राज सिन्हा, मनीष जायसवाल, किशुन कुमार दास, समरी लाल, अमित मंडल, आलोक चौरसिया एवं पुष्पा देवी। जबकि बाबूलाल मरांडी द्वारा राज्यपाल को दिये गये ज्ञापन में उल्लिखित वाक्यांश इस प्रकार है …

सेवा में,

महामहिम राज्यपाल

झारखंड।

विषय – झारखंड विधानसभा से पारित युवा विरोधी झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक, 2023 की समीक्षा कर निर्णय लेने के संबंध में।

महोदय,

भारतीय जनता पार्टी भ्रष्टाचार और कदाचार मुक्त परीक्षा संचालन की प्रबल पक्षधर है, परंतु उपर्युक्त विधेयक के द्वारा राज्य सरकार झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग जैसी संस्थाओं में प्रतियोगी युवाओं की आवाज को दबाकर मनमाने तरीके से प्रतियोगी परीक्षाओं का संचालन कराना चाहती है। यह आशंका तब और प्रबल हो जाती है जब विगत दिनों जेपीएससी द्वारा आयोजित 7वीं से 10वीं तक की सिविल सेवा परीक्षा और जेएसएससी द्वारा आयोजित कनीय अभियंता परीक्षा में घोर धांधली उजागर हुई।

ज्ञातव्य है कि प्रथम दृष्टया राज्य सरकार ने इस अनियमितता को सिरे से नकारा, परंतु युवाओं, अभ्यर्थियों के व्यापक विरोध एवं परीक्षा में हुई धांधली के पर्याप्त सबूत उजागर होने का ही परिणाम हुआ कि राज्य सरकार ने धांधली को स्वीकारा। महोदय, यदि यह विरोध नही हुआ होता तो राज्य सरकार अनियमित बहाली करने में सफल हो जाती। विरोध का ही परिणाम हुआ कि  जेएसएससी को कनीय अभियंता की परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी।

भाजपा का मानना है कि राज्य सरकार अपनी इस प्रकार की त्रुटियों,धांधली ,विफलताओं और सत्ता पोषित भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज को दबाने केलिए उपर्युक्त विधेयक को पारित कराया है। महोदय, उपर्युक्त विधेयक में अभिव्यक्ति की आजादी का स्पष्टतया उल्लंघन है। उदाहरण के तौर पर विधेयक की कंडिका 11 (2) में राज्य सरकार संबंधित परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों, उत्तर पत्रकों के संबंध में सवाल खड़ा करने वाले परीक्षार्थियों, प्रिंट, इलेक्ट्रोनिक और सोशल मीडिया और जनप्रतिनिधियों के विरुद्ध बिना किसी प्रारंभिक जांच किए प्राथमिकी दर्ज कराने तथा कंडिका 23 (1) क एवम ख में ऐसे लोगों को बिना किसी वरीय पदाधिकारी के अनुमोदन के गिरफ्तार करने का प्रावधान किया है।

इसके अतिरिक्त ऐसी विसंगतियों पर भविष्य में भी कोई परीक्षार्थी आवाज नही उठा सके। इसके लिए विधेयक के कंडिका 13(1) में वैसे परीक्षार्थियों को दो से 10 साल तक के लिए परीक्षा प्राधिकरण द्वारा आयोजित किए जाने वाले सभी प्रतियोगी परीक्षाओं से वंचित करने का प्रावधान किया है। महोदय, बेरोजगार युवाओं के खिलाफ राज्य सरकार की हिटलर शाही तब और उजागर हो जाती है जब सरकार ने इस विधेयक की कंडिका 2(7)में परीक्षा संपन्न कराने वाले कर्मियों, परीक्षकों, पर्यवेक्षकों और उनके रिश्तेदारों, मित्रों के खिलाफ भी शिकायत दर्ज नहीं कराने का प्रावधान किया है।

महोदय, भाजपा के विधायकगण ने विधेयक के उपर्युक्त असंवैधानिक प्रावधानों पर सदन में कड़ा विरोध प्रकट किया है। लेकिन राज्य सरकार ने अपनी हठधर्मिता और संख्याबल के आधार पर सदन में विधेयक पारित करा लिया है। अतः भाजपा विधायक दल का यह प्रतिनिधिमंडल राज्य के संवैधानिक प्रमुख के नाते आपसे सादर अनुरोध करता है कि राज्य के बेरोजगार युवाओं और जनता के हित में यह विधेयक काला कानून नही बने। इस पर गंभीरता पूर्वक विचार करते हुए राज्य सरकार को आवश्यक दिशा निर्देश देने की कृपा की जाए।

भवदीय,

(बाबूलाल मरांडी) एवं भाजपा विधायक गण।