अपनी बात

झारखण्ड विधानसभा का बजट सत्र समाप्त हो गया, किसने इस सत्र का मान बढ़ाया और किसकी वजह से सदन का सम्मान प्रभावित हुआ, आपको जानना चाहिए और इसीलिए विद्रोही24 लाया है, आपके लिए विशेष …

षष्टम झारखण्ड विधानसभा का पहला बजट सत्र समाप्त हो चुका है। सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित भी हो चुका है। लेकिन इस 20 दिन चले सदन में वह कौन सी प्रमुख घटनाएं रही, जिसके लिए ये विधानसभा जानी जायेगी, किसने विधानसभा की गरिमा को प्रभावित किया, किसने इसके सम्मान में चार चांद लगाये। आपको जानना चाहिए। विद्रोही24 ने गुरुवार को समाप्त हुए बजट सत्र की प्रमुख घटनाओं को आपके समक्ष रखने की कोशिश की हैं। इसे आपको देखना, पढ़ना व जानना चाहिए। घटनाएं इस प्रकार हैं …

  • झारखण्ड विधानसभा के इस बजट सत्र में देखा गया कि विभागीय मंत्री सत्तापक्ष और विपक्ष के विधायकों द्वारा पूछे गये प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर नहीं दे सकें, जिसको लेकर कभी पूर्व में विधानसभाध्यक्ष रहे भाजपा के सीपी सिंह ने आसन से कह दिया कि आप हमारे कस्टोडियन है, आपका धर्म बनता है कि आप सदस्यों के प्रश्नों के सही उत्तर मंत्रियों से दिलवाएँ।
  • मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सदन में कहा कि अखबारवाले सही खबर न छापकर सरकार को चूंटी काटने का काम करते हैं।
  • झारखण्ड विधानसभा के प्रेस दीर्घा में बैठे एक कथित पत्रकार को प्रेस दीर्घा से ही सदन का वीडियो बनाते देखा गया।
  • सरयू राय ने तो सरकार पर आरोप लगा दिया कि मंत्री उनके सवालों को लेकर गंभीर नहीं, उनके सवालों का घोर आपत्तिजनक उत्तर दिया गया। सरयू राय ने तो स्वास्थ्य मंत्री के खिलाफ सदन में विशेषाधिकार हनन की नोटिस भी आसन को थमा दी।
  • शर्मनाकः झारखण्ड विधानसभा द्वारा विधायकों के प्रशिक्षण के लिए दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें 81 विधायकों में 59 विधायक गायब रहे। किसी ने इसके महत्व को नहीं समझा, दूरियां बना ली।
  • सदन में पहली बार दिखा कि भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष से ज्यादा सत्तापक्ष मुखर दिखा। उसने करोड़ों के घोटाले को लेकर सरकार को घेरा, पूछा कि रोकड़पाल पर प्राथमिकी, तो कार्यपालक अभियंताओं पर प्राथमिकी क्यों नहीं? स्थिति ऐसी हो गई कि जब कोई समस्या का हल नहीं निकला तो स्पीकर ने इस प्रश्न को एक सप्ताह तक के लिए टाल दिया, एक सप्ताह के बाद जब दूबारा प्रश्न आया तो मंत्री का उत्तर वहीं था, जो एक सप्ताह पहले था।
  • सदन में मोबाइल निषेध रहता है। लेकिन पहली बार देखा गया कि सदन में मोबाइल से ही भाजपा की एक विधायक रागिनी सिंह ने सूचना तक पढ़कर यह रिकार्ड अपने नाम कर लिया।
  • सदन में भाजपा नेता सीपी सिंह ने राज्य में गिरती कानून व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरने के क्रम में यहां के डीजीपी को बेशर्म तक कह डाला।
  • जमशेदपुर पूर्व की विधायक यानी रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू ने विभागीय बजट के दौरान चल रही बहस में अपने ससुर रघुवर दास के कार्यकाल की मुक्तकंठ से प्रशंसा की, लेकिन इसी भाजपा में दो और मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी और अर्जुन मुंडा, उनका नाम लेना भी उचित नहीं समझा।
  • एक दिन कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने सदन में विभागीय मंत्री पर कड़ी टिप्पणी करते हुए कह दिया कि खोदा पहाड़ निकली चुहिया और सरकार पर आरोप लगा दिया कि सरकार हठधर्मिता कर रही हैं।
  • पूर्व स्पीकर सीपी सिंह ने प्रमाण के साथ स्पीकर रवीन्द्रनाथ महतो को बताया कि वे सदन झारखण्ड विधानसभा कार्य संचालन नियमावली के तहत नहीं चला रहे। झारखण्ड विधानसभा कार्य संचालन नियमावली कहती है कि अल्पसूचित प्रश्न का समय 20 मिनट और तारांकित प्रश्नों के लिए समय 40 मिनट होगा, लेकिन स्पीकर अल्पसूचित प्रश्नों के लिए 44 मिनट और तारांकित के लिए 20 मिनट से भी कम समय दे रहे हैं। आश्चर्य है कि स्पीकर रवीन्द्रनाथ महतो ने इसे स्वीकार किया कि गलतियां हुई है। लेकिन उसके बावजूद भी कोई सुधार देखने को नहीं मिला। अल्पसूचित प्रश्न 40 मिनट का लगभग हमेशा होता रहा।
  • पहली बार देखा गया कि पूर्व वित्त मंत्री रह चुके डा. रामेश्वर उरांव ने ध्यानाकर्षण के समय अपने प्रश्नों को प्रश्नों के रूप में नहीं, बल्कि सलाह के रूप में पढ़ते चले गये। स्पीकर बोलते रहे कि वे अपनी बातों को प्रश्न के रूप में रखे, लेकिन रामेश्वर उरांव ने उनकी एक न सुनी।
  • एक दिन तो सत्तापक्ष के दो-दो मंत्री आपस में उलझते दिखे। इरफान अंसारी ने अपने ही मित्र, मंत्री सुदिव्य सोनू को कह दिया कि ये हर चीज में फूदकते हैं। तब सुदिव्य ने कस कर डांटा कि ये सदन किसी की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं।
  • एक मंत्री ने तो इरफान अंसारी को यहां तक कह दिया कि आप हमेशा पीछे से अंगूली करते रहते हैं, आप जब बोलते हैं तो हम कुछ बोलते हैं, क्या?
  • शर्मनाकः स्पीकर रवीन्द्र नाथ महतो के बार-बार अनुरोध का माननीयों व मंत्रियों पर कोई असर नहीं देखा गया, मंत्री हफीजुल अंसारी सदन में ही मोबाइल से बात करते हुए पाये गये, स्पीकर ने इसी दौरान मंत्री का मोबाइल जब्त करवा लिया। ये घटना तब घटी, जब प्रदीप यादव ने मंत्री से साफ कह दिया कि वे मोबाइल से बात न करें, क्योंकि उन्हें अपनी बात रखने में यहां दिक्कत आ रही हैं।
  • आम तौर पर देश के करीब-करीब सारे राज्यों की विधानसभा, विधान परिषद्, देश की लोकसभा व राज्यसभा समय पर संचालित होती हैं। लेकिन झारखण्ड विधानसभा में ऐसा नहीं देखा गया। विद्रोही24 ने देखा कि सदन आम तौर पर लगभग पांच से सात मिनट विलम्ब से चला। एक दिन तो सदन 10 मिनट विलम्ब से चला, जो रिकार्ड बन गया।
  • तीन मार्च को झारखण्ड विधानसभा में वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर राज्य का बजट पेश कर रहे थे। इस दौरान ये कर क्या रहे थे। अपने ही बजटीय भाषण के कुछ पैरा को छोड़कर आगे बढ़ जाया कर रहे थे। मतलब उन्होंने सदन में अपना पूरा बजट नहीं पढ़ा और न ही सदन में यह कहा गया कि उनके बजट को पूरा पढ़ा हुआ मान लिया जाय।
  • रही बात प्रेस दीर्घा की तो इस दीर्घा में बैठनेवाले पत्रकार अपने-अपने ढंग से इस दीर्घा की गरिमा को प्रभावित करते रहे। कोई बैग लेकर अंदर पहुंच जाता/जाती, तो किसी की मोबाइल की घंटिया लगातार बजती रहती और वहीं वो बैठकर अपने लोगों से बातें करता रहता, उसे इस बात की भी चिन्ता नहीं रहती कि इस दीर्घा में बैठे अन्य लोगों को उसके इस हरकत से दिक्कते आ रही हैं। ऐसे भी इस दीर्घा समिति में जो सदस्य बनाये गये हैं। वे ज्यादातर अयोग्य हैं। जिन्हें झारखण्ड विधानसभा की गरिमा तक का ख्याल नहीं। इस बार भी जो नई प्रेस दीर्घा समिति बनी हैं, उसमें कुछ फिर से ऐसे लोग शामिल हो गये हैं, जो इस दीर्घा समिति के योग्य नहीं हैं। लेकिन किया ही क्या जा सकता है?

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