चौकीदारों ने कहा बंद करो चोचलेबाजी और बताओ, PM मोदी, CM रघुवर, CS त्रिपाठी कि तुम्हारा भी वेतन पांच महीने से लंबित हैं क्या? गर नहीं,तो हम क्यों भूखे मर रहे?
ओ ‘मैं भी चौकीदार हूं’ का गोदना गोदानेवालों, ओ चौकीदार का नाम सुनकर झूम जानेवालों, ‘मोदी–मोदी’ कहकर चिल्लानेवालों, मोदी–रघुवर के गीत गानेवालों, जरा अपने आस–पास रह रहे चौकीदारों की भी तो सुन लो, अरे वे चिल्ला–चिल्लाकर कुछ कह रहे हैं, वे तुम्हें कुछ सुनाना चाह रहे हैं, पर तुम ‘मैं भी चौकीदार’ के सलोगन से ऐसे चिपक गये, कि तुम्हें उनकी पीड़ा भी नजर नहीं आ रही।
अरे तुम्हे मालूम भी हैं कि उन्हें पिछले चार महीनों से वेतन नहीं मिले हैं और ये पांचवा महीना समाप्ति के कगार पर हैं। झारखण्ड में अब तक 600 चौकीदारों को नौकरी से बाहर कर दिया गया हैं, जो पिछले पांच–छह सालों से अपनी सेवा दे रहे थे। न्यायालय में भी इन्होंने अपने आवाज लगाई, पर जो अपने देश में न्यायिक व्यवस्था का जो आलम हैं, उसका तो और बुरा हाल है, इनमें से दर्जन भर तो भूख और गरीबी, और रही–सही बीमारी के कारण अल्लाह को प्यारे हो गये।
सूत्रों की मानें तो अकेले पाकुड़ में सात पूर्व चौकीदार चल बसे। इनके बच्चों का हाल यह है कि ये ठीक से पढ़ भी नहीं पाते, अरे ये पढ़ेंगे क्या? जब खाने को ही लाले पड़े हो। अरे यार जब ‘गोदना गोदाओ’, और ‘मैं भी चौकीदार’ कहकर उछलो, तो जरा छाती पर हाथ रखकर सोचना, कि क्या तुम इनकी मजाक नहीं उड़ा रहे। नहीं तो, अब भी थोड़ी सी भी दिल में दया बची हैं तो इन गरीब चौकीदारों की भी कभी–कभार सोच लो।
झारखण्ड राज्य चौकीदार दफादार संघ के अध्यक्ष है कृष्ण दयाल सिंह बताते हैं कि असली चौकीदार तो हमलोग हैं, पर उनकी हालत खराब है, स्थिति दयनीय हैं, होली आ चुका है, पर जेब में पैसे नहीं हैं, कि बच्चों और अपने परिवार को एक नया कपड़ा भी दिला सकें। वे कहते है कि अरे होली छोड़िए यहां तो नवम्बर 2018 से वेतन नहीं मिला।क्या देश के पीएम नरेन्द्र मोदी, राज्य के सीएम रघुवर दास, यहां के मुख्य सचिव का भी नवम्बर से वेतन बकाया है क्या? वे तो अपना वेतन एक ही तारीख को उठा लेते हैं, पर हमें आज तक क्या मिला?
कृष्ण दयाल सिंह साफ कहते है कि राज्य के सीएम छाती पर हाथ धर कर कहे कि राज्य के चौकीदारों को कभी भी उन्हें वेतन समय पर दिया, अगर नहीं तो फिर ‘मैं भी चौकीदार’ की चोचलेबाजी क्यों? वे कहते है कि सरकार का आर्डर हैं, पर उसके अनुसार ड्यूटी नहीं कराई जाती, उग्रवादियों द्वारा सैकड़ों चौकीदार मारे गये, पर उन्हें सरकारी अनुदान नहीं मिला। वे यह भी कहते है कि चौकीदार पहरेदार होते हैं, आप देश के पहरेदार हैं, प्रदेश के पहरेदार हैं, हम तो भूखे मर रहे हैं, क्या पीएम–मुख्यमंत्री भी भूखे मर रहे हैं?
कृष्ण दयाल सिंह कहते है कि दरअसल ‘मैं भी चौकीदार’ अभियान से पूरे असली चौकीदारों का उपहास किया जा रहा है। दरअसल सही में,ये नकली चौकीदार है, असली चौकीदार तो बनने ही नहीं दिया जा रहा। वे कहते है कि पीएम–सीएम हमारी समस्याओं का समाधान करें, तब समझे कि वे सचमुच चौकीदार है।