देश को खतरा भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण से, बिना इसे मिटाए भारत विकसित राष्ट्र की श्रेणी में नहीं आ सकता, अगली बार भी लाल किले पर मैं ही झंडा फहराऊंगा – नरेन्द्र मोदी
लाल किले के प्राचीर से 77वीं भारतीय स्वतंत्रता दिवस को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को आह्वान किया कि वे 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में लाकर खड़ा करने के लिए भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण को देश से सदा के लिए समाप्त करें। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस दौरान अपने कालखंड की चर्चा करते हुए कहा कि जब वे सत्ता में आये थे, तो देश की अर्थव्यवस्था दसवें स्थान पर थी, आज देश की अर्थव्यवस्था विश्व की पांचवी अर्थव्यवस्था बन चुकी है। इसे और आगे ले जाना है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने विजन को स्पष्ट रुप से रखते हुए साफ कर दिया कि अगली बार भी वे ही इस लाल किले के प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहरायेंगे। प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें खुशी हो रही है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों को मातृभाषा में उपलब्ध कराने का फैसला किया है। जैसे ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ये बातें कही, स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने प्रधानमंत्री का हाथ जोड़कर अभिवादन किया।
हमेशा देश के नाम संबोधन करने के क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मेरे प्यारे देशवासियों कहा करते थे, लेकिन इस बार उन्होंने देशवासियों की जगह मेरे प्यारे परिवारजनों का प्रयोग किया। भाषण की शुरुआत ही उन्होंने मेरे प्रिय 140 करोड़ परिवारजन से की। जो चर्चा का विषय बना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस संबोधन से देश-विदेश में रह रहे करोड़ों भारतीयों के दिलों में फिर से एक नई जगह बना ली। जो उनकी विशेष खासियत रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण में मणिपुर हिंसा व उनके शासनकाल में हुए विभिन्न प्रकार के सुधारों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि 2047 में भारत विकसित देशों की श्रेणी में आये, इसके लिए आनेवाला पांच वर्ष काफी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 2024 में भी वे ही राष्ट्रीय ध्वज फहरायेंगे। उन्होंने भविष्य में शुरु होनेवाले योजनाओं का भी खुलासा किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आनेवाले पांच साल में भारत विश्व की तीसरी आर्थिक शक्ति बनेगा। शहरों में रहनेवाले लोगों के मकान बनाने के लिए रियायती दर पर बैंक लोन मिलेंगे तथा आनेवाले 17 सितम्बर यानी विश्वकर्मा जयंती पर विश्वकर्मा योजना शुरु की जायेगी। जो मध्यमवर्गीय कामगारों जैसे सोनारी का काम करनेवाले, कपड़े धोनेवाले आदि लोगों के लिए होगी।
मणिपुर हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि अब वहां से शांति की खबरें आ रही है। वहां मां-बेटियों के सम्मान से खिलवाड़ हुआ। कई लोगों ने जान गंवाई। पूरा देश इस स्थिति में मणिपुर के साथ है। वहां शांति के लिए और भी प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने महंगाई की भी चर्चा की। प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व के कई देशों में महंगाई ने बुरा हाल कर दिया है, पर भारत में वैसी स्थिति नहीं देखने को मिली, क्योंकि उन्होंने इस पर पहले से ही नजर गड़ा कर रखी है। कई देशों से कुछ सामग्रियां मंगाई गई, जिसके कारण वहां से महंगाई भी लानी पड़ी। फिर भी हम महंगाई को नियंत्रित करने में जुटे हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण में इस बार मध्यमवर्गीय परिवार, कामगार, युवा छाये रहे। अपने भाषण में उन्होंने अपने दस वर्षों के शासनकाल का पूरा लेखा-जोखा लोगों के बीच में रखा, साथ ही भविष्य पर भी उनकी नजर हैं, उसका भी जिक्र करना नहीं छोड़ा। हालांकि कहनेवाले लोग या विपक्षी दल यह भी कह सकते हैं कि उनका भाषण पूरा आनेवाले लोकसभा चुनाव को लेकर था, लेकिन सच्चाई यह है कि प्रधानमंत्री का भाषण हर तबके के लिए था, सबके लिए था, उन्होंने देश को आश्वस्त किया कि देश सुरक्षित हाथों में हैं, आनेवाला भविष्य भी सुरक्षित है। देश प्रगति की ओर है।