चुनाव आयोग ने विधानसभा चुनाव को पूरी तरह से बनाया मजाक, खुद अपने ही आदेशों का पालन नहीं करा पा रहे के रवि कुमार, राजनीतिज्ञों के साथ-साथ चैनलों ने भी आदर्श आचार संहिता की खुलेआम उड़ाई धज्जियां
चुनाव आयोग ने झारखण्ड विधानसभा चुनाव को पूरी तरह से मजाक बनाकर रख दिया है। खुद अपने ही आदेशों का पालन नहीं करा पा रहे हैं राज्य निर्वाचन आयुक्त के रवि कुमार। लेकिन इनकी बातें देखिये तो इतनी बड़ी-बड़ी हैं कि पूछिये मत। लेकिन सच्चाई क्या है? सच्चाई यह है कि झारखण्ड में संपन्न हो रही दो चरणों के मतदान में राजनीतिज्ञों ने तो आदर्श आचार संहिता की खुलेआम धज्जियां उड़ाई ही, कुछ चैनलवाले भी इसमें पीछे नहीं रहे।
आश्चर्य की बात है कि राज्य निर्वाचन आयुक्त कहते हैं कि अगर कोई आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो सजा का भी प्रावधान हैं। लेकिन सजा किसे मिल रही हैं या प्राथमिकी किन पर दर्ज हो रही हैं, जिन पर कृपा चुनाव आयोग की नहीं बरस रही हैं और जिन पर कृपा बरस रही हैं। उनकी हर जगह बल्ले-बल्ले हैं।
अब जरा सर्वप्रथम मुख्य निर्वाचन आयोग के कार्यालय में हो रही प्रेस कांफ्रेस और वहां से जारी प्रेस विज्ञप्ति पर नजर डालिये। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के कार्यालय से 18 नवम्बर को जारी प्रेस विज्ञप्ति संख्या 286/2024 में स्पष्ट लिखा है कि झारखण्ड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कहा है कि मतदान की निजता अनिवार्य है। इस स्थिति में मतदान केन्द्र के भीतर मोबाइल ले जाना, फोटो लेना, वीडियो बनाना अवैध है। ऐसा करते पकड़े जाने पर सजा का भी प्रावधान है।
अब सवाल राज्य के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रवि कुमार से ही हैं। अगर मतदान की निजता अनिवार्य है। मतदान केन्द्र के भीतर मोबाइल ले जाना, फोटो लेना, वीडियो बनाना अवैध हैं तो फिर प्रदेश भाजपाध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का मतदान केन्द्र के भीतर का फोटो कैसे ले लिया गया और वो वायरल कैसे हो गया?
दूसरा सवाल, जब मतदान केन्द्र में कैमरा ले जाना और वीडियो बनाना अवैध है तो 13 नवम्बर को झारखण्ड के एक निजी चैनल ने प्रथम चरण का मतदान समाप्त हो जाने के बाद इवीएम के सीलिंग और उसके आगे की संपूर्ण प्रक्रिया का सीधा प्रसारण कैसे और किसके आदेश से करवा दिया? मतलब सीधा सा सवाल- वीडियो बना नहीं सकते, कैमरा मतदान केन्द्र के अंदर नहीं ले जा सकते तो फिर उक्त चैनल ने कैसे इवीएम मशीन की सीलिंग की पूरी प्रक्रिया बड़े ही शानदार ढंग से वो भी एक्सक्लूसिव कहकर चलवा दी?
यहीं नहीं, आज भी एक चैनल ने इसी प्रकार से कुकर्म किया और अपने कैमरा को मतदान केन्द्र के अंदर तक ले गया तथा खुलकर मतदान की वीडियो बनाई और उसका लाइव भी दिखाया, आपने उस पर क्या कार्रवाई की, जवाब तो आपको देना ही पड़ेगा, के रवि कुमार जी। सच्चाई यह है के रवि कुमार जी, आज पूरे देश में झारखण्ड में हो रहे विधानसभा चुनाव पर लोग अंगूलियां उठा रहे हैं और भारत चुनाव आयोग से भी पूछ रहे है कि आखिर ये सब क्या हैं?
तीसरा सवाल आदर्श चुनाव आचार संहिता के लागू होने के पांच दिनों बाद तक चुटिया इलाके में किस भाजपा नेता का होर्डिंग हर पोल पर लगा था और आपने उक्त भाजपा नेता पर क्या कार्रवाई की? दरअसल आपका आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू करवाने का तरीका बहुत ही निराला है। यह क्यों हैं, राज्य की जनता तो इतनी बेवकूफ नहीं हैं।
रही बात झामुमो के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य द्वारा बाबूलाल मरांडी की मतदान केन्द्र के अंदर तस्वीर खिंचवाने और उसके वायरल होने पर गिरिडीह के जिला निर्वाची पदाधिकारी सह उपायुक्त को इस मुद्दे पर पत्र लिखने की तथा आदर्श चुनाव आचार संहिता उल्लंघन का मामला सिद्ध करने की, तो ये तो कही से गलत नहीं है। ये एक मतदाता के तौर पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 का उल्लंघन है। सुप्रियो ने इस पर अग्रतर कार्रवाई सुनिश्चित करने की मांग कर दी हैं।
लेकिन विद्रोही24 को नहीं लगता कि ऐसा कुछ होगा। परन्तु राज्य की जनता जान चुकी है कि झारखण्ड विधानसभा चुनाव में जो भी कुछ देखने को अब तक मिला है। वो क्यों मिला, कैसे मिला, किसकी कृपा रही। राज्य की जनता सब जानती है, जो लोग राज्य की जनता को मूर्ख समझ रहे हैं, वे भूल कर रहे हैं। शायद यही कारण रहा होगा कि कभी फिल्म रोटी में किसी गीतकार ने ऐसे ही नहीं लिख दिया – ये जो पब्लिक हैं, सब जानती हैं, पब्लिक हैं, अजी अन्दर क्या है? अजी बाहर क्या है? अंदर क्या है? बाहर क्या है? ये सब कुछ पहचानती है?