राजनीति

पूरे गांव में आग लगा अपने घरों में दुबकनेवाले भाजपाइयों, जब गांव के घर जलेंगे तो आप भी सुरक्षित नहीं रहोगे

आज भाजपाइयों की बोलती बंद है। बोलती बंद होगी क्यों नहीं? परसो तक तो ये ताल ठोककर लोगों से घाटों पर जाकर छठ मनाने, भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए लोगों को उकसा रहे थे और जब अपने पर आई तो घरों में जाकर दुबक गये और सारे कर्मकांड घरों में ही समाप्त कर लिये। भाजपाइयों ने छठ घाटों पर जाने पर रोक लगाने की गाइडलाइन्स जारी करने पर हेमन्त सरकार की खुब खिचाई की थी, धरना शुरु कर दिया था, सरकार पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप भी लगाया था और जब छठ आया तो भाजपा के नेता घाटों से गायब दिखे।

ये बातें आज झामुमो केन्द्रीय समिति के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने संवाददाता सम्मेलन में कही। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व नगर विकास मंत्री सीपी सिंह का नाम उद्धृत करते हुए कहा कि याद करिये, ये जनाब डार भर पानी में खड़ा होकर मीडिया से क्या कह रहे थे और जब छठ आया तो अपने घर में छठ मनाया, यहीं नहीं उनके पांव तक पानी में उस दिन नहीं भींगे। यही हाल हटिया के भाजपा विधायक का भी रहा, जिन्होंने अपने घर में ही छठ मनाया।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने पत्रकारों को भाजपा नेताओं की तस्वीरें सार्वजनिक करते तथा उन्हें चेताते हुए कहा कि पूरे गांव में आग लगाकर अपने घरों में दुबकनेवालों, जब गांव के घर जलेंगे तो आप भी सुरक्षित नहीं रहोगे। सुप्रियो ने कहा कि उन्हें खुशी है कि राज्य की जनता ने राज्य के मुख्यमंत्री की बात मानी और ज्यादातर लोगों ने इस बार छठ अपने घरों में ही मनाने का फैसला लिया और उसे संपन्न भी कराया। मात्र 25 प्रतिशत लोग ही घाटों पर दिखे। जो बताता है कि राज्य की जनता इस मामले में सरकार के साथ है।    

उन्होंने पत्रकारों को कहा कि ये तस्वीरें साफ बताती है कि ये दूसरे को उकसा रहे थे कि लोग संक्रमण का शिकार हो जाये। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें खुशी है कि जनता ने इनकी बातें नहीं मानी और सरकार की बातों पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री और हमारे राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन बार-बार कह रहे है कि सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन हो, बार-बार हाथ धोएं जाएं, मास्क का प्रयोग हो, पर यहां के भाजपाइयों ने इस ओर ध्यान न देकर, अपने ही नेता का अपमान किया। ये फोटो बताने के लिए काफी है कि ये नेता न तो मास्क पहने हैं और न ही सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन किया है। 

उन्होंने कहा कि हमारे बहुत सारे पत्रकार बंधु भी हैं, जिनके घरों में छठ हुआ, उन्होंने भी अपने घरों में ही छठ मनाया है। उन्होंने भाजपाइयों को फिर कहा कि वे जनता को न उकसाएं, उन्हें अपनी मर्जी से व्रत करने दें, व्रतों के नियमों का पालन करने दे, जाति धर्म के नाम पर विभेद न फैलाएँ।                                                                                  

उन्होंने यह भी कहा कि कल राज्य के विधानसभा का स्थापना दिवस है। प्रमुख प्रतिपक्ष भाजपा जिनके 25 विधायक है, उनका अपना नेता नहीं होगा। सभी जानते है कि पूरा सदन कंस्टिच्यूट होता है चार हिस्सों में। जिसमें संवैधानिक प्रधान राज्यपाल, विधानसभाध्यक्ष, सदन के नेता और नेता प्रतिपक्ष होते हैं, यहीं चार पीलर है, हाउस का। लेकिन घृणा की राजनीति करनेवाले भाजपा के लोगों ने अपना नेता तक नहीं चुना है।

ये संवैधानिक इतिहास में कलंक की बात है और वो कलंक भाजपा के द्वारा दिया गया है। 25 विधायकों में कोई आदिवासी-मूलवासी आरएसएस का समर्थक नहीं, जिसको ये नेता चुन लें, पिछली बार 37 में छतीसगढ़िया को चुन लिया और अब 25 हैं तो कोई नहीं, भाड़ा में आदमी ला रहे हैं, जो भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ के आया, जो दसवी अनुसूची करते रहे, वो भी पांच साल तक और जब खुद इसमें फंस गये तो न घर के रहे न घाट के।

इस सवाल का जवाब भी भाजपा को देना है। कल जब स्थापना दिवस होगा, लगता है संसदीय इतिहास में भाजपा के कारण एक संवैधनिक दाग लगाया जायेगा। हड़बड़ी में विधानसभा का प्रधानमंत्री से उद्घाटन करानेवाले, नाम खुदवा लिये, अब नाम लेनेवाला कोई नहीं, ये विडम्बना है।