धनबाद भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो द्वारा अपराधियों के साथ मिल, कर रहे चुनाव प्रचार पर आम जनता और राजनीतिक पंडितों ने भृकुटि तानी और इसे देश व लोकतंत्र के लिए खतरा बताया
रंजीत साव को जानते हैं न। वहीं रंजीत साव जो झरिया का व्यवसायी था। जिसकी हत्या दो साल पहले कर दी गई थी। जब वो अपनी दुकान पर बैठा था। जिस घटना से प्रभावित होकर पूरा साव समाज धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर आकर बैठ गया था। जिस घटना से द्रवित होकर वर्तमान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी झरिया की नेत्री रागिनी सिंह के साथ रंजीत साव के घर उनके परिवारवालों को ढांढ़स बंधाने पहुंचे थे और आज क्या हो रहा है? जिस अमर रवानी का उसके हत्याकांड में नाम आया, उस हत्यारे के साथ धनबाद का भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो चुनाव प्रचार कर रहा है।
यानी धनबाद में सुप्रसिद्ध साहित्यकार हरिशंकर परसाई की रचना ‘भेड़ और भेड़िये’ का खुला मंचन चल रहा है और इस मंचन में भाजपा के साथ रहनेवाले सारे लोग खुलकर आम जनता को धोखा देने में लगे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि ऐसी घटियास्तर की राजनीति आज तक धनबाद की जनता ने कभी नहीं देखी थी, जो भाजपा के नेता दिखा रहे हैं। इधर ढुलू महतो के इस घटियास्तर की करतूतों से आजिज होकर धनबाद के निवर्तमान सांसद पीएन सिंह और विधायक राज सिन्हा ढुलू महतो से दूरियां बनाकर चल रहे हैं, ताकि वे भविष्य में धनबाद की जनता का कोपभाजन नहीं बन सकें।
इसी बीच पता चला है कि आज धनबाद से प्रकाशित प्रभात खबर हिन्दी दैनिक में ढुलू महतो ने अंग्रेजी भाषा में एक विज्ञापन छपवाया है, जो उसके अपराधिक रिकार्ड से संबंधित है। लोगो का कहना है कि हिन्दी अखबार में अंग्रेजी का विज्ञापन ये कुछ समझ नहीं आया, ऐसे भी क्या ढुलू महतो खुद भी अंग्रेजी जानते हैं? जब वे खुद नहीं जानते और न समझ पाते तो यहां की जनता क्या समझेगी और जानेगी?
ये तो सीधे-सीधे धनबाद की जनता की आंखों में धूल झोंकना हुआ। इससे अच्छा रहता कि वे दक्षिण भारत की भाषा तमिल, तेलुगू, कन्नड़ या मलायलम में ढुलू महतो अपना अपराधिक रिकार्ड छपवा देते तो और अच्छा रहता, लोगों को पता ही नहीं चलता, सभी काला अक्षर भैंस बराबर होने का मजा लेते। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिन उद्देश्यों से इस प्रकार की बातों को अखबारों में छपवाने का प्रचलन शुरु किया गया। दरअसल इन प्रचलनों की भी अब ये विधायक व सांसद का चुनाव लड़ रहे लोग धज्जियां उड़ा रहे हैं। चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान लेना चाहिये।