राज्य के सारे विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को राज्यपाल ने कहा – जनजातीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर विशेष ध्यान दें
राज्यपाल सह राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा है कि झारखण्ड जनजाति बाहुल्य राज्य है। यहां 32 प्रकार के जनजाति रहते हैं, जिसमें PVTGs भी है। उन्होंने कहा कि राज्य में समृद्ध जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा क्रियाशील है, लेकिन अपेक्षित गति से समृद्ध नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि जनजातियों की विशेषता है कि वे अपनी भाषा एवं संस्कृति के साथ रहना चाहते हैं। ऐसे में शिक्षा ग्रहण हेतु उनकी भाषा अहम है।
राज्यपाल आज झारखण्ड में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा की शिक्षा स्थिति के संदर्भ में विडियोकांफ्रेसिंग के माध्यम से समीक्षा कर रही थी। विडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से आहुत इस समीक्षा बैठक में राज्यपाल के राज्यपाल के प्रधान सचिव-सह-प्रधान सचिव उच्च एवं तकनीकी शिक्षा, उप निदेशक उच्च शिक्षा विभाग, सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं प्रतिकुलपति तथा एनआइसी के झारखण्ड प्रभारी भी मौजूद थे।
विश्वविद्यालयों का अहम दायित्व है कि वे जनजातीय भाषाओं को बढ़ावा दें। प्रधानमंत्री द्वारा नई शिक्षा नीति के माध्यम से इन विषयों पर ध्यान दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थी सिर्फ डिग्री अर्जित नहीं करें। उनमें असीम प्रतिभा हैं, उन्हें प्रखर करें। उन्होंने कहा कि हमें अपने विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु जनजातीय कला शिल्प को भी विकसित करना चाहिए, उन्हें व्यवसायिक प्रशिक्षण दें ताकि उन्हें रोजगार प्राप्त हो सकें, वे पारंपरिक उद्योग धंधे आरम्भ कर सकें।
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषाओं में शोध स्तर को उच्च और व्यापक बनाने की दिशा में समर्पित भाव से प्रयास करें। राज्यपाल ने कहा कि नैक की टीम द्वारा उन्हें अवगत कराया गया कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विद्यार्थियों को हिन्दी और अंग्रेजी भाषा की भी शिक्षा सुलभ करायें। उन्होंने कहा कि झारखण्ड में लगभग 26 प्रतिशत और देश में लगभग दस प्रतिशत जनजाति निवास करते हैं। उनको आगे बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालयों को भी सोचना होगा।
राज्यपाल ने सभी विश्वविद्यालयों से रिक्तियों और पढ़ाई की मांगों पर विचार करते हुए कहा कि उनका प्रयास है कि सृजित पदों पर शीघ्र नियुक्ति हो जाय। राज्यपाल ने सभी कुलपतियों से जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विषय की पढ़ाई की जानकारी लेते हुए इन युवाओं के किन-किन रोजगारों में संलिप्तता के संदर्भ में पृच्छा की गई। कुलपतियों द्वारा अवगत कराया कि वे पीजी कर नेट/जेआरएफ उत्तीर्ण कर रहे हैं। वे राज्य लोक सेवा आयोग में भी चयनित हो रहे हैं। इसके साथ वे स्कूल शिक्षक, रेलवे की नौकरी के अतिरिक्त बैंकिंग क्षेत्र में भी जा रहे हैं।
समीक्षा के क्रम में राज्यपाल से विश्वविद्यालयों द्वारा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा के विभिन्न विषयों की पढ़ाई की मांगों और आवश्यकताओं के संदर्भ में अवगत कराते हुए शिक्षकों की नियुक्ति के लिए पहल करने का आग्रह किया गया। सभी विश्वविद्यालयों ने अपने यहां जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा के विभिन्न विषयों में संचालित पीजी/यूजी/सर्टिफिकेट कोर्स की जानकारी दी।
इस अवसर पर चांसलर पोर्टल के माध्यम से विश्वविद्यालयों में नामांकन के लिए आवेदन में आ रही समस्याओं के संदर्भ में परिचर्चा भी की गई। इसके साथ ही इंटरमीडिएट की पढ़ाई को डिग्री कॉलेज से पृथक करने पर पर चर्चा करते हुए कहा गया कि वर्तमान में नोवेल कोरोना वायरस जैसी महामारी की परिस्थिति में तत्काल इसे पृथक करना न्यायसंगत नहीं है। हालांकि इंटर की पढ़ाई का डिग्री कॉलेज से पृथक्करण आवश्यक है, लेकिन अभी विषम परिस्थितियों के कारण जल्दबाजी में निर्णय नहीं लिया जा सकता है।