भारी जनसमर्थन के बीच संपूर्ण विपक्ष के झारखण्ड महाबंद का व्यापक असर
भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के खिलाफ पूरे राज्य में संपूर्ण विपक्ष के महाबंद को आज जनता का भरपूर समर्थन मिला। राजधानी रांची के कई इलाकों में बंद स्वतःस्फूर्त दिखा। राजधानी रांची के स्कूलों ने राज्य सरकार के निवेदन को ठुकराते हुए, विपक्ष के बंद का साथ दिया और अपने स्कूल बंद रखे, ज्ञातव्य है कि ट्रैफिक डीएसपी ने स्कूलों को बंद न करने का अनुरोध किया था, जिसे सारे निजी स्कूलों ने ठुकरा दिया।
यहीं नहीं रांची के सारे व्यापारिक प्रतिष्ठान आज बंद रहे, कोई काम-काज नहीं हुआ, ज्ञातव्य है कि ज्यादातर व्यापारिक प्रतिष्ठान भाजपाइयों के ही हैं, यानी रांची के व्यापारियों ने भी राज्य सरकार से अपनी नाराजगी दिखा ही दी। रांची के सारे के सारे बस स्टैंड सुनसान दीखे, रांची से बिहार, ओड़िशा, बंगाल ही नहीं, बल्कि झारखण्ड के विभिन्न शहरों को जाने के लिए एक भी बस रांची से नहीं खुले, आज सारे के सारे बस मालिकों ने अपने-अपने वाहनों को बंद रखा। राजधानी रांची में ग्रीन और पिंक रंग के ऑटो तक नहीं चले। ज्यादातर लोग घरों में बंद रहे, जिन्हें ज्यादा जरुरी था, वे ही घर से निकले, आज जितने भी राजनीतिक दल के नेता निकले, वे सभी पूर्वाह्ण 10 बजे के बाद ही निकले, सच्चाई यह है कि इन राजनीतिक दलों ने बंद कराने का प्रयास ही नहीं किया, क्योंकि राजधानी रांची पहले से ही बंद थी, ये सिर्फ प्रदर्शन और अपना आक्रोश व्यक्त करने के लिए निकले थे, जो जनाक्रोश का रुप ले रहा था।
इधर कोई अप्रिय घटना नहीं घटे, इसके लिए बड़े पैमाने पर पुलिस की बंदोबस्ती थी, रैपिड एक्शन फोर्स के जवान भी लगे थे, बड़े पैमाने पर वाहनों को रखा गया था, ताकि गिरफ्तारियां की जा सके। आज झारखण्ड महाबंद में जिन नेताओं ने प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तारियां दी, वे हैं – झामुमो के वरिष्ठ नेता एवं नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन, महुआ मांजी, कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय, प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार, झाविमो के नेता बाबू लाल मरांडी, प्रदीप यादव, भाकपा माले के विनोद कुमार सिंह, शुभेन्दु सेन, जनार्दन प्रसाद, भुवनेश्वर केवट, भाकपा के केडी सिंह, समाजसेवी वासवी कीड़ो समेत पूरे प्रदेश से करीब 15 हजार से भी ज्यादा बंद समर्थकों को गिरफ्तार किया गया।
पूरे राज्य में आज के बंद से कई इलाकों में जन-जीवन अस्त-व्यस्त भी होता दिखा। पूरे संताल परगना, जमशेदपुर, धनबाद, गिरिडीह, बोकारो, डालटनगंज का भी यहीं हाल रहा। सभी विपक्षी दलों ने राज्य सरकार द्वारा की गई घेराबंदी और दिखाये गये भय को दरकिनार कर बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतरे, और अपने जनाक्रोश को दिखा दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में भी बंद का व्यापक असर देखा गया।
बंद के दौरान नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन ने विद्रोही 24.कॉम से बातचीत में कहा कि झारखण्ड महाबंद की सफलता रघुवर सरकार के लिए चेतावनी है, अगर इसके बाद भी यह सरकार नहीं सुधरती है तो जनाक्रोश और बढ़ेगा, वे किसी भी कीमत में भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय ने कहा कि रघुवर सरकार के अंदर नैतिकता नाम की कोई चीज ही नहीं, ये अडानी और अंबानी के लिए पीएम नरेन्द्र मोदी के इशारे पर काम कर रही हैं, इसे झारखण्ड से जाना ही होगा।
कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार ने कहा कि यहां के मुख्यमंत्री को जनाक्रोश का सम्मान करते हुए, शीघ्र इस्तीफा दे देनी चाहिए, पर ये इस्तीफा देने का काम नैतिकता से जुड़े लोग करते है, उन्होंने कल के डीजीपी के बयान को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि जब राज्य के सर्वोच्च पद पर बैठा एक पुलिस अधिकारी इस प्रकार का बयान दे रहा हैं, तो ये गंभीर बात है, ऐसे लोगों से राज्य की बेहतरी की उम्मीद नहीं की जा सकती।
भाकपा माले नेता विनोद कुमार सिंह ने कहा कि भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के लागू हो जाने से पूरे राज्य के आदिवासियों-मूलवासियों और वंचितों के अस्तित्व पर संकट मंडराने लगा है, इसका विरोध होना ही चाहिए, भाकपा माले इस मुद्दे पर अपना संघर्ष जारी रखेगी।
झाविमो नेता बाबू लाल मरांडी ने मुख्यमंत्री रघुवर दास की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इस सरकार ने जनता का विश्वास खो दिया है, आज की बंद की सफलता, इस बात का संकेत है कि आनेवाला समय विपक्ष का है, उन्होंने संपूर्ण विपक्ष द्वारा आज की महाबंद को मिली सफलता पर जनता को साधुवाद देते हुए कहा कि अगर जनता का सहयोग नहीं मिलता, तो ये बंद सफल नहीं होता।