अपनी बात

मंईयां सम्मान यात्रा की बढ़ती लोकप्रियता व उसमें उमड़ रही भीड़ तथा भाजपा की परिवर्तन यात्रा व रैलियों से आम जनता के गायब होने की घटना ने भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के दिलों की धड़कन बढ़ाई

मंईयां सम्मान यात्रा की बढ़ती लोकप्रियता व उसमें उमड़ रही भीड़ तथा भाजपा की परिवर्तन यात्रा व रैलियों से अचानक आम जनता द्वारा दूरी बना लिये जाने की घटना ने भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के दिलों की धड़कन बढ़ा दी है। इन भाजपा नेताओं को अब सूझ नहीं रहा कि कौन सा अब तरकीब निकालें, जिससे आम जनता उनकी परिवर्तन रैली में पहुंचे।

भाजपा के इस परिवर्तन यात्रा में अगर कही भीड़ दिख भी रही हैं तो वो भाजपा की नहीं, बल्कि उन घुसपैठिये/धन्नासेठ नेताओं की हैं, जो दूसरे दलों से आकर भाजपा में अपनी पैठ बनाने की कोशिश कर रहे हैं और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते हैं। सच्चाई यह है कि इन घुसपैठियों/धन्नासेठों के लोग अब भाजपा कार्यकर्ताओं को उन रैलियों व सभाओं से धकियाकर निकाल भी रहे हैं। जिससे भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता इन-दिनों ज्यादा दुखी हैं।

कल की बेरमो की ही बात करें तो भाजपा की इस परिवर्तन रैली में लाई गई कुर्सियों में 70 प्रतिशत कुर्सियां खाली थी। इस रैली में लोगों को बुलाने के लिए तरह-तरह की तरकीब निकाली गई थी। किसी ने कहा कि इस रैली को योगी जी, किसी ने कहा कि इस रैली को शिवराज सिंह, किसी ने कहा कि हिमंता बिस्वा सरमा तो किसी ने कहा कि मनोज तिवारी संबोधित करेंगे। लेकिन उसके बावजूद भी यहां भीड़ नहीं आई। ले-देकर इस सभा को परिवर्तन यात्रा ढो रहे प्रमंडलीय प्रभारी रवीन्द्र राय ने संबोधित किया। जिससे इस परिवर्तन यात्रा की बैंड ही बज गई। बेरमो का नीचे दिया गया यह चित्र खुलकर सब कुछ कह दे रहा है। आप खुद देखिये।

जबकि इधर मंईयां सम्मान यात्रा जैसे-जैसे आगे की ओर बढ़ रहा हैं। वैसे-वैसे इस यात्रा में भारी भीड़ बढ़ती जा रही है। लोग कल्पना सोरेन को देखने और उनकी भाषण सुनने के लिए उमड़ रहे हैं तथा चर्चा भी कर रहे हैं। ज्ञातव्य है कि गत सोमवार यानी 23 सितम्बर से गढ़वा के वंशीनगर स्थित गोसाईंबाग मैदान से शुरु हुई मंईयां सम्मान यात्रा अब मेदिनीनगर तक पहुंच चुकी है और रास्ते में जहां से गुजरी है। उमड़ रही भीड़ ने गजब का स्वागत किया है। हम आपको यह भी बता दें कि ये इलाका भाजपा का इलाका है, न कि झामुमो का इलाका है। भाजपा के इस इलाके में भी झामुमो का इस प्रकार का वर्चस्व होना, भाजपा के लोगों के दिलों के धड़कन को बढ़ाने के लिये काफी है।

राजनीतिक पंडित कहते हैं कि मेदिनीनगर के शिवाजी मैदान में भारी बारिश के बावजूद भारी संख्या में महिलाओं व बच्चों के हुजूम का मैदान में डटे रहना बहुत कुछ कह देता है। अब यहां के अखबार व अन्य मीडिया भाजपा के इशारे पर इस न्यूज को अपने अखबारों से उड़ा दें तो उसकी बात अलग है। लेकिन जहां पर ये कार्यक्रम हो रहे हैं, वहां के लोग तो इस बात के साक्षी है ही कि भीड़ किसके कार्यक्रम में जुट रही हैं और क्यों जुट रही है। हाल ही में पलामू में भाजपा का कार्यक्रम हुआ, उसके कार्यक्रम में इस प्रकार की भीड़ तो दिखी नहीं। जो मंईयां सम्मान यात्रा में दिखी।

राजनीतिक पंडित तो ये भी कहते है कि भाजपा की परिवर्तन यात्रा तो मंईयां सम्मान यात्रा के आगे कुछ नहीं। भाजपा के तो परिवर्तन यात्रा में उसके शीर्षस्थ नेता जैसे पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान तथा अन्य भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री लगे हैं। लेकिन मंईयां सम्मान यात्रा में कौन है? ले-देकर सिर्फ और सिर्फ कल्पना सोरेन। ऐसे में अगर कल्पना सोरेन ही सिर्फ इनका धुआं छुड़ा दे रही हैं तो समझ लीजिये, चुनाव की घोषणा होते-होते भाजपा का क्या हाल होगा?

राजनीतिक पंडित तो यह भी कहते है कि भाजपा के पास जितनी मिसाइलें थी, उसने अब दाग दी। इससे ज्यादा अब क्या दागेगी। लेकिन अब तो सारा मैदान झामुमो का है। झामुमो ने जिस प्रकार से भाजपा की बैरिकेडिंग की है। भाजपा के नेता उसमें बुरी तरह फंस चुके हैं। भाजपा के कार्यकर्ता तो पहले से ही भाजपा की खटिया खड़ी करने में लगे हैं, क्योंकि उनका अब वहां सम्मान ही नहीं हो रहा। तभी तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् जो भाजपा का ही एक छात्र विंग है। उसके कई शीर्षस्थ नेता भाजपा का दामन छोड़, झामुमो का दामन पकड़ चुके हैं। जिसका परिणाम अब दिखाई देने लगा है। मंईयां सम्मान यात्रा जिधर से गुजर रही हैं। भाजपा के परिवर्तन यात्रा को लीप-पोत कर आगे निकल जा रही है।