पलामू प्रमंडल की ज्यादातर सीटों पर महागठबंधन बहुत मजबूत स्थिति में, भाजपा की स्थिति नाजुक
पलामू प्रमंडल की 9 विधानसभा में ज्यादातर सीटों पर महागठबंधन बहुत ही मजबूत स्थिति में हो गई है, जबकि एक-दो सीटों को छोड़कर भाजपा की स्थिति बहुत ही नाजुक है, हालांकि पलामू प्रमंडल के कई इलाकों में भाजपा के दिग्गज नेताओं के दौरे संपन्न हो चुके है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल तो उसके पहले भाजपा कार्यकर्ताओं की नजर में खुद को चाणक्य कहलानेवाले देश के गृह मंत्री अमित शाह का पलामू में दौरा हो चुका है।
उसके बावजूद भाजपा प्रत्याशियों की जीत हो जायेगी, इसकी गारंटी कही से नहीं मिल रही, पर महागठबंधन के पक्ष में स्थितियां धीरे-धीरे अनुकूल होती जा रही हैं। जिन-जिन सीटों पर महागठबंधन मजबूत है, उसके नाम इस प्रकार है – गढ़वा, विश्रामपुर, डालटनगंज, लातेहार, मनिका, पांकी तथा भवनाथपुर में निर्दलीय और छतरपुर तथा हुसैनाबाद में भाजपा समर्थित उम्मीदवार की स्थिति मजबूत दिख रही हैं।
राजनीतिक पंडितों की माने तो उनका कहना है कि आनेवाले समय में यह भी हो सकता है कि अंत में छतरपुर और हुसैनाबाद भी न कही भाजपा के हाथ से निकल जाये। आज डालटनगंज में के एन त्रिपाठी के पक्ष में लोगों का हुजूम विभिन्न स्थानों पर उन्हें समर्थन देता हुआ दिखाई पड़ा। वहीं विश्रामपुर में मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी के व्यवहार से नाराज लोग इस बार उन्हें सबक सिखाने को तैयार है। जबकि इसी विधानसभा में हाल ही में अपने बेटे को खो चुके ददई दूबे के प्रति सहानुभूति वोट भी स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है।
जो जानकार है, उनका कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से सवर्ण वोट जो भाजपा की ओर मुड़ गये थे, इस बार बड़ी तेजी से महागठबंधन की ओर पोलोराइज हुए हैं, जबकि मुस्लिम व आदिवासियों तथा दलितों का एक बहुत बड़ा वर्ग बड़ी तेजी से महागठबंधन की ओर शिफ्ट हुआ हैं, भाजपा के प्रति नाराजगी का मूल कारण जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ मुख्यमंत्री का जनता के प्रति बदलता व्यवहार भी है।
हाल ही में सुचित्रा मिश्रा हत्याकांड के आरोपी को दिल से भाजपा द्वारा किया गया समर्थन और पांकी से उसे उम्मीदवार बना देना, लोगों को रास नहीं आया, इस कारण सवर्ण वोट भाजपा को मिलेगा, इसकी गारंटी इस बार भाजपा को नहीं हैं, यानी जो परम्परागत वोट हैं, वो भाजपा से नाराज होकर महागठबंधन की ओर आ गया है। साथ ही इन इलाकों में मुख्यमंत्री रघुवर दास से ज्यादा लोकप्रिय अगर कोई नेता है, तो वह है हेमन्त सोरेन, यहीं सबको अचंभित कर रहा है।
इन इलाकों में हालांकि 30 नवम्बर को मतदान होने हैं, 28 नवम्बर को चुनाव प्रचार का अंतिम दिन है, सभी उम्मीदवार ताकत लगा चुके हैं, भाजपा के उम्मीदवारों को लगता है कि मोदी जी आ गये हैं, उनका जादू चल चुका हैं, उनकी जीत सुनिश्चित है, पर जानकारों का कहना है कि पीएम मोदी के आगमन का भी इन इलाकों में कोई असर नहीं, इस बार सभी ने अपने वोट को सम्मान से जोड़ लिया हैं, सबक सिखाने को जनता तैयार हैं।
23 दिसम्बर को इन इलाकों से क्या चुनाव परिणाम आयेगा, नहीं कहा जा सकता, पर आज की जो स्थिति हैं, वह बतला रही है कि जनता परिवर्तन चाहती है, इस बार वह परिवर्तन के पक्ष में वोट करेगी, और बहुत लोगों को जो घमंड हो गया है, उस घमंड को निश्चित ही नाश करेगी और बतायेगी कि इन इलाकों का असली चाणक्य कौन है? फिलहाल पलामू के प्रथम चरण चुनाव का आनन्द लीजिये, और 23 दिसम्बर का इंतजार कीजिये।