जिन मीडिया हाउस को कल CM ‘रघुवर’ में खुदा नजर आता था, अब उनके सपने में ‘हेमन्त’ आने लगे
कमाल की बात है, ये मीडिया हाउस में बैठे लोग भी न, जनता व नेताओं को कितना बेवकूफ समझते हैं, जरा देखिये न कल तक जिन मीडिया हाउसों को सीएम रघुवर में खुदा नजर आता था, अब उनके सपने में हेमन्त सोरेन आने लगे हैं। जो कल तक मुख्यमंत्री रघुवर दास के सचिव सुनील कुमार बर्णवाल के साथ सेल्फी लेकर स्वयं को धन्य महसूस करते थे, फेसबुक में डाला करते थे, लोगों को दिखाया करते थे, मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार की स्तुति गाया करते थे, आज वे भयभीत है, उन्हें यह डर सता रहा है कि अगर कल हेमन्त सोरेन की सरकार आ गई तो उनका क्या होगा?
आजकल इसी भय से जनाब दुमका पहुंच गये हैं। वे हेमन्त सोरेन से वन टू वन कर रहे हैं, इसके द्वारा वे बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वे हेमन्त सोरेन के सबसे बड़े हितैषी हैं, लोकतंत्र के पहरेदार है, जबकि इन्होंने लोकतंत्र की कैसे धज्जियां उड़ाई हैं, वो झारखण्ड की जनता को पता है।
सरकार की शान में ये मीडिया के लोग ने तो अपने यहां आयोजित कान्क्लेव में स्वयं हरमू नदी पर ही सवाल उठा दिया था, वह भी यह कहकर कि हरमू कभी नदी रही ही नहीं हैं, वो तो शुरु से ही नाला है, अब ऐसी सोच को क्या कहेंगे, फिर भी छोड़िये, अभी चुनाव का माहौल हैं, आज चुनाव प्रचार का अंतिम दिन हैं, बेचारा हेमन्त सोरेन को यह दिखाने की कोशिश कर रहा हैं कि आपकी सत्ता आई तो इस नाचीज को मत भूलियेगा, क्योंकि आपके प्रचार में मैं भी लगा हूं।
इधर भाजपावाले भी इसके इस गिरगिट की तरह रंग बदलने की कला से वाकिफ हो चुके हैं, सूत्र बता रहे है कि भाजपा के एक बड़े नेता ने उसकी इस हरकत के लिए झिड़की भी लगाई हैं, जिस पर उसने अपनी सफाई भी पेश की, कि वह कर ही क्या सकता है, वो तो दिल्ली और रांची की चक्की में पिस जाने को मजबूर है।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि संथाल परगना में झामुमो की स्थिति बहुत ही मजबूत हैं, पिछले चार चरणों में जो चुनाव संपन्न हुए हैं, वहां भी यहीं स्थिति थी, ऐसे में हेमन्त की सरकार का बनना झारखण्ड में उतना ही सुनिश्चित है, जितना प्रतिदिन सूर्य का पूर्व से उगना, ऐसे में मीडिया का हेमन्त के प्रति अभी से भक्ति दिखाना, बता रहा है कि उसे हेमन्त के प्रति भक्ति नहीं, बल्कि उसका वह डर है कि कही जो अब तक जो वर्तमान सरकार से जो रेवड़ियां मिल रही थी, वह रेवड़ियां बंद न हो जाये।
क्योंकि जिस प्रकार से इस चुनाव में इन मीडिया हाउस ने सत्तापक्ष की चाटुकारिता कर लोकतंत्र की मर्यादा को धूल-धूसरित किया, वो देश ही नहीं बल्कि मानवीय मूल्यों तक के खिलाफ हैं, ऐसे पत्रकार व मीडिया हाउसों से देश को बहुत बड़ा नुकसान है, लोगों को अभी से सतर्क होना चाहिए, साथ ही हेमन्त सोरेन को भी ऐसे लोगों से सतर्क हो जाना चाहिए, ऐसे भी हेमन्त इतने परिपक्व हैं कि इन मीडिया हाउस की गणेश परिक्रमा का उन पर कोई प्रभाव पड़ेगा, ऐसा फिलहाल नहीं दिखता।