अखबार की सुर्खियां भाजपाइयों से कुछ कह रही हैं, मौके की नजाकत को समझिये, हालात राज्य के ठीक नहीं
आज राज्य के सभी प्रमुख अखबारों की सुर्खियां कुछ कह रही हैं, और ये भाजपा नेताओं को ज्यादा संदेश दे रही हैं, कि वे देश के मौजूदा हालात को समझे, ये जो जयश्रीराम और अंधभक्ति की दौर में जो देश के मूल समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे, उसका परिणाम आज या कल उन्हें भी झेलने पड़ेंगे।
देश की हालात यहीं है कि देश बहुत बड़े आर्थिक मंदी से गुजर रहा है, आनेवाले समय में स्थिति और खराब होने का अंदेशा हैं, क्योंकि धारा 370 की समाप्ति के बाद वर्तमान में केन्द्र सरकार का सर्वाधिक ध्यान जम्मू–कश्मीर के हालात को सुधारने तथा पाकिस्तान के उतावलेपन को जवाब देने का है, ऐसे में देश की आर्थिक मंदी पर ध्यान किसका जायेगा? इधर झारखण्ड के हालात कुछ और हैं, राज्य के मुख्यमंत्री दुबारा सत्ता में आने के लिए उतावले हैं, उन्हें भी अपने राज्य की कोई चिन्ता नहीं।
बिजली की वृद्धि दर में इनके द्वारा की गई अप्रत्याशित वृद्धि ने विभिन्न उद्योगों में ताले लटकवा दिये, नतीजा यह हुआ कि एक और आर्थिक मंदी और दूसरी ओर व्यवसायिक विद्युत दर में अप्रत्याशित वृद्धि एवं उत्पादन में लगातार हो रही कमी ने यहां के उद्योगों की कमर ही तोड़ दी, दिन प्रतिदिन विभिन्न उद्योगों में ताले लटक रहे हैं, जिसे लेकर इन उद्योगों मे काम करनेवाले मजदूरों–कर्मचारियों व युवा वर्गों की हालत पस्त है, उनके सामने जीवन और मृत्यु का यक्ष प्रश्न सामने आकर खड़ा हो गया है, और इधर राज्य सरकार हैं, जिसको आम जनता तो दूर, अपने भाजपाइयों तक का ख्याल नहीं हैं।
तभी तो जिस जमशेदपुर से मुख्यमंत्री रघुवर दास आते हैं, वही एक बहुत बड़ी घटना घट गई, भाजपा के आइटी सेल में ही काम करनेवाले कुमार विश्वजीत के 25 वर्षीय बेटे आशीष कुमार ने आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का कारण नौकरी जाने का भय बताया जा रहा है। बताया जाता है कि आशीष टेल्को (खड़ंगाझार) की एक कंपनी में कम्प्यूटर आपरेटर का काम करता था, जबकि उसकी पत्नी एक कॉलेज में शिक्षिका है, दोनों की शादी एक साल पहले ही हुई थी, अब सवाल उठता है कि भाजपा नेता ने जो अपना इकलौता बेटा खो दिया, उसके लिए जिम्मेवार कौन है, वर्तमान हालात, सरकार की गलत नीतियां या आशीष जिसने अपनी जीवन लीला ही समाप्त कर ली।
झारखण्ड में भूख से मौत, किसानों द्वारा आत्महत्या की खबरें, अस्पतालों की दुर्दशा के कारण हो रही मौते हमेशा सुर्खियां बनती है, पर आज भाजपा नेता के इकलौते बेटे को नौकरी जाने के भय ने राज्य के हालात की सही तस्वीर पेश कर दी है, तथा राज्य सरकार के विकास की पोल खोलकर रख दी है, साथ ही पोल खोलकर कर रख दी हैं, मुख्यमंत्री रघुवर दास की इस घोषणा की, जिसमें वे लाखों युवाओं को नौकरी देने की दावा ठोकते रहते हैं, सच्चाई तो यह है कि राज्य की स्थिति बहुत ही गंभीर हैं, सरकार के जो दावे हैं, खोखले हैं।
बड़े पैमाने पर राज्य में उद्योग धंधे ठप पड़े हैं, जो बड़ी कंपनियां हैं, उनके उदयोग में भी ताले लगते हुए दिखाई दे रहे हैं, ऐसे में लाखों परिवारों के पास कोई ऐसा विकल्प नहीं दिख रहा, जिससे वे अपने परिवार के लिए भोजन का प्रबंध कर सकें या अपने सपने पूरे कर सकें, जबकि राज्य में जिन लोगों के पास शासन चलाने का तंत्र हाथों में हैं, वे मस्ती में हैं, क्योंकि उन्हें तो किसी चीज की दिक्कत है नहीं, उन्हें समय पर वेतन मिल ही रहे हैं और कमीशन जो प्राप्त होते हैं, वे अलग। ऐसे में सामान्य लोगों की कौन सुने, इधर भाजपा नेता के बेटे द्वारा नौकरी जाने के भय के कारण की गई आत्महत्या, आज नहीं तो कल भाजपा नेता–कार्यकर्ताओं को भी आंखे खोलने का काम करेगी और उन्हें सच्चाई का सामना आज नहीं तो कल करना ही पड़ेगा, भले ही आज वे वर्तमान की सच्चाई से आंखें मूंद लें।