गरीबों से चैन, उनका स्वास्थ्य, उनके बच्चों से स्कूल तक छीन लिये और विकास की बात करते हैं?
आप नये विधानसभा भवन बना दो, उससे हमें क्या मतलब? उस विधानसभा भवन में नेता बैठेंगे, आप बैठोगे। आप नये उच्च न्यायालय भवन बना दो, उससे हमें क्या मतलब? उसमें बड़े-बड़े न्यायाधीश-अधिवक्ता बैठेंगे। आप राजधानी के मुख्यालय या राज्य के विभिन्न शहरों में बड़े-बड़े थ्री स्टार या फाइव स्टार टाइप के प्रेस क्लब बना दो, उससे भी हमे क्या मतलब? बड़े-बड़े अखबारों व चैनलों में काम करनेवाले रईस, उसमें बैठकर रईसी झाड़ेंगे। आप स्मार्ट सिटी बना दो, उससे भी हमें क्या मतलब? उसमें भी आप और आपके चाहनेवाले स्मार्ट बनेंगे। अरे हम जनता का एक ही सवाल, बताओ मुख्यमंत्री रघुवर दास, हम जनता के लिए आपने इस साढ़े तीन सालों में क्या किया?
ये सवाल इसलिए कि आप जहां भी जाते हो, विकास-विकास चिल्लाते हो? आपको चाहनेवाले आपके प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी हर जगह चिल्लाते रहते है, विकास देखना है तो झारखण्ड जाइये, अरे हम जनता तो लगभग साढ़े तीन साल से आपको झेल रहे है, क्या किया आपने हमारे लिये? आपने नारा दिया था – खेत का पानी खेत में, गांव का पानी गांव में और शहर का पानी शहर में। अरे जब पानी ही नहीं है तो खेत, गांव और शहर में पानी दिखेगा कैसे? आज भी झारखण्ड के कई इलाके कस्बे-गांव ऐसे हैं, जहां पानी के लिए लोग जिल्लत भरी जिंदगी जी रहे हैं?
आज स्थिति यह है कि हम गरीब जनता के बच्चों के पढ़ने के लिए जो प्राथमिक, मध्य या उच्च विद्यालय हुआ करते थे, वहां भी आपकी कुदृष्टि चली गई और ये विद्यालय मर्ज करने के नाम पर एक-एक कर बंद होते चले जा रहे है, अब आप ये बताओ कि हमारे बच्चे कहां पढ़ेंगे? कैसे पढ़ेंगे? आप तो नेता हो, आप तो लाखों रुपये देकर बड़े-बड़े स्कूलों डीपीएस-डीएवी-मिशनरीज आदि में अपने बच्चों को पढ़ा लोगे, पर हम जो दो रोटी के लिए तरसते हैं, भूखों मरते हैं, हम अपने बच्चों को कहां पढ़ायेंगे? आपने तो हमारे बच्चों के भविष्य को ही अंधकारमय बना दिया और उन्हें जिंदगी भर आप जैसों के तलवे सहलाने को जीने के लिए विवश कर दिया।
एक तो भरपेट भोजन नहीं, भोजन नहीं तो स्वास्थ्य ठीक कैसे रहेगा? उस पर से जब हमें कोई भयंकर बीमारी हो गई तो यहां कोई ऐसा ढंग का अस्पताल तक आप नहीं बना सके, जहां हम अपना या अपने परिवार का इलाज भी करा सकें। शर्म आनी चाहिए, आज भी जाकर रांची या हटिया रेलवे स्टेशन जाकर देख लो, लोग कैसे दक्षिण भारत के वेल्लोर शहर जाने के लिए ट्रेनों का इंतजार कर रहे होते हैं और वहां जाकर अपना और अपने परिवार का इलाज करवा रहे हैं, यानी दो ढाई सालों को छोड़ दिया जाय, तो एकतरफा शासन आपकी पार्टी का और इतने सालों में एक ढंग का अपने राज्य में अस्पताल तक नहीं बनवा सकें, जो पूरे देश के लिए गौरव बन सके। आज भी आंख की चिकित्सा के लिए लोग चेन्नई के शंकर नेत्रालय दौड़ते हैं। कैंसर के लिए मुंबई भागते है, अरे सामान्य बिमारियों के लिए दिल्ली के एम्स दौड़ते हैं और बात करते हो, कि हमने विकास किया?
अरे आज भी उच्च शिक्षा के लिए लोग भुवनेश्वर, बंगलूरु, चेन्नई, दिल्ली, अहमदाबाद, खड़गपुर जैसे शहरों की दौड़ लगाते हैं और आपके झारखण्ड में कोई रहकर पढ़ना नही चाहता। अरे विकास देखना हैं तो जाकर बिहार घुम आओ, जहां की राजधानी पटना में ऐसे-ऐसे ओवरव्रिज बन गये हैं, कि आपका दिमाग चकरा जायेगा कि हम पटना में है या विदेश में, और आपने 18 सालों में रांची में एक ढंग का ओवरब्रिज नहीं बना सके और बात करेंगे कि मोनो रेल चलायेंगे। एक नदी –हरमू उसे तो नाला बना दिया और कहेंगे कि विकास करेंगे।
अरे विकास कोई बनिये के दुकान पर बिकनेवाला चॉकलेट हैं क्या? या विकास बकरी का बच्चा है कि दौड़ा और पकड़ लिया? आज भी पलायन, विस्थापन और अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे झारखण्ड के आदिवासी आपको निरंतर बद्दुआ देते हैं, और मैं बता देता हूं कि ये बद्दुआ आपको जरुर लगेगी, उन नेताओं-अधिकारियों को लगेगी जो यहां झूठ का हाथी उड़वा रहे हैं, जो मोमेंटम झारखण्ड के नाम पर लूट मचा रहे हैं, जो विकास के नाम पर अपने पोस्टर सटवा रहे हैं, जो विकास के नाम पर जनता को धोखे में रख रहे हैं?
याद रखे, मुख्यमंत्री रघुवर दास, कबीर के उस दोहे को, जो कबीर ने ताल ठोक कर रहा – निर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय, मरे मृग के छाल से लौह भस्म हो जाय। अगर जिस दिन इन गरीब भोले भाले आदिवासियों की आह आपको लग गई तो आपको कोई नहीं बचा पायेगा, उदाहरण अपने ही नेता भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को देख लीजिये, और नहीं तो दूसरे दल के नेता जार्ज फर्नांडिस को भी देख लीजिये। इनके आज के हालात को देख, सबक लीजिये, पर आप सबक लेंगे, इस पर हमें संदेह हैं, क्योंकि आप तो हाथी उड़ाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
आपको तो लग रहा हैं कि नगर निकाय में आपकी जीत हुई हैं, जनता खुश हैं, पर जनता कितनी खुश हैं, वो हमसे बेहतर कौन जानता है, क्योंकि हम अखबार-चैनल में काम करनेवाले कठपुतली पत्रकार थोड़े ही हैं कि अखबार-चैनल का मालिक जब चाहे हमें नचा देगा और नाच जायेंगे। हम तो वक्त को देख रहे हैं, वक्त आपको अपना वक्त दिया है, जिस दिन उसने आपसे अपना वक्त छीन लिया, आप बहुत पछतायेंगे और जनता आप की ओर देखेगी तक नहीं, ज्यादा जानकारी के लिए थोड़ा रांची के रिम्स में इलाजरत लालू प्रसाद को देख आइये, शायद ज्ञान खुल जाये।