अपनी बात

झारखण्ड की जनता अंचलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों से डरना सीखें, नहीं तो मां-बहन की गाली सुनने के लिए तैयार रहे

अगर हेमन्त सरकार ने अपने राज्य के पुलिस अधिकारियों और अंचलाधिकारियों को तमीज नहीं सिखाई, कि कैसे सामान्य जनता के साथ बातचीत या व्यवहार करनी चाहिए, तो इसके भयंकर दुष्परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि इन पुलिस अधिकारियों व अंचलाधिकारियों के बातचीत के ढंग और आम जनता के साथ इनका व्यवहार बहुत ही आपत्तिजनक व असहनीय है।

सामान्य सी बातों पर मां-बहन की गाली देना, और देख लेने की धमकी बता रही है कि राज्य में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा। ऐसा इसलिए विद्रोही24 कह रहा है कि वर्तमान में धनबाद स्थित झरिया के इंस्पेक्टर और इधर बड़कागांव के अंचलाधिकारी वैभव कुमार सिंह के विडियो-ऑडियो जो सोशल साइट पर वायरल हो रहे हैं, वो बताते है कि ये लोगों की सोच कितनी निम्नस्तर की है।

सबसे पहले बड़कागांव के अंचलाधिकारी की ही बात ले लिया जाय, अगर किसी ग्रामीण ने आग लगने पर उन्हें फोन कर इसकी जानकारी ही दे दी और उनसे मदद की गुहार लगा दी तो कौन सा पहाड़ टूट गया? इसमें मां-बहन की गाली देने की बात कहां से आ गई, वे गुस्सा करने व गाली देने के बजाय संबंधित फायर स्टेशन को इसकी सूचना दे देते, तो उक्त ग्रामीण की समस्या भी खत्म हो जाती, पर जनाब ने गाली देने में ही अपनी महानता समझ ली।

जरा सोचिए, एक ओर आदमी कष्ट में हैं, उस व्यक्ति को कष्ट से दूर करने के बजाय, जो जनता के ही टैक्स के पैसों से अपना वेतन पाते हैं, उनकी ये सोच क्या बताती है? दूसरी ओर धनबाद के झरिया थाने के इंसपेक्टर का रौब देखिये, एक व्यक्ति जिसके भाई की हत्या हो गई है, वो शव के साथ झरिया के आर के माइनिंग में नियोजन की मांग करने के लिए गया और झरिया थाना के इंस्पेक्टर ने क्या किया? उसने जमकर उक्त व्यक्ति को भद्दी-भद्दी गालियां दी और उसे जमकर पीटा भी।

सवाल उठता है कि क्या जिसके घर में इतना बड़ा हादसा हो जाये, वो न्याय मांगने के लिए भी कहीं नहीं जाये और उस व्यक्ति के साथ जिसके घर में इतना बड़ा हादसा हो जाये, पुलिस उसे मां-बहन को गाली देगी, उसे लाठी से पीटेगी। अगर यही हाल झारखण्ड में होता रहा तो समझ लीजिये, स्थिति विकराल होगी, हेमन्त सरकार पर अंगूलियां उठेगी, संभव है, सरकार भी जनता की नजर से उतरती चली जायेगी और उसके बाद क्या होगा, हमें लगता है कि सत्ता का स्वाद चख रहे, सभी को मालूम है ही, इसलिए ऐसे पुलिस अधिकारियों और अंचलाधिकारियों पर शिकंजा कसें, उन्हें प्रशिक्षण दिलवाएं, नहीं तो जनता का जवाब कैसा होता है, वो तो जनता के प्रतिनिधियों को भी मालूम होगा।