शहंशाह-ए-झारखण्ड CM रघुवर की जन-आशीर्वाद यात्रा को कोल्हान की जनता ने नहीं दिया भाव
शहंशाह–ए–झारखण्ड रघुवर दास, इन दिनों जन–आशीर्वाद यात्रा पर निकले हैं। संथाल परगना की यात्रा समाप्ति के बाद, इन दिनों ये कोल्हान में हैं। कोल्हान में इनकी सभा में भीड़ दिख नहीं रही, रोड शो में भी लोगों की रुचि नहीं हैं। कमाल है लोगों को लाने के लिए अब सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी सहारा लिया जा रहा हैं, पर जनता है कि उसे रघुवर के भाषण में दिलचस्पी नहीं।
आज सीएम रघुवर दास पटमदा में थे, सीएम रघुवर के साथ चल रहे कुछ पत्रकारों ने बताया कि पटमदा में लोग बहुत कम दिखे, यहीं हाल बोड़ाम में रहा, हालांकि कहने को तो ये इलाका आजसू विधायक रामचंद्र सहिस का हैं, पर ये भूलना नहीं चाहिए कि राज्य में गठबंधन की सरकार है, जिसके मुखिया स्वयं रघुवर दास है। पटमदा में लोग शहंशाह –ए–झारखण्ड से दुखी भी नजर आये।
पीएम मोदी को छोड़े, और सीएम रघुवर खुद बताये कि जनता के लिए उन्होंने पांच साल में क्या किये?
निमडीह, चांडिल के रोड शो में बच्चों का हुजूम ज्यादा था, जबकि मतदाताओं में वो जोश नहीं था, जो आम तौर पर एक राजनीतिज्ञों के लिए दिखते है, उसका मूल कारण मुख्यमंत्री के भाषण में नयापन का नहीं होना, वे हर जगह अपने भाषण में पाकिस्तान, धारा 370 और मोदी का जिक्र करते हैं, और लोग ये सब सुनने के बजाय, यह जानना चाहते है कि राज्य के शहंशाह ए झारखण्ड ने जनता द्वारा दिये गये पांच वर्षों में कौन–कौन से काम किये, जो ये सुना पाने में असमर्थ हैं, ये जो भी बोलते है, वो सारा का सारा केन्द्र से संबंधित हैं, जिसके बारे में लोगों की दिलचस्पी नहीं।
जब CM को पता है कि युवाओं को डिग्री की नहीं, हुनर की जरुरत है, तो फिर इनके निजी विश्वविद्यालय कौन सा हुनर सिखा रहे हैं
यही का एक मतदाता राकेश महतो विद्रोही24.कॉम को बताता है कि पाकिस्तान, धारा 370 और मोदी जी से उसे क्या मतलब? उसे तो रोजगार चाहिए, पर अब तो मुख्यमंत्री खुद कहते है कि रोजगार उसको मिलेगा, जिसके पास हुनर होगा, तो उसका सवाल तो सीधे मुख्यमंत्री से हैं कि आखिर उन्होंने डिग्री के लिए ये सारे नये–नये विश्वविद्यालय क्यों खोलवाने में ज्यादा दिमाग लगाया, क्यों नहीं राज्य में हुनर विश्वविद्यालय या हुनर कॉलेज खुलवा दिया और खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास में कौन सा हुनर है कि वे राज्य के मुख्यमंत्री बन गये, सच्चाई तो यह है कि राज्य में ऐसा व्यक्ति मुख्यमंत्री हैं, जिसको झारखण्ड के बारे में पता ही नहीं हैं, और सिर्फ मोदी भक्ति के कारण तथा भाजपा में ही विकल्प नहीं रहने के कारण फिलहाल स्वयंसिद्ध बना बैठा है।
चौका में एक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी रखा गया है, ये इलाका है भाजपा विधायक साधु चरण महतो का, जिनका विवादों से गहरा नाता रहा हैं, लोग आते हैं, सांस्कृतिक कार्यक्रम देखते हैं, और पता चलता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास आ रहे हैं, तो इच्छा–अनिच्छा दोनों मन से वे रघुवर दास के भाषण को सुनते हैं।
अभी भी हेमन्त की बदलाव यात्रा, सीएम रघुवर की जन-आशीर्वाद यात्रा पर भारी पड़ रही
राजनीतिक पंडितों का कहना है कि संथाल परगना के कुछ इलाकों में तो रघुवर की सभा में कुछ लोग दिखे भी, पर कोल्हान तो साफ हो चुका है, इधर हेमन्त सोरेन की जहां–जहां सभा हुई, सारी सभाओं में लोगों की भीड़ अद्भुत रही, दुमका से लेकर भाया गढ़वा और खूंटी में हुई सभा ने सारे रिकार्ड तोड़ दिये, बदलाव यात्रा का अंतिम पड़ाव रांची में होगा, जब झामुमो द्वारा मोराबादी में 19 अक्टूबर को एक विशाल जनसभा आयोजित की जायेगी। कुल मिलाकर देखा जाये, तो बिना सत्ता के, बिना किसी पैसे के, बिना प्रशासनिक सहयोग के अगर जनता हेमन्त सोरेन की सभा में आ रही हैं, तो ये बहुत बड़ी बात है, और इधर सत्ता में रहने के बावजूद सीएम रघुवर की सभा में लोग दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं, तो साफ पता लग जाता है कि जनता का मन–मिजाज किस ओर हैं।
राजनीतिक पंडित यह भी कहते है कि अगर यह सिलसिला ऐसे ही रहा तो जो 65 प्लस का सपना देखे रहे है, कहीं पच्चीस तक आते–आते दम न तोड़ दें, क्योंकि हेमन्त सोरेन, बाबू लाल मरांडी और रामेश्वर उरांव की यह तीन तिकड़ी बन गई और वामपंथियों का सहारा मिल गया तो फिर इस बनी शक्ति के बाद रघुवर दास कहां फेकायेंगे, पता ही नहीं चलेगा, क्योंकि जनता का मन–मिजात तो यहीं कह रहा है कि बहुत हो चुका, बदलाव होना चाहिए।