अपनी बात

जो वामपंथी संगठन एटक के राष्ट्रीय परिषद का सदस्य है, जो कभी BMS कार्यालय पर कब्जा कर इनसे जुड़े मजदूरों की छठी रात की दूध याद दिला दी थी, उस ढुलू की पालकी ढोने को बेताब हैं संघ व भाजपा के लोग

क्या आप जानते हैं कि ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस यानी एआईटीयूसी भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी की ट्रेड यूनियन शाखा है। क्या आप जानते है कि पिछले साल दिसम्बर 2022 में एटक के अलापुझा में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में भाजपा की नई-नई बनी वरिष्ठ नेता व दुमका से भाजपा की प्रत्याशी सीता सोरेन को उपाध्यक्ष चुना गया था। क्या आप जानते है कि सीता सोरेन, भाजपा का दबंग विधायक व वर्तमान लोकसभा प्रत्याशी ढुलू महतो को हराकर ही उपाध्यक्ष बनी थी। क्या आप जानते है कि ढुलू महतो एटक की राष्ट्रीय परिषद का सदस्य भी है।

क्या आप जानते है कि ढुलू महतो धनबाद में यूनाईटेड कोल वर्कर्स यूनियन नाम से एक संगठन भी चलाता है। जो एआईटीयूसी जैसे वामपंथी मजदूर संगठनों से संबंद्ध है। क्या आप जानते है कि ढुलू महतो ने अपनी जागीर को सुरक्षित करने के लिए एक फोर्स भी बना रखी है, जिसे टाइगर फोर्स कहा जाता है। क्या आप जानते है कि संघ से जुड़ा एक राजनीतिक संगठन भाजपा है, ठीक उसी प्रकार संघ से जुड़ा एक मजदूर संगठन भी है, जिसे भारतीय मजदूर संघ कहते हैं।

लेकिन ढुलू महतो भाजपा का विधायक होते हुए भी, अब तो भाजपा ने उसे धनबाद से लोकसभा का अपना प्रत्याशी भी घोषित कर दिया, हो सकता है कि वो लोकसभा में पहुंच भी जाये (हालांकि ये संभव नहीं हैं, क्योंकि इसके टिकट मिलने की घोषणा के बाद से ही भाजपा में युद्ध सा माहौल है, कई भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता तो अभी से ही इसके खिलाफ बिगुल फूंक चुके हैं।) ने कभी भी अपनी पॉकेटी मजदूर संगठन को भारतीय मजदूर संघ से संबंद्ध नहीं किया और न ही भारतीय मजदूर संघ को कभी भाव दी।

आश्चर्य यह भी है कि मजदूर और किसानों तथा दबे-कुचले की राजनीति करनेवाली भाकपा भी ऐसे लोगों को अपने मजदूर संगठन से जोड़ती हैं, जो मजदूरों का ही दमन करते हैं, जो गरीबों को जीने का अधिकार तक छीन लेते हैं। अगर नहीं मालूम हैं तो जाकर चिटाही के उन ग्रामीणों से पूछ लीजिये, जिनका पिछले दिनों घर का बिजली काट दिया गया। पानी की लाइन काट दी गई। उनके आजीविका के साधन तक छीन लिये गये। जिस मामले को हाल ही में बजट सत्र के दौरान झारखण्ड विधानसभा में भाकपा माले विधायक दल के नेता विनोद कुमार सिंह ने उठाया था।

धिक्कार भाजपा को भी, जो बार-बार दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की बात करते थकती नहीं, अंत्योदय की बात करते थकती नहीं, उस भाजपा को ढुलू में दीनदयाल उपाध्याय और श्यामा प्रसाद मुखर्जी का चेहरा दिखाई दिया और उसे धनबाद का लोकसभा का टिकट थमा दिया। एक बात और, अगर आप धनबाद में रहते हैं तो आपको याद ही होगा। दो-ढाई साल पहले की घटना है।

सलानपुर कोलियरी के पास भारतीय मजदूर संघ के करीब 20 साल पुराने कार्यालय पर इसी ढुलू महतो के लोगों ने, इसी के इशारे पर, अवैध रुप से कब्जा कर ताला जड़ दिया था। जब भारतीय मजदूर संघ के तत्कालीन जिलाध्यक्ष महेन्द्र सिंह (अब महेन्द्र सिंह इस दुनिया में नहीं हैं)को इस घटना की जानकारी हुई। तो उन्होंने ढुलू महतो के इस चुनौती को स्वीकार किया और ढुलू के इस कुकर्मों के खिलाफ सड़कों पर उतर पड़ें। भारतीय मजदूर संघ के सैकड़ों मजदूर अपने कार्यालय को पाने के लिए ढुलू के खिलाफ मोर्चा संभाला। अंत में ढुलू को इस कार्यालय से भागना पड़ा।

मतलब समझिये। जिस ढुलू महतो ने संघ की आनुषांगिक संगठन भारतीय मजदूर संघ तक को नहीं छोड़ा। जिस ढुलू महतो ने भाजपाइयों को भी जरुरत पड़ने पर स्वहित में नींबू की तरह निचोड़ने में कोई कसर नहीं उठा रखी थी। आज वे ही संगठन ढुलू महतो की पालकी को अपने कंधे पर उठायेंगे और उसे लोकसभा तक पहुंचाने में लगेंगे। हैं न आश्चर्य और ये सब होगा दिल्ली और नागपुर के इशारे पर। लगे रहिये, ये नई भाजपा है। नये संघ के लोग है। झेलिये, क्या करियेगा और झेलते हुए बोलते रहिये जय-जय श्रीराम।