सत्ता, सरकार और कार्यकर्ता लगे अमित की भक्ति मेें, ट्रैफिक नियमों की उड़ी धज्जियां
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने एकदिवसीय प्रवास पर रांची आ चुके हैं, इस एक दिन की यात्रा पर वे बहुत सारा काम करना प्रारम्भ कर चुके हैं, भाजपा को मजबूती प्रदान करने के लिए भाजपा समर्थित आदिवासियों से बातचीत, अपने मीडिया और आइटी सेल के लोगों को गुढ़ मंत्रों और उनके रहस्यों से वे साक्षात्कार कराने की भी योजना बना रहे हैं, साथ ही कोर कमेटी के लोगों से बातचीत भी करेंगे और शायद जब वे कुछ दिन पहले आए थे, तब उन्होंने कुछ यहां के भाजपा नेताओं को होमवर्क दिये थे, वे होमवर्क कितने हुए, उस पर भी विचार करेंगे, फिर भी हम इतना जरुर कहेंगे कि चाहे अमित शाह जितना जोर लगा लें, उन्हें झारखण्ड से अंततः निराशा ही मिलेगी, क्योंकि जनता ने तय कर रखा है कि इस बार नहीं, भाजपा सरकार।
इसके बहुत सारे कारण है, शायद वे उन कारणों को जानना भी नहीं चाहते और न कोई बताना चाहता है, ऐसे भी वे आज अपने अगुवाई से जरुर गद-गद हो गये होंगे, क्योंकि एक ओर उनकी पार्टी और सत्ता में शामिल लोग उनकी जय-जय कर रहे हैं, तो दूसरी ओर अखबार व मीडिया उनके चरणवंदना में, उनकी भक्ति में अपना भविष्य देख रहे हैं, ऐसे में उन्हें जरुरत क्या है? उस ओर ध्यान देने की, जहां से कुछ प्राप्त होना है, यहां तो न खाता न बही, जो रघुवर कहे, वहीं सही, चल रहा है।
आज जैसा कि मैने पहले ही कहा था कि अमित शाह की अगुवाई में सारे ट्रैफिक कानून की धज्जियां उड़ेंगे और किसी भी वरीय पुलिस पदाधिकारी की हिम्मत भी नहीं होगी कि वे इन भाजपा कार्यकर्ताओं को पकड़कर उनसे कानून तोड़ने पर हर्जाना वसूल सकें, उलटे वे इन भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ायेंगे, उनका मार्ग प्रशस्त करेंगे, क्योंकि आज साक्षात भाजपा के भगवान स्वरुप अमित शाह जो आ रहे हैं, ऐसा ही देखने को भी मिला।
जिन रास्तों से ये मोटरसाइकिल सवार भाजपा कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ा, किसी के माथे पर हैलमेट नहीं था, जबकि बिना हैलमेट चलने पर इन दिनों रांची में कई लोगों से बड़े पैमाने पर जुर्माना वसूले जा रहे हैं, पर भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए आज ऐसा प्रावधान उपयोग में होता हुआ नहीं दिखा, शायद रांची यातायात पुलिस भाजपा कार्यकर्ताओं को आज एक दिन का विशेष छुट दे रखी थी।
चाहे रांची एयरपोर्ट हो या कोई अन्य स्थान, हर जगह भाजपा नेताओं/कार्यकर्ताओं का हुजूम, दिखाई पड़ा, उसका मूल कारण स्वयं को अमित शाह की भक्ति में लगा हुआ दिखाना था, क्योंकि अब लोकसभा और विधानसभा दोनों के चुनाव सन्निकट हैं, इसलिए अमित शाह की भक्ति में एटेंडेंस बना रहे, ऐसा लोभ सबके हृदय में हिलोरे मार रहा था, जो जितना अमित शाह के नजदीक पहुंचता, उसे लगता कि उसकी भक्ति निबंधित हो चुकी हैं।
लोगों ने बताया कि ऐसा स्वागत तो कभी अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, यहां तक की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी नसीब नहीं हुआ। कुछ लोगों का कहना था कि भाजपा में भी काफी बदलाव आया है, पार्टी की जगह पर व्यक्ति पूजा का महत्व बढ़ा है, जिसका परिणाम सामने हैं, व्यक्ति पूजा से कोई भी दल अब अछूता नहीं रहा, अब केवल एक ही दल बचा है, जो वामपंथियों का है, जहां अभी भी व्यक्ति पूजा नहीं है, लेकिन यह भी सच्चाई है कि अभी वह केन्द्र में सशक्त पार्टी के रुप में उभरी नहीं हैं, हो सकता है कि जब वह भी सशक्त पार्टी के रुप में उभरे तो उसे भी ये रोग लग जाये, पर जब तक ऐसा होता नहीं है, हम आरोप भी नहीं लगा सकते।
कुल मिलाकर सत्ता, सरकार और कार्यकर्ता को अमित शाह की भक्ति में आज पूर्ण रुप से डूबा हुआ देखा गया, जिसमें कानून की भी धज्जियां उड़ी, भाजपा कार्यकर्ताओं ने ट्रैफिक रुल को नहीं माना, और न ही यहां की रांची यातायात पुलिस ने कानून के पालन करने का दबाव बनाया, मनमानियां हुई, क्योंकि जनाब अमित शाह जो आये हैं, इतना तो छूट भाजपा कार्यकर्ताओं को मिलना ही चाहिए।