राजनीति

जनता ने जनादेश हेमन्त सोरेन को दिया है, इसलिए राज्य में क्या निर्णय लिये जायेंगे, इस पर बोलने का अधिकार बाबूलाल मरांडी को नहीं, हाई कोर्ट स्वतः संज्ञान लें कि आखिर भाजपा अपना नेता क्यों नहीं चुन रहीः सुप्रियो

हेमन्त सरकार द्वारा नई परम्परा की शुरुआत कर अनुराग गुप्ता को झारखण्ड पुलिस महानिदेशक बना दिये जाने की आज जैसे ही भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने आलोचना की, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने बाबूलाल मरांडी के वक्तव्य पर सवाल उठा दिये। उन्होंने साफ कहा कि राज्य की जनता ने जनादेश हेमन्त सरकार को दिया है, बाबूलाल मरांडी को नहीं। इसलिए राज्य में क्या निर्णय लिये जायेंगे, इसका फैसला करने का अधिकार सिर्फ और सिर्फ राज्य की हेमन्त सरकार को है।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य में पूर्व की परम्परा थी कि तीन नामों को पैनल बनाये जाते थे और उसे यथोचित स्थान भेज दिया जाता था, जहां से एक नाम अधिकृत होकर आता था और उसे पुलिस महानिदेशक बना दिया जाता था। लेकिन सच्चाई यह भी है कि आज देश के कई राज्यों में यहां तक कि जहां भाजपा शासन कर रही है, जैसे गुजरात, राजस्थान, बिहार आदि राज्यों में भी अब नई परंपरा के अनुसार वहां की सरकारें पुलिस महानिदेशक नियुक्त कर रही हैं। यही स्थिति दक्षिण के राज्यों जैसे केरल, तमिलनाडू, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की भी है।

सुप्रियो ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने 7 जनवरी को अपने स्वविवेक से कैबिनेट में नई परम्परा की शुरुआत करते हुए यह फैसला लिया तो इस फैसले पर सवाल उठाने का अधिकार बाबूलाल मरांडी को नहीं हैं। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि पहले तो बाबूलाल मरांडी कहा करते थे कि राज्य में अभी हेमन्त सरकार का हनीमून पीरियड चल रहा हैं। इसलिए अभी कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन अब वे कह रहे है कि उन्हें बोले बिना रहा नहीं जा रहा है।

सुप्रियो ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने केन्द्र सरकार के एक मंत्री के समक्ष राज्य के एक लाख 36 हजार करोड़ रुपये के बकाये का मुद्दा उठाया जो उचित भी हैं। उस पर भी बाबूलाल मरांडी का आज गैर-जिम्मेदाराना बयान आया है। दरअसल बाबूलाल मरांडी चाहते हैं कि इसी बहाने वे मीडिया में बने रहे, अगर उन्हें इसी प्रकार की राजनीति करनी है तो उन्हें ऐसी राजनीति मुबारक।

सुप्रियो ने कहा कि बाबूलाल मरांडी जो सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर प्रेस कांफ्रेस कर रहे थे। तो सुप्रीम कोर्ट ने तो यह भी कहा है कि भाजपा जल्द से अपने विधायक दल का नेता चुन लें। वे सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश का पालन क्यों नहीं कर रहे। क्या उनके पास नेताओं का अभाव है।  सुप्रियो ने कहा कि वो तो हाई कोर्ट से कहेंगे कि वो स्वतः सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद स्वतः संज्ञान लें कि भाजपा विपक्ष का नेता क्यों नहीं बना रही? आखिर बाबूलाल मरांडी, चम्पाई सोरेन या सीपी सिंह में से किसी एक को क्यों नहीं अपना नेता चुन लेती, आखिर कौन ऐसी मजबूरी है, जो इन्हें विधायक दल का नेता चुनने नहीं दे रही।

सुप्रियो ने कहा कि स्वयं बाबूलाल मरांडी ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में बिहार की नियमावली को आत्मसात किया था। बिहार में तो ओबीसी का आरक्षण 27 प्रतिशत था, आखिर वो झारखण्ड में उन्होंने इस आरक्षण को घटा क्यों दिया। वो भी अपने पहले कैबिनेट में। दरअसल बाबूलाल मरांडी को इस बात का मलाल था कि जो सपना उन्होंने मुख्यमंत्री बनने का देखा था, वो सपना चकनाचूर हो चुका है। ऐसे में वे बेचारे क्या करें।