अपनी बात

पेट्रोलिंग पुलिस, स्थानीय नेता व व्हाट्सएप प्रेरित पत्रकार पर नकेल कसे बिना जनता को फायदा नहीं मिलनेवाला

हेमन्त जी, ये अच्छा हुआ कि आपने बालू प्रकरण पर ध्यान दिया और आज आपके प्रयास से खान एवं भूतत्व विभाग ने राज्य के सारे उपायुक्तों को भंडारण स्थल से बालू के उठाव के संबंध में एक दिशा-निर्देश भी जारी कर दिया। अब भंडारण स्थल से बालू का परिवहन बड़े वाहनों जैसे हाइवा, डम्फर आदि से भी हो सकेगा, जो कि पूर्व में केवल ट्रैक्टर से किये जाने की व्यवस्था की गई थी।

लेकिन हमारे विचार से इससे गड़बड़ियां रुकेगी, इसकी संभावना कम लगती है, क्योंकि जिन्हें मुफ्त में भ्रष्टाचार के तवे पर रोटियां खाने की आदत हो चुकी है, वो भला इस दिशा-निर्देश का क्या करेंगे? वो तो वहीं करेंगे, जिससे उन्हें फायदा हो, और इस फायदे में आम जनता जैसे आज तक पीस रही थी, कल भी पीसेगी।

दरअसल पूरे राज्य में जहां-जहां पुलिस पेट्रोलिंग हो रही है, खुद पुलिस के लोग ही जबरन बालू ढोनेवाले वाहनों से अनैतिक तरीके से पैसे वसूलते पाये गये हैं और इन पैसों में उनकी भी हिस्सेदारी होती हैं, जो स्थानीय चिरकूट टाइप के नेता है व सोशल साइट के माध्यम से दो-चार शब्द लिखकर, थानों में थानेदारों की परिक्रमा करनेवाले चिरकूट टाइप के व्हाट्सएप वाला संवदिया टाइप पत्रकार।

सच्चाई यही है कि इन्हीं तीनों ने बालू की ऐसी अवैध कारोबार का जन्म दे दिया हैं कि आम आदमी जो अपने सपनों का छोटा सा महल बनाने की कोशिश कर रहा है, वह इन तीनों की गुंडई में पीस जा रहा है, पर इन तीनों को दया नहीं आ रही है, क्योंकि इन्हें लगता है कि वे इसी कार्य के लिए पैदा हुए हैं।

भला आप ही बताएं कि आपने तो बड़े वाहनों को प्रतिबंधित किया था, छोटे ट्रैक्टरों से तो कोई दिक्कत ही नहीं थी, फिर छोटे ट्रैक्टरों पर बालू ढोने पर गाज कैसे गिरने लगी, या जो लोग छोटे ट्रैक्टरों से बालू मंगवा रहे थे, उन तक बालू पहुंचने में दिक्कत कैसे हो गई? स्पष्ट है कि व्हाटसएप प्रेरित संवदिया पत्रकार, पेट्रोलिंग में लगी पुलिस और स्थानीय चिरकुट नेताओं ने अपनी दबिश दिखाई और ये तीनों मालामाल होते गये और झारखण्ड की जनता लुटती चली गई।

ऐसे में अगर आप चाहते है कि यहां की जनता इन तीनों की शिकार न बनें, तो इन तीनों पर अपनी नजरें तानिये और इन्हें सबक सिखाइये, तब जाकर बालू का चल रहा अवैध कारोबार पर अंकुश लगेगा, तथा आम जनता को इसका लाभ भी मिलेगा, नहीं तो कल भी जनता साढ़े सात हजार रुपये ट्रक बालू खरीदने को विवश थी, आज भी इसी रेट में खरीदने को विवश होगी, क्योंकि पेट्रोलिंग पुलिस, स्थानीय चिरकूट नेता व व्हाट्सएप प्रेरित संवदिया पत्रकार सुधऱने से रहे।