झारखण्ड के चूहे नहर गटक रहे, पर रांची के एक अखबार ने ‘रघुवर’ की शान में समाचार ही कुतर दिया
जी हां, झारखण्ड के जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कोनार नहर परियोजना को चूहे गटक गये, पर सच पूछिये तो रांची के एक अखबार ने इस समाचार को राज्य के सीएम रघुवर की शान को बरकरार रखने के लिए इस प्रकार से कुतर कर अंतिम पृष्ठ पर डाल दिया, जैसे लगा कि यह समाचार उतना महत्वपूर्ण ही नहीं और विपक्ष यानी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का एक सामान्य न्यूज को इस प्रकार से बढ़ा चढ़ाकर प्रथम पृष्ठ पर प्रथम समाचार के रुप में पेश कर दिया।
जैसे लगता है कि वो समाचार राज्य के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण था। आप आज का प्रभात खबर देखें, सब पता लग जायेगा। उदाहरण स्वरुप आपके सामने उस समाचार की कटिंग रख रहा हूं, आप स्वयं देखिये कि क्या ये समाचार प्रथम पृष्ठ के लायक हैं या वो समाचार प्रथम पृष्ठ के लायक हैं, जिसे राज्य के सभी प्रमुख अखबारों, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान ने अपने यहां जगह दी।
वाह रे प्रभात खबर वाह, ध्येय वाक्य रखता है – अखबार नहीं आंदोलन और सही मायनों में चला रहा भाजपा के लिए आंदोलन। आज की प्रभात खबर की हरकत साफ बता रही है कि प्रभात खबर का एजेंडा क्या है? आज की घटना साफ बता रहा है कि प्रभात खबर ने स्वीकार कर लिया है कि विधानसभा चुनाव तक उसका मूल कार्य भाजपा को पुनः राज्य में प्रतिष्ठित करना है, मुख्यमंत्री रघुवर दास को पुनः मुख्यमंत्री बनाना है, नहीं तो आज वो ऐसी हरकत नहीं करता, जो आज उसने की है।
सबसे पहले आज का दैनिक जागरण देखिये, उसने प्रथम पृष्ठ पर कोनार नहर परियोजना के ढहने से संबंधित समाचार को प्रमुखता से पेश किया है। उसने हेडिंग दी है – ’42 साल बाद सपना साकार, 12 घंटे में ही हुआ चकनाचूर’ सब हेडिंग है – उद्घाटन के कुछ घंटे के बाद बगोदर में टूट गई कोनार नहर। यह है दैनिक जागरण अखबार की कटिंग।
रांची से ही प्रकाशित हिन्दुस्तान ने प्रथम पृष्ठ पर प्रमुखता से प्रकाशित किया। हेडिंग है – “कलंक: 42 साल में बनी नहर 13 घंटे में टूटी”। यह है हिन्दुस्तान अखबार की कटिंग।
दैनिक भास्कर ने भी प्रथम पृष्ठ पर समाचार दिया। हेडिंग है – “पानी छोड़ते ही बह गई दो हजार करोड़ की नहर, अफसर बोले – चूहों ने कुतर दी” सब हेडिंग है – एक दिन पहले ही कोनार सिंचाई परियोजना का हुआ था उद्घाटन, 41 साल में निर्माण, 13 घंटे में बर्बाद। यह है दैनिक भास्कर की कटिंग।
पर इतने प्रमुख समाचार के साथ प्रभात खबर ने क्या किया? जो समाचार प्रथम पृष्ठ पर प्रथम समाचार के रुप में राज्य के सभी प्रमुख अखबारों ने प्रकाशित किया, प्रभात खबर ने उस खबर को अंतिम पृष्ठ पर, वो भी नीचे के कोने में, सिर्फ दो कॉलम में समाप्त कर दिया। देखिये यह है प्रभात खबर की कटिंग।
क्या ये रांची अथवा झारखण्ड के नागरिकों के साथ अन्याय नहीं? क्या उनके साथ अन्याय नहीं जो इस घटना के शिकार हुए? आखिर पत्रकारिता किसके लिए? रांची से प्रकाशित प्रभात खबर के सभी छोटे–बड़े संपादकों को विचार करना चाहिए, नहीं तो झारखण्ड के पाठकों की आह उन्हें किसी लायक नहीं छोड़ेंगी, ये जितना जल्दी वे गांठ बांध लें, उतना अच्छा रहेगा।
कभी इसी प्रकार की हरकत रांची व पटना से प्रकाशित अखबार किया करते थे, उन्हें लगता था कि वे जो कर रहे हैं, वही सत्य हैं, जनता को अंततः उनके अखबार को मजबूरन पढ़ना ही पड़ेगा, पर उन अखबारों का वर्तमान में क्या भविष्य है? शायद प्रभात खबर के संपादकों को जरुर ही पता होगा, और अगर नहीं पता है तो हमसे संपर्क करें, बढ़िया से बतायेंगे, वह भी प्रमाण के साथ।