गत् विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर में भाजपा की करारी हार की वजह का जिन्न निकला बाहर, अंदरूनी कलह सतह पर, एक दूसरे पर हार का ठीकड़ा फोड़ रहे भाजपाई
जमशेदपुर में भाजपा की आपसी गुटबाज़ी चरम पर है। खुले तौर पर सोशल मीडिया में एक गुट दूसरे गुट पर आरोप लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। नये जिलाध्यक्ष गुंजन यादव के द्वारा जो टीम बनायी गई है, उस पर कई पुराने भाजपाइयों का कहना है कि ऐसे लोगों को टीम में जगह दी गई है, जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में खुले तौर पर पार्टी के ख़िलाफ़ काम किया था।
दिलचस्प बात है कि ये वो लोग हैं जो खुले तौर पर सांसद विद्युत वरण महतो और विधायक सरयू राय के करीबी हैं। ग्रामीण इलाकों में भी कमोवेश यही स्थिति है, कि विधानसभा चुनाव में करारी हार का ठीकरा बड़े नेताओं के समर्थक एक दूसरे पर लगा रहे हैं। पिछले चुनाव के समय जहां सांसद विद्युतवरण महतो और पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी एक दूसरे से गले मिल मिलकर काम कर रहे थे।
वहीं अब आलम ये है कि क्षेत्र की छोटी से छोटी समस्याओं के निराकरण में क्रेडिट लेने के चक्कर में एक दूसरे के काम में विघ्न भी डाल रहे हैं। इससे संबंधित एक audio पिछले दिनों लीक होकर सुर्खियां बटोर रहा है, जिसमें बहरागोड़ा के झामुमो विधायक समीर मोहंती खुद कहते नज़र आ रहे हैं कि दोनों की लड़ाई में काम नहीं हो रहा है।
बहरागोड़ा विधानसभा से कुणाल षाड़ंगी की हार का ठीकरा जहां सांसद विद्युत वरण महतो के समर्थक दिनेशानंद गोस्वामी पर फोड़ रहे हैं, वहीं गोस्वामी के समर्थक सांसद के लोगों पर पार्टी विरोधी कार्य करने का आरोप लगा रहे हैं। इतना ही नहीं दिनेशानंद गोस्वामी के समर्थक सांसद को सिर्फ़ बहरागोड़ा नहीं बल्कि पूरे जमशेदपुर लोक सभा की छह से छह सीटें हारने के लिए सीधे तौर पर ज़िम्मेदार बता रहे हैं।
सांसद समर्थक यहां तक कह रहे हैं कि ग्रामीण इलाकों में भाजपा अब गोजपा बन गई है- यानि गोस्वामी जनता पार्टी। वे सीधे तौर पर कहते हैं कि संगठन में ऐसे लोगों को जगह मिली है जिनके पार्टी विरोधी कार्य में संलिप्त होने के पुख़्ता प्रमाण हैं और हाई कमान को भी प्रमाण दिये गये हैं लेकिन हाई कमान भी इस पर चुप्पी साधे हुए है।
दिनेशानंद गोस्वामी के द्वारा जो कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं उन्हें भी सीधे तौर पर पैसे कमाने का माध्यम होने की संज्ञा सांसद के समर्थक दे रहे हैं।जिन दो सीटों के परिणाम को लेकर सभी आश्चर्यचकित रह गए थे है वो एक रघुवर दास की जमशेदपुर पूर्वी की सीट दूसरी बहरागोड़ा की कुणाल की सीट। इन दोनों सीटों के परिणाम सबसे अप्रत्याशित रहे।
विरोध के स्वर जिन भाजपाईयों के उठ रहे वे खुलकर सोशल मीडिया में कह रहे हैं कि चुनाव परिणाम आने के बाद शहरी क्षेत्र में तो खुलकर पार्टी के खिलाफ काम करनेवालों पर कार्रवाई की गई, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लिए पुख्ता प्रमाण के बावजूद पार्टी की ओर से खामोशी ओढ़ ली गई, जबकि जमशेदपुर पूर्वी के लिए सरयू राय का साथ देने को लेकर दर्जन भर लोगों को पार्टी से निकाला गया।
भाजपा का अंतर्कलह लगातार सामने आ रहा है। कुछ दिन पहले ही महानगर भाजपा के 14 मंडल अध्यक्षों ने प्रदेश कार्यालय जाकर जिलाध्यक्ष गुंजन यादव की शिकायत की, वहीं दो दिन पहले सोनारी में जिला कार्यसमिति की बैठक में 14 मंडलों के साथ 6 और मंडल जुटकर 20 हो गए और गुंजन यादव के खिलाफ खुलकर बोलने लगे। गुंजन यादव रघुवर दास के करीबी हैं और जिलाध्यक्ष बनने के बाद से ही निशाने पर हैं। अगर भाजपा इसी तरह अपने अंतर्कलह को बाहर लाती रही और शीर्ष नेतृत्व सब कुछ देखकर अनसुना करता रहा तो झारखंड में भाजपा का भगवान ही मालिक है।