बवाल सिर्फ धनबाद या जमशेदपुर में नहीं, बवाल तो रांची में भारतीय जनता युवा मोर्चा की नई-नई बनी प्रदेश की टीम में भी हैं, भाजपा के कार्यकर्ता पचा नहीं पा रहे नई टीम को
बात केवल धनबाद एवं जमशेदपुर के कमेटियों की ही नहीं यहां तो भारतीय जनता युवा मोर्चा की जो नई कमेटी बनाई गई है, उसमें भी बड़ा गड़बड़ घोटाला है। कहने को तो यह प्रदेश की कमेटी बनाई गई है, लेकिन इस प्रदेश के 24 जिलों में से मात्र दस जिलों को ही इसमें जगह दी गई हैं। उनमें से भी रांची और चतरा का ही बोलबाला है। रांची से कुल सात, तो चतरा से तीन लोगों को कमेटी में जगह दे दी गई हैं। उसमें भी ऐसे-ऐसे लोग हैं, जो किसी काम के नहीं हैं।
भाजयुमो कहिये या शशांक राज की टीम कहिये, इन्होंने अब तक प्रदेशस्तर पर कोई आंदोलन खड़ा नहीं किया और न ही कोई ऐसा कार्यक्रम लिया, जो चर्चा का विषय भी बना हो। नई कमेटी में रांची से सात, चतरा से तीन, जमशेदपुर और धनबाद से दो-दो, लोहरदगा, गुमला, जामताड़ा, गढ़वा, गिरिडीह और पलामू से एक-एक पदाधिकारी को नियुक्त किया गया है।
राजनीतिक पंडित बताते है कि शशांक राज पूर्व में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् से जुड़े हुए थे। लेकिन इन्होंने तुरन्त पाला बदला और आजसू का दामन थामते हुए झारखण्ड विकास मोर्चा तक पहुंचे। उसके बाद फिर से भाजपा में आ धमके और दीपक प्रकाश की कृपा से भाजयुमो का दामन पकड़ लिया। राजनीतिक पंडित यह भी कहते है कि गुंजन मरांडी जो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से आये थे, जो प्रदेश मंत्री भी थे, राष्ट्रीय कार्य समिति के सदस्य थे, उन्हें इसमें शामिल ही नहीं किया गया।
दूसरी ओर विमल मरांडी जो राष्ट्रीय मंत्री थे, सिदोकान्हो छात्र संघ के अध्यक्ष भी रह चुके थे, हो समाज के नेता हैं, लेकिन उन्हें भी भाजयुमो में स्थान नहीं दिया गया। प. सिंहभूम के सूरा बिरुली के साथ भी ऐसा ही किया गया। कुल मिलाकर देखा जाय तो जो प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह को पसंद आया। उन्होंने अपने हित-साधकों के साथ मिलकर भाजयुमो की एक टीम बना दी, जो किसी काम की नहीं।
आश्चर्य है कि इस टीम में मात्र एक महिला को स्थान दिया गया है। नाम है -पूजा सिंह। मतलब पूरे प्रदेश में भारतीय जनता युवा मोर्चा को एक ही महिला मिली जो भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेशवाली टीम में शामिल होने के योग्य थी। राजनीतिक पंडित कहते है कि चूंकि चुनाव सिर पर हैं। ऐसे में इस प्रकार की टीम कोई चमत्कार करेगी, इसकी संभावना दूर-दूर तक नहीं दिखाई दे रही है।
भाजपा को भाजयुमो का गठन करना था। जैसे-तैसे कर दिया। लेकिन इसका परिणाम भाजपा के पक्ष में आयेगा, वो कही दिख ही नहीं रहा, क्योंकि अयोग्य टीमों से झामुमो जैसी पार्टी से टक्कर ले पाना इतना आसान नहीं दिखता। आश्चर्य इस बात की है प्रदेश अध्यक्ष रांची से है। प्रदेश उपाध्यक्ष की छह सीटों में आधी सीटें रांची को दे दी गई है। छह मंत्रियों में से एक मंत्री रांची का है। प्रदेश सह कोषाध्यक्ष और प्रदेश कार्यालय मंत्री भी रांची का है।
धनबाद से जो विकास महतो को प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया गया है, ये भी जनाब आजसू व जेवीएम होते हुए कुछ माह पूर्व ही भाजपा में शामिल हुए, मंडल स्तर तक इन पर कोई दायित्व ही नहीं था। इन्हें बस संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह और धनबाद के सांसद ढुलू महतो की कृपा से सीधे प्रदेश उपाध्यक्ष बना दिया गया। ऐसे में भाजपा के जो समर्पित कार्यकर्ता हैं, वे हैरान है कि आखिर ये हो क्या रहा है।
आखिर उन्हें कब सम्मान मिलेगा और सम्मान का तरीका यही हैं तो फिर भाजपा गई काम से, कोई इसे बचा नहीं सकता। 2024 के विधानसभा में तो गइल भइसियां पानी में वाली कहावत चरितार्थ हो जायेगी। यही नहीं भाजयुमो के इस नई टीम को लेकर भाजपा के सांसदों और विधायकों की टीम भी मौन साधे हुए हैं, क्योंकि ये लोग जानते है कि ये टीम किसी काम की नहीं, क्योंकि जो उन्हें करना हैं, वो खुद से ही करना होगा।