पारसनाथ को पर्यटन स्थल बनाने का पाप रघुवर सरकार और केन्द्र ने मिलकर किया, राष्ट्रीय मीडिया बेसिर-पैर की खबर चलाकर हेमन्त सरकार को बदनाम करना बंद करें – सुप्रियो
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने भाजपा और देश के राष्ट्रीय मीडिया कि इस बात को लेकर कड़ी आलोचना की, कि उसने झारखण्ड के पारसनाथ स्थित सम्मेद शिखर को लेकर जनता के सामने गलत तस्वीर पेश की। सुप्रियो ने कहा कि भाजपा तो झूठ व फरेब की खेती करती है, पर राष्ट्रीय मीडिया भी इस झूठ व फरेब में शामिल होकर, झारखण्ड की हेमन्त सरकार की किरकिरी करने में लग जाये, तो इससे बड़ी शर्मनाक बात कुछ दुसरी हो ही नहीं सकती। सुप्रियो ये बाते संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहीं हैं।
बाबूलाल व दीपक बताएं कि वो रघुवर या केन्द्र के नेताओं से पारसनाथ को लेकर सवाल क्यों नहीं पूछते?
सुप्रियो ने कहा कि आखिर पारसनाथ के सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल किसने घोषित किया? आखिर जिस समय यह पर्यटन स्थल घोषित हुआ, उस समय राज्य और केन्द्र में सरकार किसकी थी? आखिर इस बात को जनता के सामने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी क्यों नहीं उठाते? सुप्रियो ने संवाददाताओं के बीच प्रमाण के साथ सारी बातें रखी और कहा कि इन प्रमाणों को देखकर कोई भी बता सकता है कि इस कांड के असली जन्मदाता उस वक्त की रघुवर सरकार और केन्द्र सरकार थी, जिसने पारसनाथ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया।
सच्चाई तो यह है कि हेमन्त सरकार जब सत्ता में आई तब जिस पर्यटन विभाग के सचिव की ओर से रघुवर सरकार में इसे पर्यटन स्थल घोषित किया गया था, वही पर्यटन विभाग ने हेमन्त सरकार के समय यह अधिसूचना निकाला, जिसे हर कोई देख सकता है कि पारसनाथ सम्मेद शिखर विश्व प्रसिद्ध पूजनीय स्थल हैं और सरकार इसकी पवित्रता को बहाल रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
सुप्रियो ने साफ कहा कि जो जैन समाज एक जनवरी से उद्वेलित हैं, आखिर उन्हें किसने उद्वेलित किया? ये बात तो दीपक प्रकाश और बाबूलाल मरांडी को बताना ही चाहिए कि आखिर 2018 में राज्य में किसकी सरकार थी? जिसके इशारे पर पारसनाथ सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल घोषित किया गया। आखिर भारत सरकार के गजट में जो 2019 में प्रकाशित कराया गया कि यह पर्यटन स्थल है, तो आखिर केन्द्र में किसकी सरकार थी? मतलब गलत करें भाजपाई और दोष हेमन्त सरकार को।
राष्ट्रीय मीडिया पहले डाक्यूमेंटे देखें तब समाचार चलाए
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि राष्ट्रीय मीडिया से उनका सवाल है कि बिना सिर-पैर के खबर क्यों चलाते हैं? आखिर आपके पास ये डाक्यूमेंट क्यों नहीं होता, जो सच्चाई बयां करते हैं। सरकार का गजट देखिये, साफ तौर पर पारसनाथ का नाम है, इकोटूरिज्म पर और ये पब्लिक डोमेन में है। गुजरात जहां उनकी सरकार है। भावनगर जिले में पालिताना सर्वोच्च कलाकृति का एक जैन मंदिर है उसमें 12 दिसम्बर को तोड़-फोड़ होता है, आखिर गुजरात में सरकार किसकी? मतलब पाखण्ड भाजपा का और उसमें राष्ट्रीय मीडिया आग लगाने का काम करें, आखिर ये क्या हो रहा है? समाज को।
भाजपा को बताया जैन समाज का असली दुश्मन
सुप्रियो ने कहा कि जैन समाज का विशुद्ध रुप से दुश्मन भाजपा को हम कह सकते हैं, उसने पूरे इस धर्म और उसकी पवित्रता को खत्म करने की जो साजिश रची है। भाजपा द्वारा वो एक्सपोज हो चुका है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार को देखिये 2022 में पर्यटन विभाग के सचिव ने गिरिडीह के उपायुक्त को साफ शब्दों मे चिट्ठी लिखी, कि मधुबन सम्मेद शिखर की पवित्रता अक्षुण्ण बनाये रखें, तीन वर्षों में वहां कोई भी छेड़छाड़ नहीं की गई, जबकि भारत सरकार का गजट राज्य सरकार मानने को बाध्य है।
जैन समाज की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए हेमन्त सरकार ने इसमें आगे बढ़ने का काम नहीं किया। सुप्रियो ने कहा कि आज जैन समाज को समझना पड़ेगा, आप लोग (संवाददाताओं की ओर इशारा करते हुए) भी गवाह रहे हैं। दिसम्बर दिन मंगलवार था। जैन समाज का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से विधानसभा में मिलने का काम किया, उस वक्त भी मुख्यमंत्री ने कहा कि हम आपकी भावना के अनुरुप काम करने को तैयार है और जैन समाज की जो पवित्रता है, जो वहां पर बीस के लगभग तीर्थंकर, जिन्होंने मोक्ष प्राप्त किया है, जो झारखण्ड का ताज है, हम कोई भी अपवित्र काम करने नहीं देंगे और आज दिल्ली, सूरत, रांची व मुंबई में रैली निकाली जा रही है।
पारसनाथ को लेकर भाजपा का पाखण्ड उजागर, भाजपा नेता माफी मांगे
सुप्रियो ने कहा कि इन रैलियों से दरअसल भाजपा का पाखण्ड उजागर हो रहा है। भगवान महावीर के प्रति उनके घिनौने विचार उजागर हो रहे हैं, जो आज प्रदर्शित हो रहा है। सुप्रियो ने कहा कि आखिर दिल्ली में भारत के गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी रहते हैं, उनका इस पर बयान क्यों नहीं आया? गुजरात में रैली निकलती है, भाजपा नेताओं का बयान क्यों नहीं आता?
जो उन्होंने राजपत्र जारी किया है, उसका जवाब कौन देगा, इसका जवाब तो चाहिए न, जीव हत्या से दूर जो दिगम्बर-श्वैताम्बर जिनकी अहिंसा और दयालुता का सभी उदाहरण देते हैं और उनके साथ ऐसा प्रपंच, झामुमो को लगता है कि आज समय आ गया है कि जैन समाज के साथ साथ बौद्ध समाज या जो भी धार्मिक अल्पसंख्यक समाज है, उनको समझना पड़ेगा कि उनके खिलाफ क्या साजिश रची जा रही है? सुप्रियो ने कहा कि वे भाजपा के केन्द्रीय और प्रदेश के नेताओं से आशा करेंगे कि जिन्होंने ऐसा गजट प्रकाशित करवाया, कि पारसनाथ सम्मेद शिखर पर्यटन क्षेत्र घोषित हो, वो सार्वजनिक रुप से माफी मांगे।