अपनी बात

रघुवर शैली से जितनी जल्दी भाजपा मुक्त हो जाए, उतना अच्छा नहीं तो…, अन्नी अमृता दीपक प्रकाश को भेजेगी लीगल नोटिस

अगर झारखण्ड में भाजपा या भाजपा के किसी भी नेता को बेहतर बनना हैं, तो उसे रघुवर शैली से तौबा करना ही होगा, नहीं तो भाजपा के नेता गांठ बांध लें किसी जिंदगी में न तो वे अब भाजपा को बेहतर स्थिति में ला सकते हैं और न ही अपना कैरियर बना सकते हैं, क्योंकि इस बार उसका मुकाबला केवल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से नहीं, बल्कि हेमन्त सोरेन जैसे युवा प्रतिभाशाली नेतृत्व से भी हैं।

2014-2019 के रघुवर शासनकाल में लोगों ने देखा है कि किस प्रकार, शासन के अहं में आकर एवं कनफूंकवों की बातों में दही बड़े जैसे फूलकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपना और भाजपा दोनों का सत्यानाश कर दिया। राजनीतिक पंडित तो यह भी कहते है कि अगर रघुवर दास ने ऐन मौके पर विपक्षियों के लिए चोट्टा शब्द का प्रयोग नहीं किया होता, तो बेरमो और दुमका विधानसभा की उपचुनाव की तस्वीर कुछ और ही होती।

पर रघुवर दास की बोली, जो न करा दे और हमें लगता है कि रघुवर शैली का प्रभाव भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश पर भी दिखने लगा है, नहीं तो कम से कम वे ऐसी भाषा का प्रयोग नहीं करते, जैसा कि इन दिनों देखने को मिल रहा है। नेता कोई भी हो, अगर वह नेतृत्व कर रहा हैं तो उसे नेतृत्व करने के साथ-साथ अपनी बात रखने की भी विशेष क्षमता होनी चाहिए।

उसकी भाषा कर्णप्रिय होनी चाहिए, पर दुख इस बात की है कि जिस पार्टी के लोग भाषा और मर्यादा के लिए ही ज्यादा जाने जाते थे, आज वे ही मर्यादा और भाषा की धज्जियां उड़ा रहे हैं। भाजपा के स्थानीय नेताओं को यह नहीं भूलना चाहिए कि अटल बिहारी वाजपेयी अपनी भाषा व वाकपटुता के लिए ही अपने जीवन काल से लेकर मरणोपरांत भी विशेष रुप से याद किये जाते हैं।

अब आप कहेंगे मुझे ये बातें लिखने की आवश्यकता क्यों पड़ गई। दरअसल, 17 नवम्बर को मुझे न्यूज 11 की करीब 7 मिनट की क्लिपिंग मिली, जिसे देखकर और सुनकर मैने माथा पीट लिया कि एक पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष, एक महिला पत्रकार के साथ ऐसा कैसे व्यवहार कर सकता है? मामला छठ के गाइडलाइन्स को लेकर चल रहा था।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को इस बात के लिए आपत्ति थी, कि महिला संवाददाता अन्नी अमृता ने उनके अनुपस्थिति में कैसे टिप्पणी कर दी, जबकि हमें लगता है कि अन्नी अमृता ने दीपक प्रकाश के घर पटाखे छोड़ने को लेकर अपनी बातें रख रही थी, जो एक तरह से सही ही था। दीपक प्रकाश बार-बार तुष्टिकरण को लेकर जो तस्वीर रख रहे थे, वो धर्म से कही संबंधित नहीं था, बल्कि वो सारी तस्वीरें अलग-अलग घटनाओं से संबंधित थी, जबकि अन्नी अमृता का तर्क धर्म यानी छठ की गाइडलाइन्स को लेकर केन्द्रित था।

अब ऐसे में, अन्नी अमृता को एबीसीडी का ज्ञान नहीं है, अन्नी अमृता के लिए “उसको” व “उसके” शब्द का प्रयोग, अन्नी अमृता के पत्रकारिता पर सवाल खड़ा करना कहां तक उचित है?  आश्चर्य यह भी रहा कि अन्नी अमृता का कोई दोष नहीं था, फिर भी जो न्यूज 11 का एंकर था, वो दीपक प्रकाश से माफी मांगा, अब सवाल उठता है कि न्यूज 11 का वो कौन प्रोड्यूसर था जो एंकर को दीपक प्रकाश से माफी मांगने को कह डाला?

एंकर कह रहा था – “मैं इसके लिए क्षमा याचना करता हूं अगर अन्नी की किसी बातों को आपको ठेस लगी हो।” सच्चाई यह है कि अन्नी अमृता ईटीवी, न्यूज 18 आदि कई चैनलों में काम कर चुकी है और निःसंदेह वह एक बेहतरीन पत्रकार है, उनके ईमानदारी पर तो कोई सवाल ही नहीं उठा सकता।

इस पूरे प्रकरण पर जब विद्रोही24 ने भाजपा नेता दीपक प्रकाश से बातचीत की, तो उन्होंने कहा कि टीवी पर चले इस पूरे प्रकरण के बाद, उन्होंने आत्मचिन्तन किया और उन्हें लगा कि इस प्रकार की बातें, उन्हें नहीं करनी चाहिए थी। इधर पत्रकार अन्नी अमृता ने विद्रोही24 को बताया कि 17 नवम्बर की उस घटना ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया है, और वो भाजपा नेता दीपक प्रकाश को अपने अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू के माध्यम से लीगल नोटिस भेजने जा रही है, इस मामले को वो कोर्ट तक ले जायेंगी।

इस प्रकरण पर विद्रोही24 ने न्यूज 11 के मालिक अरुप चटर्जी से भी बातचीत की थी, बातचीत में अरुप चटर्जी ने 17 नवम्बर को (इस घटना से बचने के लिए) कहा था कि वो छठ को लेकर बाहर है, जब वो बाहर से लौटेंगे तो इस पर बातचीत करेंगे, अब पता नहीं अरुप छठ पूजा करके रांची लौटे हैं या नहीं, पर मामला गंभीर तो बनता जा रहा है।