पीएम मोदी की सभा में भीड़ जुटाने में लगा प्रशासन, राज्य सरकार ने बनाया दबाव
इन दिनों भाजपाई नेताओं की सभा में कई स्थानों पर भीड़ नहीं जुट पा रही, ऐसे में रांची की सभा भी, अन्य स्थानों की तरह न हो जाये, इसके लिए राज्य सरकार ने स्थानीय प्रशासन पर अभुतपूर्व दबाव बनाना शुरु कर दिया हैं। केवल रांची ही नहीं, बल्कि अन्य जिलों में भी इसका प्रभाव देखा जा रहा हैं। भीड़ बढ़ाने के लिए बसों की व्यवस्था से लेकर, भीड़ के खाने-पीने की व्यवस्था करने की जिम्मेवारी भी प्रशासन को सौंप दी गई हैं, विभिन्न जिलों के उपायुक्त इस व्यवस्था को सही ढंग से लागू करने के लिए युद्धस्तर पर लगे हुए हैं, कई जगहों पर इसके लिए प्रपत्र भी जारी किये गये हैं।
रांची में तो यहां के उपायुक्त ने गजब ढा दिया। मुहर्रम के नाम पर सरकारी और निजी विद्यालयों और महाविद्यालयों को 22 सितम्बर को बंद रखने का आदेश तक जारी कर दिया और इसी के आड़ में निजी विद्यालयों में चलनेवाले वाहनों को 22 सितम्बर को प्रातः 10 बजे तक खेलगांव परिसर में उपलब्ध कराने का आदेश जिला परिवहन पदाधिकारी द्वारा निर्गत करा दिया गया, जबकि मुहर्रम पर स्कूल बंद हो या न हो, इसका निर्णय पूर्व में निजी विद्यालय प्रबंधन किया करते थे, कुछ स्कूल प्रबंधन तो इसके लिए मोदी जी की माया को ही जिम्मेवार मानते है, जैसी मोदी की माया, वैसी रघुवर की इच्छा, और ठीक वैसा ही प्रशासन का आदेश।
रांची के उपायुक्त का निजी व सरकारी स्कूलों को मुहर्रम के नाम पर आज के बंद का प्रपत्र और ठीक उसके बगल में जिला परिवहन पदाधिकारी का निजी स्कूली वाहनों को पीएम मोदी के कार्यक्रम के लिए उपलब्ध कराने का आदेश साफ बता दे रहा हैं कि यहां भीड़ लाने का कितना दबाव स्थानीय प्रशासन पर हैं और इसके लिए स्थानीय प्रशासन को कितने पापड़ बेलने पड़ रहे हैं।
और अब बात रामगढ़ के उपायुक्त की, जरा इस प्रपत्र देखिये, बेचारे किस प्रखण्ड में कितने बसों की व्यवस्था कर रहे हैं और उन बसों से पीएम मोदी के कार्यक्रम में जानेवालों के लिए खाने-पीने की व्यवस्था कितनी ईमानदारी से कर रहे हैं। रामगढ़ जिले में गोला प्रखण्ड को दस बस, पतरातू को छः बस, रामगढ़ को सात बस, चितरपुर को तीन बस, दुलमी को तीन बस और मांडू को पांच बस भीड़ लाने के लिए दिये गये है, यानी केवल रामगढ़ में भीड़ को लाने के लिए 34 बसों की व्यवस्था कर दी गई, ऐसे में पूरे झारखण्ड में 24 जिले हैं, अब आप जोड़ लीजिये कि सभी जिलों से कितनी बसें, रांची आयेगी और उनके खाने-पीने, रहने की व्यवस्था पर कौन-कैसे खर्च कर रहा है।
कभी इसी प्रकार की रैली का आयोजन पटना में लालू प्रसाद यादव किया करते थे, जिसमें स्थानीय प्रशासन भीड़ जुटाने के लिए वाहनों से लेकर, उनके खाने-पीने की व्यवस्था किया करती थी, और अब यहीं कार्य भाजपा के लोग करने लगे हैं, यानी लालू करें तो गलत और रघुवर करे तो सहीं, चलिए भाजपा के लोग भी सत्ता का मजा ले लें, क्योंकि आनेवाले समय के लिए, फिलहाल लक्षण तो ठीक नहीं लग रहे।