अपनी बात

जिस राज्य के मंत्री/IAS/IPS राज्य की योजनाओं में कमीशन खाते हैं, वहां के नागरिक दूसरे राज्यों में शोषित होते ही हैं

आज राज्य सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग ने एक समाचार जारी किया। समाचार की हेडिंग थी – मुख्यमंत्री और मंत्री की पहल पर केरल से मुक्त हुए संताल परगना के 32 श्रमिक और पांच बच्चे, सब हेडिंग थी – श्रमिकों से जबरल लिया जा रहा था काम। अब सवाल उठता है कि डेढ़ साल तो आपके शासनकाल के भी हो गये।

तो सरकार बताए कि ये दूसरे राज्यों में रोजी-रोजगार के लिए जानेवाले राज्य के मजदूरों पर रोक कब लगेगी, उनका शोषण कब खत्म होगा?, राज्य के कितने लोग, किस जिले के लोग, किस राज्य में रोजी-रोजगार की तलाश में गये हैं, वहां उनके साथ कैसा व्यवहार हो रहा हैं, इसकी जांच-पड़ताल कौन करेगा? अब तो कहने को अबुआ राज भी है, फिर ऐसी दुर्दशा क्यों?

आखिर जैसे केरल से 32 श्रमिक मुक्त होकर आज झारखण्ड आये। वैसे ही केरल या अन्य राज्यों के मजदूर वहां से झारखण्ड काम की तलाश में क्यो नहीं आते? आखिर इतनी असमानता क्यों? बीमारी की इलाज हो या रोजी-रोजगार की तलाश हो, आखिर सभी दक्षिण भारत क्यों जा रहे हैं, जरा इस पर दिमाग पर जोर डालिये, वो इसलिए कि आप काम नहीं करते, और दूसरे राज्यों की सरकारें अपने यहां के नागरिकों के लिए गंभीर रहती है।

वहां के आईएएस/आईपीएस तक अपने यहां के नागरिकों को कैसे सुविधा मिले, इसके लिए जागरुक रहते हैं, पर यहां क्या होता है, यहां का आईएएस और आईपीएस इस बात पर ज्यादा दिमाग लगाता है कि गोवा के समुद्री तट पर, मुंबई, नोएडा, हैदराबाद, लखनऊ, वाराणसी, बंगलुरु आदि शहरों में शानदार महल कैसे बनकर तैयार हो, कैसे लूट मचाकर धन इक्ट्ठा किया जाये।

और जहां लूट-पाट होती हैं, वहां के लोगो की जिंदगी ऐसे ही पशुओं की तरह चलती हुई खत्म हो जाती है, तथा इनकी सुरक्षा के नाम पर कई एनजीओ भी अपना हक जताकर मस्ती कर लेते हैं। फिलहाल आइपीआरडी द्वारा जारी समाचार पढिये लेकिन याद रखिये, इसके लिए दोषी पूर्णतः राज्य सरकार और यहां के आईएएस/आईपीएस हैं, जो इस राज्य से नफरत करते हैं, विकास कार्यों को अंजाम न देकर, उसमें अपना कमीशन ढूंढते हैं। अब लीजिये प्रेस विज्ञप्ति पढ़िये हेमन्त सरकार के सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग का…

“दुमका की श्रमिक अनिता मरांडी खुश है। कहती है, हम केरल में बहुत तकलीफ में थे। हमारा आधार कार्ड ले लिया गया था और सताया जा रहा था। अब वहां से मुक्त होकर काफी अच्छा लग रहा है। अब काम करने अपने राज्य से बाहर दोबारा कभी नहीं जायेंगे। हमारी गुहार मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और मंत्री चम्पई सोरेन ने सुनी। उन्हें बहुत- बहुत धन्यवाद।

अनिता की तरह दुमका के 31 अन्य श्रमिक और उनके पांच बच्चे खुश हैं। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और मंत्री चम्पई सोरेन की पहल पर इन्हें घुटन भरी जिंदगी से मुक्ति मिल गई है। श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष और फिया फाउंडेशन की संयुक्त पहल पर झारखण्ड के 32 श्रमिकों और उनके पांच बच्चों को केरल से मुक्त करा लिया गया। सभी 15 जुलाई की सुबह 10 बजे धनबाद रेलवे स्टेशन पहुंचे।

मुक्त हुए श्रमिक जून 2021 को दुमका से केरल गए थे।  केरल पहुंचने पर उन्हें केरल के ईदुक्की (न्यू वुडलैंड्स) स्थित चाय बगान में काम करने के लिए भेजा गया। श्रमिकों को एक छोटे से रूम में रखा गया था। इन श्रमिकों के मूल आधार कार्ड और यात्रा खर्च के नाम पर एक हजार रुपये ले लिए गए। श्रमिकों को इलायची के बगान में काम करने के नाम पर केरल भेजा गया था पर उन्हें जबरन चाय बागान में काम करने को कहा गया। श्रमिकों को प्रति दिन चार सौ रुपये देने की बात कही गयी, लेकिन दुरूह भौगोलिक स्थिति के कारण श्रमिक वहां काम करने को तैयार नहीं थे। बावजूद इसके उनसे जबरन काम कराया जा रहा था।  

काम करने के दौरान ही श्रमिकों को पीरमेड बेथेल प्लांटेशन, इदुक्की में कंपनी की तरफ से स्थानांतरित किया गया। श्रमिकों को कहा गया कि यदि वे वापस जाना चाहते हैं, तो वे यात्रा खर्च में हुए 2,20,000 रुपये देकर अपना आधार कार्ड लेकर जा सकते हैं। इसके अलावा वहां के बस चालक ने भी किराया के रूप में प्रति व्यक्ति 6000 रुपये की मांग की।

मामले की जानकारी होने पर मुख्यमंत्री और मंत्री चंपई सोरेन ने राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष को श्रमिकों को मुक्त कराने का आदेश दिया। इसके बाद श्रम विभाग एवं फिया फाउंडेशन की ओर से उन श्रमिकों की वापसी के लिए प्रयास शुरू किए गए। राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से श्रमिकों की स्थिति जानने का प्रयास किया। उनके रहने की जगह का पता चलने के बाद तत्काल उनके लिए भोजन की व्यवस्था की गई।

मामले में दुमका उपायुक्त ने भी ईदुक्की के क्लेक्टर से बात कर जिला स्तर पर पदाधिकारी नियुक्त किया। दुमका जिला प्रशासन और राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष की ओर से केरल में टीम गठित कर मामले को सुलझाया गया। ठेकेदार द्वारा जब्त श्रमिकों के आधार कार्ड को पुलिस के सहयोग से वापस कराया गया है। झारखण्ड के ही ठेकेदार ने इन श्रमिकों को ठगने का काम किया था।