अपनी बात

भाजपा प्रदेश मुख्यालय में बैठे पदाधिकारियों की हठधर्मिता व बचकाना हरकतों ने पूरे दुमका में भाजपा की हार को और आसान बनाया, झामुमो यहां मजबूत स्थिति में

उपर दिये गये फोटो को ध्यान से देखिये। यह दुमका भाजपा नगर मंडल की बैठक का दृश्य है। जिसमें बैठक लेनेवाले व्यक्तियों की संख्या मात्र पांच और सुननेवालों की संख्या मात्र नौ है। अब इसी से पता आप लगा सकते हैं कि भाजपा दुमका में कितनी मजबूत है? आश्चर्य इस बात की है कि इस बैठक को लेने की जिम्मेवारी दुमका की पूर्व विधायक लुईस मरांडी को था। ये वही लुईस मरांडी है, जो कभी मंत्री भी रह चुकी है और उनके इलाके की यह दुर्दशा भाजपा की सारी पोल खोल देती हैं।

लुईस मरांडी पिछली बार दुमका से ही झामुमो के प्रत्याशी वसंत सोरेन से हार चुकी है और इस बार भी भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ने का मन बना चुकी हैं। उन्हें इस बार भी भाजपा से टिकट मिलना तय है, क्योंकि प्रदेश स्तर पर उनकी लॉबी बहुत ही मजबूत है। ऐसे तो पूरे दुमका में वहां के जिलाध्यक्ष गौरवकांत के खिलाफ एक कैंपेन चल रहा है। कोई ऐसा मंडल नहीं हैं, जहां गौरवकांत के खिलाफ गुस्सा न हो। आंदोलन तो हर मंडल में आज भी चल रहा है। लेकिन प्रदेश के नेताओं को लगता है कि इस प्रकार के आंदोलन से उनका कोई नुकसान नहीं होगा।

जबकि राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस बार भाजपा पूरे दुमका से साफ होने जा रही है। इस बात की पुष्टि स्वयं भाजपा के बड़े पदाधिकारी भी करते हैं। सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में बैठे पदाधिकारियों की हठधर्मिता तथा उनकी बचकाना हरकतों के कारण ये हाल हुआ है। जिससे पूरे दुमका जिला में कार्यकर्ताओं का गुस्सा आसमान छू रहा है।

आप उपरोक्त फोटो को ध्यान से देखें, तो उस फोटो में अमित रक्षित भी दिखाई दे रहा है, जिसे नगर अध्यक्ष, लुईस मरांडी के कहने पर ही बनाया गया है। बताया जाता है कि दुमका जिलाध्यक्ष गौरव कांत ने लुईस मरांडी के कहने पर ऐसा किया है। स्थानीय नेता बताते हैं कि दुमका नगर जहां 48 बूथ है। वहां अगर 65 प्रतिशत वोट पोल हुआ तो समझ लीजिये कि 60 प्रतिशत वोट भाजपा को जाता है।

ऐसे इलाके में भाजपा के मंडल बैठक की यह स्थिति सब कुछ कह देता है। हाल ही में रानेश्वर में भाजपा जिलाध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हुआ, जो इलाके में चर्चा का विषय बना रहा। हाल ही में मसलिया में मंडल की बैठक थी, जहां कार्यकर्ता तो ससमय पहुंच गये, जिस प्रभारी को बैठक लेना था। वहीं दो घंटे बीत जाने के बाद भी नहीं पहुंचा। अंत में बैठक ऐसे ही समाप्त कर देना पड़ा। भाजपा कार्यकर्ता बताते हैं कि ये सब जिलाध्यक्ष की लापरवाही के कारण हुआ।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो दुमका में भाजपा की स्थिति ठीक नहीं। भाजपा कार्यकर्ताओं का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। जो मंडल बैठक लेने के लिए जिला की ओर से प्रभारी बनाये गये थे। उन प्रभारियों ने बैठक में जाना उचित नहीं समझा। दूसरी ओर जहां बैठक हुई, वहां से भाजपा कार्यकर्ता ही दूरियां बनाने में ज्यादा रुचि दिखाई। ऐसे में पूरे दुमका में इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा का शटर हर इलाके में गिरा हुआ नजर आये, तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।