रांची से प्रकाशित ‘दैनिक भास्कर’ की चोरी पकड़ी गई, फेसबुक से कंटेट व फोटो चुराते एक पत्रकार सुधीर ने उसे रंगे हाथों पकड़ा
छः दिन पहले स्वतंत्र पत्रकार सुधीर शर्मा ने अपने सोशल साइट फेसबुक पर तीन फोटो डालकर कुछ पंक्तियां लिखी। पंक्तियां थी – “सौंदर्यीकरण के नाम पर पहले करोड़ों फूंककर तालाबों का सत्यानाश कर दो। जो तालाब पहले लबालब भरी रहती थी। आज वहां ऐसे योजनाकारों के डूब मरने के लिए चुल्लू भर पानी बचा है। अब इन करोड़ों के तालाबों में शादी-पार्टियां के लिए शामियाना लगाकर खाना बनाओ। जहां छठ जैसे पवित्र त्योहार होते हैं। हाय रे विकास।” इसके बाद सुधीर शर्मा ने दो हैशटैग दिये हैं – झारखण्ड, रांची।
आज फिर सुधीर शर्मा ने उसी प्रकरण पर अपने सोशल साइट फेसबुक पर कुछ लिखा है। पर ये रांची से प्रकाशित खुद को नैतिकता से भरपूर घोषित करनेवाला दैनिक भास्कर पर लिखा गया है। सुधीर शर्मा ने लिखा है – “दैनिक भास्कर एक अच्छा अखबार है। समोसे का पूरा तेल भी सोख लेता है और पाठकों के फेसबुक से फोटो और मैटर चुराकर अपना भी बना लेता है।”
अपने इस कथन को सत्य साबित करने के लिए सुधीर शर्मा ने छह दिन पहले का अपना फेसबुक पर डाला गया वो तीन फोटो और लिखी गई उस वक्त की पंक्तियां तथा दैनिक भास्कर में आज छपे इससे संबंधित समाचार की कटिंग डाल दी है। जो साफ परिलक्षित करती है कि दैनिक भास्कर ने अपराध किया है। फोटो चुराया है।
कंटेट भी चुराकर अपने समाचार को बेहतर बनाने की कोशिश की है, पर चोरी तो चोरी है। पकड़ ली गई है। आप दैनिक भास्कर में छपे समाचार के साथ फोटो को ध्यान से देखें। नीचे साइट में कैसे सुधीर का नाम काट दिया गया, लेकिन सुधीर के उपर दिये गये शॉट ऑन वनप्लस साफ दिख रहा है। सवाल उठता है कि जब आप कंटेट या फोटो किसी से ले रहे हैं तो आप जहां से कंटेट उठा रहे हैं या फोटो ले रहे हैं, उसे श्रेय देने में आपको क्या जाता है?
आप क्या समझते है कि आपकी चोरी नहीं पकड़ी जायेगी। हम बता दें कि यह काम केवल दैनिक भास्कर ही नहीं करता और भी राष्ट्रीय स्तर के अखबार ऐसा करते हैं। पकड़े जाने पर गलथेथरी भी करते हैं। कह देते है कि उनके पास प्रेस विज्ञप्ति आया था, जबकि सच्चाई कुछ और ही रहता है। मैं जिस अखबार की बात कर रहा हूं।
उस अखबार ने एक बार विद्रोही24 में छपी एक समाचार से पूरी पंक्तियों को कट-पेस्ट कर लिया था और वहां के समाचार संपादक ने अपनी गलती स्वीकार करने के बजाय गलथेथरी करने में ज्यादा रुचि दिखाई। उक्त अखबार भी दैनिक भास्कर की तरह कई राज्यों से निकलता है। जिसमें दिल्ली, उत्तरप्रदेश, बिहार व झारखण्ड शामिल है।
इधर दैनिक भास्कर के इस हरकत पर कई बुद्धिजीवियों ने चुटकी भी ली हैं। कुछ का कहना है कि बेचारे दैनिक भास्कर के संवाददाता क्या करेंगे? उनको एसानमेंट पूरा करना है तो फेसबुक से ही न पूरा करेंगे। चाहे उसके लिए उन्हें चोरी ही क्यों न करना पड़े। ये तो आपने पकड़ लिया तो आपने इसे उजागर कर दिया, कई तो कुछ बोल ही नहीं पाते। चुप्पी लगा जाते हैं। फिलहाल दैनिक भास्कर के इस हरकत पर मजे लीजिये और कर ही क्या सकते हैं?