धनबाद में चल रहा ‘टॉम एंड जेरी’ का खेल, कांग्रेसी नेता ही चाहते हैं कीर्ति आजाद धनबाद से हारे
आपने कभी ‘टॉम एंड जेरी’ देखा हैं, जरा उस सीरियल को आप ध्यान से देखिये, आप पायेंगे कि ये आपस में खुब लड़ते हैं, पर जैसे ही उनके सामने कोई दुसरा विलेन बनकर आ धमकता हैं, दोनों उस पर मिलकर इस प्रकार से टूट पड़ते हैं कि उस विलेन को लेनी की देनी पड़ जाती है, वो उन दोनों के बीच से भाग खड़ा होता है।
फिलहाल ठीक यहीं स्टोरी बार–बार रिपीट हो रही हैं, धनबाद के चुनावी मैदान में, जहां कांग्रेस के कीर्ति आजाद पर टॉम एंड जेरी यानी राजेन्द्र सिंह और ददई दूबे भारी पड़ रहे हैं, और इस युद्ध में आप मान लीजिये कि कीर्ति आजाद को अंततः भागना ही हैं, वह भी तब जबकि उनके सामने ऐसा उम्मीदवार हैं, जो धनबाद के लिए कुछ किया ही नहीं, अलबत्ता लगभग दो साल से धनबाद और चंद्रपुरा के बीच रेल सेवा बर्खास्त रहने के बावजूद वह शख्स जीत के प्रति पूरी तरह आश्वस्त है।
अब आपको हम बताते हैं धनबाद कांग्रेस की वर्तमान राजनीतिक स्थिति। धनबाद संसदीय सीट पर चुनाव लड़ने के लिए इस बार कांग्रेस से राजेन्द्र सिंह ने मन बना लिया था, टिकट की लाइन में धनबाद से ही पूर्व कांग्रेसी सांसद चंद्रशेखर दूबे उर्फ ददई दूबे तथा कांग्रेस के आइटी सेल को देख रहे झारखण्ड में मयूर शेखर झा भी थे। तीनों को लगता था कि उनका धनबाद संसदीय सीट पर चुनाव लड़ना तय हैं, और वे तीनों जीतेंगे।
लेकिन ऐन वक्त पर कीर्ति आजाद को टिकट मिलने से, इन तीनों के मन में बन रहे गुब्बारे फट गये और इन तीनों के मन ऐसे खिन्न हुए, जैसे लगता हो कि कांग्रेस उनके लिए सबसे बड़ी दुश्मन हो। ले–देकर, ये तीनों कुछ भी बोलने से बचे, पर इन तीनों ने अपने–अपने स्तर से कांग्रेस, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डा. अजय कुमार तथा कांग्रेस प्रत्याशी कीर्ति आजाद को सबक सिखाने की ठान ली।
हालांकि इन तीनों में से मयूर शेखर झा की उतनी ताकत नहीं कि ये सीधे–सीधे कांग्रेस जैसी संगठन से लड़ लें, वे अपनी राजनीतिक भविष्य के लिए चुप रहना ही बेहतर समझ रहे हैं, जबकि राजेन्द्र सिंह और चंद्रशेखर दूबे जो एक दूसरे को हमेशा विभिन्न जगहों पर पटखनी देने के लिए उतारु रहते थे, आज दोनों एक विषय पर एकरुपता प्रदर्शित कर रहे हैं कि कीर्ति आजाद को सबक सिखाना है, कांग्रेस और डा. अजय को सबक सिखाना है।
आप देख रहे होंगे, जब से कांग्रेस प्रत्याशी कीर्ति आजाद ने धनबाद में अपना कदम रखा है, तब से लेकर कल तक उन्हें काला झंडा दिखाने का काम थम नहीं रहा, सूत्र बता रहे हैं कि ये काला झंडा कोई भाजपावाले नहीं दिखा रहे, बल्कि कांग्रेस के लोग ही दिखा रहे हैं, जिसे अप्रत्यक्ष रुप से राजेन्द्र सिंह और चंद्रशेखर दूबे का समर्थन प्राप्त है। झारखण्ड प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष कुमार गौरव जो राजेन्द्र सिंह के बेटे हैं, वे भी कीर्ति आजाद को पर काटने में लगे हैं।
दो दिन पहले बोकारो जाकर समरेश सिंह के यहां आशीर्वाद मांगने के लिए गये, कीर्ति आजाद को समरेश का आशीर्वाद नहीं मिल पाना, इसी की एक कड़ी हैं। चूंकि हमारे यहां चुनाव में जातिवाद भी एक बहुत बड़ा मुद्दा होता है, इसलिए धनबाद में राजपूतों ने ठान लिया है कि वे पीएन सिंह को जीता कर रहेंगे, इसलिए समरेश सिंह भला पीएन सिंह के खिलाफ जा भी नहीं सकते, ऐसा भी नहीं कि समरेश सिंह ने सिद्धांत की राजनीति की है, ये भी अन्य नेताओं की तरह जब जैसा, तब तैसा के सिद्धांत पर राजनीति करते हुए, अपना चेहरा चमकाया है।
इधर राजेन्द्र सिंह और चंद्रशेखर दूबे द्वारा कीर्ति आजाद के समक्ष उभारे गये कृत्रिम संकट को खत्म करने के लिए या यो कहें कि डैमेज कंट्रोल के लिए किसी भी कांग्रेस के बड़े नेता ने इन दोनों से संपर्क नहीं किया, जैसा कि कोडरमा मामले में अमित शाह ने पूर्व भाजपा नेता रवीन्द्र राय से संपर्क किया था, जिसके कारण भी गलतफहमियां बढ़ रही हैं, आश्चर्य इस बात की है कि महागठबंधन की ओर से कांग्रेस को यह सीट दी गई है, पर महागठबंधन में शामिल झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, और अन्य पार्टियां खुलकर कीर्ति आजाद का समर्थन कर ही हैं, पर कांग्रेस के अंदर ही कीर्ति आजाद को सबक सिखाने के लिए कोहराम मचा हुआ है।
एक समर्पित कांग्रेसी कार्यकर्ता ने विद्रोही24.कॉम को बताया कि कुछ गलतियां कीर्ति आजाद की ओर से भी हैं, इनका कार्यकर्ताओं और समर्पित लोगों के साथ व्यवहार ठीक नहीं रह रहा, जबकि इनके पिता भागवत झा आजाद, जिन्होंने कोल माफियाओं को सबक सिखाया था, जिसके कारण उनकी कुर्सी भी चली गई, आज वे उन्हीं कोल माफियाओं के संग समय बिताने में ज्यादा समय लगा रहे हैं, वे जहां ठहरे हुए हैं, उस व्यक्ति की इतनी भी ताकत नहीं कि वह जनता के एक बड़े वर्ग को अपनी ओर खींच सकें, ऐसे में कीर्ति आजाद का जीत पाना असंभव सा हैं।
यह व्यक्ति यह भी कहता है कि अभी भी समय हैं, कीर्ति आजाद को चाहिए कि वे अपने व्यवहार में बदलाव लाएं, जहां वे ज्यादा समय बिता रहे हैं, वहां से दूर हो, तथा कार्यकर्ताओं के बीच ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं, साथ ही उपर के लोग डैमेज कंट्रोल पर ध्यान दें, तथा डा. अजय कुमार जैसे हेलिकॉप्टर नेता भी अपने आचरण तथा व्यवहार में सुधार लाएं तभी कुछ हो सकता हैं, नहीं तो जैसा लग रहा हैं, उससे तो साफ जाहिर हो रहा है कि डा. अजय ने बड़ी ही सोची, समझी रणनीति के तहत धनबाद की सीट भाजपा को गिफ्ट दे दी हैं, क्योंकि आज कांग्रेस एक होकर लड़ गई तो भाजपा को धूल चटाना कोई बड़ी बात नहीं, पर जिस प्रकार से कांग्रेस में चल रहा हैं, अगर ये ‘टॉम एंड जेरी’ का खेल खत्म नहीं हुआ तो कांग्रेस का यहां खेल खत्म समझिये।
सही आकलन।।